Saturday, 1 November 2014

masti ki pathsala - 60

मस्ती की पाठशाला - एक रोमाचंक कहानी  भाग-60
 "रिया.. आज वो लड़का नही आया ना...!" क्लास में बैठी प्रिया की नज़रें किसी को ढ़हूंढ रही थी...
"ओहूओ... क्या बात है.. आजकल...."
"ज़्यादा बकवास मत्कर.. पहले तो मेरी फाइल दे दी उस घंचक्कर को .. अब मज़ाक सूझ रहे हैं... आज प्रॅक्टिकल है.. केमिस्ट्री का.. अगर नही आया तो मैं क्या करूँगी.." प्रिया ने मुँह बनाकर अपने चेहरे पर उभर आए शर्मीलेपान को छिपाने की कोशिश की...
"हमारे सामने ही तो रहता है.. घर जाकर माँग लाना..!" रिया ने चुटकी ली.. उसको पता था की उसके घर में ये सब नही चलता....
"तू पागल है क्या..? मैं उसके घर जाउन्गि? मरवा दे मुझे!....... तू ले आना अगर हिम्मत है तो!" प्रिया ने रिया को झिड़कते हुए कहा...
"मैं तो कभी ना जाउ? हां.. वीरेंदर को कह सकती थी पर आज तो वो भी नही दिख रहा..
तभी क्लास में सर आ गये और उनकी गुफ्तगू बंद हो गयी
दोस्तो इधर मुरारी का क्या हाल हो रहा है ज़रा इसे भी देंखे ......
" मे आइ कम इन सर?" 22-23 साल की चुलबुली सी एक छर्हरे बदन की युवती ने मुरारी से अंदर आने की इजाज़त माँगी...
"आओ जान ए मंन.." मुरारी खुश लग रहा था..
" सर.. देल्ही से पांडे जी का फोन है.." कहकर वो वापस चली गयी..
"नशे में होने के बावजूद मुरारी खुद को रिसीवर उठाकर खड़ा होने से ना रोक पाया," जैहिन्द सर..!"
" ये क्या तमाशा है मुरारी..? तुम्हारी बेटी तो सही सलामत है..?" उधर से गुर्राती हुई आवाज़ आई..
मुरारी चौंके बिना ना रह सका.. उसने तो स्नेहा को मना किया था.. किसी को भी कुच्छ भी बताने से.. फिर बात देल्ही तक कैसे पहुँच गयी...," हां.. हां सर.. मैं अभी आपको फोन करने ही वाला था.. ववो स्नेहा का फोन ..आया था.. अभी अभी.. बस उस'से ही बात कर रहा था.. वो.. किसी ने अफवाह फैलाई थी.. सर... मैं आपको बताने ही वाला था.."
"अच्च्छा.. अफवाह फैलाई थी.. ज़रा एक बार टीवी ऑन करके इब्न7 देखो.. तुम्हारी अकल ठिकाने आ जाएगी.. हाउ मीन यू आर!" कहकर पांडे ने फोन काट दिया..
टी.वी. तो पहले ही ऑन था.. बस चॅनेल ज़रा दूसरा था.. एफटीवी! मुरारी ने हड़बड़ाहट में चॅनेल सर्च करने शुरू किए.. जैसे ही इब्न& स्क्रीन पर आया.. उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी.. उसकी बेटी जैसी लड़की टीवी पर थी... अर्रे हाँ.. वही तो थी..!
मुरारी को एकदम ऐसा अहसास हुआ मानो उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गयी हो... वो खड़ा ना रह सका और धम्म से सोफे पर आ गिरा...
स्नेहा बार बार टीवी स्क्रीन पर वो बातें कह रही थी.. जिनको वो 100% सच मान रही थी.. उसके बाप का उसको घूमकर आने के लिए कहने से लेकर बाप के गुण्डों से बचकर वहाँ तक आने की.... कुच्छ ही बातों में मिलावट थी.. जैसे उसको नही पता की ड्राइवर कहाँ है.. और वो अब अपनी किसी पुरानी सहेली के पास रह रही है..
"अब मैं आपको वो रेकॉर्डिंग सुनाती हूँ.. जो मेरे फोन में डिफॉल्ट सेट्टिंग होने की वजह से सेव हो गयी.... मेरे पापा ने मेरे पास कॉल की थी.." कहते हुए स्नेहा बीच बीच में सूबक रही थी.. और न्यूज़ रीडर बार बार उसको धैर्य रखने की गुज़ारिश कर रही थी..
रेकॉर्डिंग सुनकर मुरारी का चेहरा लाल हो गया.. उसके द्वारा कही गयी बातें जाने अंजाने मुरारी की और ही उंगली उठा रही थी.. बेशक उसके दिमाग़ में ये ख़याल बहुत बाद में.. विरोधी पार्टियों की तरफ से धमकी भरे फोन आने के झूठे आरोपों को सच साबित करने के उद्देश्या से आया था...
चॅनेल वाले टीआरपी बढ़ाने के चक्कर में बाल की खाल उतारने में लगे थे.. टीवी स्क्रीन पर नीचे लगातार फ्लश हो रहा था.. " मुरारी या दुराचारी! एक्सक्लूसिव ऑन इब्न7"
" स्नेहा जी.. कहीं इसमें आपका ड्राइवर भी तो शामिल नही है..?" आंकर ने सवाल किया...
"नही.. मैं आपको बता ही चुकी हूँ की उन्होने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की थी.. मुझे बचाने की.. पर वो उसको भी मेरे साथ ही डाल कर ले गये.. फिर उसने वहाँ से निकालने में भी मेरी मदद की... बाकी रेकॉर्डिंग से सब कुच्छ सॉफ है.."
आंकर ने नहले पर दहला ठोंका..," पर रेकॉर्डिंग मैं तो आप कह रही हैं कि आप ड्राइवर के साथ ही हैं... और अब आप कह रही हैं की आपको ड्राइवर के बारे में नही पता.. वो कहाँ है.. इसकी वजह?"
स्नेहा एक पल को सकपका गयी.. पर जल्द ही संभालते हुए बोली...," वो.. वो मैने तब झूठ बोला था.. ताकि पापा मेरी लोकेशन के बारे में आइडिया ना लगा पायें..!"
" पर अगर गुंडे आपके पापा ने ही भेजे थे.. तो उनको तो मालूम होना चाहिए था कि ड्राइवर उनके गुण्डों के ही पास है.. फिर उन्होने आपसे पूचछा क्यूँ?" आंकर ने एक और बआउन्सर मारा...
ये सवाल सुनकर मुरारी के चेहरे पर हूल्का सा सुकून आया.. ," इश्स लौंडिया को तो सीबीआइ में होना चाहिए.." उसके मुँह से निकला..
" ये सवाल आप मेरे पापा से ही करें.. उन्होने क्यूँ पूचछा..? या फिर हो सकता है.. वो भी मेरे बाद बच निकलने में कामयाब हो गये हों.. इसीलिए उन्होने फोन किया हो..?"

" तो देखा आपने.. हमारे देश की राजनीति किस कदर गिर चुकी है.. चंद वोटों की खातिर जो नेता.. अपनी इतनी प्यारी बेटी तक को दाँव पर लगाने से नही चूकते.. उनके लिए आप और हम जैसे इंसानो की क्या कीमत है.. आप अंदाज़ा लगा सकते हैं.. बहरहाल.. हम मुरारी से कॉंटॅक्ट करने की कोशिश कर रहे हैं.. तब तक लेते हैं एक छ्होटा सा ब्रेक.. आप देखते रहिए.. आज की सबसे सनसनीखेज वारदात.. ' मुरारी या दुराचारी ' सिर्फ़ और सिर्फ़ इब्न पर.. जाइएगा नही.. अभी और भी खुलासे होने बाकी हैं.. मिलते हैं ब्रेक के बाद!"
पागल से हो उठे मुरारी ने टेबल पर रखी बोतल टीवी पर दे मारी.. स्क्रीन टूट कर टीवी से धुंवा निकलने लगा.. हड़बड़ाहट में मुरारी ने पांडे के पास फोन मिलाया...
" प्पंडे जी.. सब बकवास है.. झूठह है.. मेरे खिलाफ बहुत बड़ी साजिस हो रही है.. विरोधियों की और से..."
" व्हाट दा हेल आर यू टॉकिंग अबौट.. ये मुहावरा बहुत पुराना हो गया मुरारी.. मत भूलो की स्क्रीन पर तुम्हारी अपनी बेटी है.. जो तुम्हारे शड्यंत्रा का खुलासा कर रही है... अब हो सके तो जल्दी से अपनी बेटी को अपने कंट्रोल में लो.. वरना आप कल से पार्टी में नही हैं.. आप जैसे आदमी की वजह से हम पार्टी की छवि को नुकसान नही पहुँचा सकते..!" पार्टी आलाकमान का गुस्सा सातवें आसमान पर था..
"सर.. सुनिए तो.. वो.. वो मेरी बेटी नही है... मैं ये बात प्रूव कर सकता हूँ.. मैं वो डीएनए पीएनए के लिए भी तैयार हूँ. सर.. वो मेरी बीवी की नाजायज़ औलाद है.. साली कुतिया.. अपनी मा पर गयी है.. मादर चोद.. बिक गयी! वो मेरा खून नही है सर.." मुरारी अनाप शनाप जाने क्या क्या उगले जा रहा था..
"माइंड उर लॅंग्वेज.. मुरारी! वी हॅव नतिंग टू डू व्ड उर पास्ट ऑर वॉटेवर यू आर टॉकिंग अबौट.. जस्ट ट्राइ टू टेक बॅक उर चाइल्ड इन उर फेवर ओर बी रेडी टू बी किक्ड आउट...!" कहकर पांडे ने पटाक से फोन काट दिया..

काफ़ी देर से वो दरवाजे पर खड़ी मुरारी की कॉल के ख़तम होने का इंतज़ार कर रही थी... जैसे ही कॉल डिसकनेक्ट हुई.. उसने अंदर आने की इजाज़त माँगी," मे आइ कम इन,सर?"
"तू.. साली कुतिया.. यहाँ खड़ी होकर क्या सुन रही है..? बेहन्चोद.. अंदर आ.."
शालिनी डर के मारे काँपने लगी.. 2 दिन पहले ही उसने मुरारी के ऑफीस को जाय्न किया था.. यूँ तो ऑफीस के हर एंप्लायी को मुरारी की चरित्रहीनता का पता था.. पर नौकरी का लालच और सुन्दर और कुँवारी लड़कियों को अच्च्ची तनख़्वाह देने का मुरारी का रेकॉर्ड लड़कियों को वहाँ खींच ही लाता था.. वैसे भी मुरारी ऑफीस में 5-6 महीनों से ज़्यादा किसी लड़की को रखता नही था...," सर्र.. वो.. इब्न7 से बार बार आपके लिए कॉल आ रही है.." शालिनी सूखे पत्ते की तरह थर थर काँपती थोडी सी अंदर आकर खड़ी हो गयी...

" उन्न बेहन के लोड़ों को तो मैं बाद में देख लूँगा.. पहले तू बता.. क्या सुन रही थी.. छिप कर..!" मुरारी खड़ा होकर शालिनी के पास गया और उसका गिरेबान पकड़ कर खींच लिया.. शर्ट का एक बटन टूट कर फर्श पर जा गिरा.. शालिनी की सफेद ब्रा शर्ट में से झलक उठी..
" कुच्छ.. नही सर्र.. मैने कुच्छ नही सुना.. म्म्मै तो अभी आई थी.. प्लीज़ सर.. मुझे माफ़ कर दीजिए.. आइन्दा ऐसी ग़लती नही होगी..." शालिनी ने मुरारी के मुँह से आ रही तेज बदबू से बचने के लिए अपना चेहरा एक तरफ करके अपना हाथ उपर उठाया और.. उसके और मुरारी के चेहरे के बीच में ले आई...
मुरारी ने शालिनी का वही हाथ पकड़ा और उसको मोड़ दिया.. दर्द के मारे वो घूम गयी.. उसकी गांद मुरारी की जांघों से सटी हुई थी..," आ.. छ्चोड़ दीजिए सर.. प्लीज़.. मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ...
अब तक शालिनी के कुंवारे और गरम खून की महक पाकर मुरारी की आँखों में वासना के लाल डोरे तैरने लगे थे..," छ्चोड़ दूं.. साली.. कुतिया.. तुझे छ्चोड़ दूँगा तो क्या तेरी मा को चोदुन्गा... च्छुपकर बात सुन'ने की सज़ा तो तुझे मिलेगी ही.." कहते हुए मुरारी ने उसको ज़ोर से धक्का दिया और संभालने की कोशिश करती हुई सी शालिनी बेड के कोने पर जा गिरी..
तुरंत ही उठते हुए उसने जहाँ से बटन टूटा हुआ था.. वहाँ शर्ट को अपने हाथ से पकड़ लिया.. और गिड़गिदाने लगी..," मैं बर्बाद हो जाउन्गि सर्र.. मुझे नही करनी नौकरी.. आप मुझे जाने दीजिए प्लीज़.. जाने दीजिए.." जो कुच्छ होने वाला था.. उसकी कल्पना करके ही शालिनी सिहर उठी.. और फफक कर रोने लगी...
"चुप कर कुतिया.. ज़्यादा नाटक मत कर.. नही तो कभी वापस नही जा पाएगी... तू मेरी बातें सुन्न'ने की हिम्मत करती है.. मुरारी की बातें.." मुरारी ने कहते हुए उसके बालों को पकड़ कर उपर की और खींच लिया.. असहाय सी हो उठी शालिनी की आइडियान दर्द को कम करने की खातिर उपर उठ गयी.. तब भी बात नही बनी तो उसके हाथ उपर उठकर अपने बालों को नीचे की और खींचने लगे...," प्लीज़.. सर.. मैं मर जाउन्गि.. मुझे जाने दो...!"
मुरारी ने एक बार फिर उसकी शर्ट को पकड़ कर खींचा और शर्ट पर उसकी इज़्ज़त के रखवाले बटन दम तोड़ गये.. फटी हुई शर्ट में शालिनी का कमसिन बदन दारू के नशे में और इज़ाफा कर रहा था... बाल खींचे होने की वजह से वो बैठकर अपने आपको छुपा भी नही सकती थी.. असहाय खड़ी थी.. बिलबिलाते हुए.. बिलखते हुए...
"इसको खोल साली..! वरना इसे भी फाड़ दूँगा.." नशे में टन मुरारी ने शालिनी की ब्रा में हाथ डाल दिया... उसकी चूची पर उभरा हुआ मोटा दाना मुरारी की उंगलियों से टकरा कर सहम गया... मुरारी अपनी बेटी का गुस्सा उस बेचारी पर निकाल रहा था....
"प्लीज़ सर.. मेरे बाल छ्चोड़ दीजिए.. बहुत दर्द हो रहा है..." शालिनी चीख सी पड़ी...
"ब्रा निकल पहले.. नही तो उखाड़ दूँगा सारे..?" मुरारी ने बालों को और सख्ती से खींच लिया..
"अया.. निकालती हूँ.. सर.. भगवान के लिए.. प्लीज़.. एक बार छ्चोड़ दीजिए बाल.. अया.."
मुरारी ने झटका सा देते हुए उसके बालों को छ्चोड़ दिया... और जाकर दरवाजा बंद कर दिया..
शालिनी ने एक बार अपनी नज़रें उठाकर मुरारी की तरफ इस तरह देखा जैसे कोई मासूम हिरण शेर के पंजों से घायल होकर उसके पैरों में पड़ा हो और अपनी जिंदगी की भीख माँग रहा हो.. पर मुरारी पर इसका कोई फ़र्क़ नही पड़ा.. वह शेर थोड़े ही था.. वह तो भेड़िया था.. जो बिना भूख लगे भी शिकार करते हैं.. सिर्फ़ शिकार करने के लिए.. अपनी कुत्सित राक्षशी भावनाओ की तृप्ति के लिए..," निकालती है साली या खींच कर फाड़ दूं..."
और कोई रास्ता बचा भी ना था... शालिनी ने पिछे हाथ लेजाकार ब्रा के हुक खोल दिए.. ब्रा ढीली होकर नीचे सरक गयी.. उसने झुक कर 50 साल के राक्षस के सामने नंगे खड़े अपने जिस्म को देखा और फूट फूट कर रोने लगी...
" क्या री शालिनी तेरी चूचियाँ तो बड़ी मस्त हैं.. क्या मसल्ति है इन्न पर!" शालिनी के क्रंदन से बेपरवाह मुरारी ने आगे बढ़कर ब्रा को खींचकर निकाल दिया और उसकी मस्त कबूतरों जैसी गोरी चूचियों को बारी बारी से मसालने लगा... शालिनी को चक्कर आ रहे थे.. मुरारी इतनी कामुकता से उनको मसल रहा था की यदि उसकी जगह उसका 'रोहित' होता तो नज़ारा ही कुच्छ और होता.. जिसको उसने आज तक खुद को उनके पास फटकने तक नही दिया था... शालिनी के लगातार बह 5रहे आँसुओं से उसकी चूचियाँ गीली हो गयी थी...
"चल जीन्स खोल..! तेरी चूत भी इनकी तरह करारी होगी.. शेव कर रखी है या नही.... अगर..." मुरारी का वाक़या अधूरा ही रह गया.. दरवाजे पर जोरों से खटखट होने लगी...
"कौन है मदर्चोद.. किसने हिम्मत की दरवाजे तक आने की.." उसने फोन उठाकर गार्ड को फोन मिलाया.. पर किसी ने फोन नही उठाया..!
" आबे... कहाँ अपनी मा का.. कौन है बे.. चल फुट..." पर दरवाजे पर खटखट की आवाज़ बढ़ती ही गयी...," तू रुक एक बार.. साले बेहन के..." दरवाजे के खुलते ही मुरारी का सारा नशा उतर गया.. उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी...... अधूरी बात उसने अपने गले में थूक के साथ गटक ली.. और दरवाजा बाहर से बंद करते हुए निकल गया...
" वी आर फ्रॉम सी.आइ.ए. भिवानी मिस्टर. मुरारी, दुराचारी और वॉटेवर.. यू आर अंडर अरेस्ट.." 3 सिपाहियों और एक ए.एस.आइ. के साथ खड़े इनस्पेक्टर ने उसका स्वागत किया...
मुरारी फटी आँखों से उसको देखता रहा.. फिर संभालते हुए बोला..," तू जानता तो है ना मैं कौन सू!" मुरारी ने बंदर घुड़की दी...
" हां.. कुच्छ देर पहले टी.वी. पर देखा था.. कुत्ते से भी गया गुजरा है तू.. लानत है 'बाप' के नाम पर.. पर तू शायद मुझे नही जानता.. मुझे टफ कहते हैं.. टफ.. चल थाने.. बाकी की कुंडली वहाँ सुनता हूँ.. डाल लो इसको.." टफ ने सिपाहियों की और इशारा किया....
"एक मिनिट.. तुम तो भिवानी से हो.. तुम मुझे कैसे अरेस्ट कर सकते हो..?" मुरारी उसकी टोन से बुरी तरह डर गया था..
"अबबे चुतिये.. हिन्दी समझता ही नही है.. सालो.. इतने क्राइम करते हो.. तो थोड़ा सा जी.के. भी रखा करो.. किडनॅपिंग वाला नाटक तूने वही रचाया था ना.. तो क्या पोलीस लंडन से आएगी.. भूतनि के..." कहकर टफ ने उसको सिपाहियों की और धकेला.. और जाने के लिए वापिस मूड गया....

"मुझे बचाओ प्लीज़.. मुझे यहाँ से निकालो.." दरवाजा अंदर से थपथपाया गया तो टफ चौंक कर पलटा.. एक पल भी बिना गँवाए उसने दरवाजा खोल दिया.. और अंदर का द्रिस्य देखकर चौंक पड़ा..
फर्श पर शराब की बोतल टूटी पड़ी थी.. टीवी का स्क्रीन टूटा हुआ था... और टफ की आँखों के सामने आँखें झुकाए अपनी फटी हुई शर्ट को अपने बदन पर किसी तरह लपेटे खड़ी शालिनी भी जैसे टूटी हुई ही थी.. उसके बॉल बिखरे पड़े थे और बदहवास सी लगातार बह रहे अपने आँसुओं को अपनी आस्तीन से पौंच्छने की कोशिश कर रही थी..
"ओह्ह्ह.. एक मिनिट.." टफ लगभग भागते हुए अंदर गया और बेड की चादर खींच कर शालिनी के बदन को ढक दिया...
"ये सब क्या है?" टफ ने सिपाहियों के साथ जा रहे मुरारी को आवाज़ लगाकर वापस बुला लिया," अंदर लाओ इसको!"
मुरारी विकी के बिच्छाए जाल, अपनी नियत और नियती के चक्रव्यूह में बुरी तरह से फँस गया था.. हमारी मीडीया आजकल एकमात्र अच्च्छा काम यही कर रही है कि वो मुद्दों को इस तरह उठाती है जैसे इस-से पहले ऐसा कभी नही हुआ... और उनके द्वारा दिखाई गयी खबर पर अगर प्रसाशण तुरंत कार्यवाही नही करता तो वे प्रायोजित करना शुरू कर देते हैं की सब मिले हुए हैं.. बड़ी मछ्लियो के मामले में तो वो खास तौर पर ऐसा करते हैं.. बेशक ऐसा वो अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए करते हैं.. पर आज उनके दिखाए टेलएकास्ट से कम से कम जो एक अच्च्छा काम हुआ वो ये.. की बेचारी शालिनी की इज़्ज़त तार तार होने से बच गयी.. देल्ही में बैठे पार्टी के आला नेताओ ने पार्टी की छवि बचाने के लिए अधिकारियों पर तुरंत कार्यवाही का दबाव बनाया और उसका ही नतीजा था.. की भिवानी पोलीस डिपार्टमेंट में हाल ही में प्रमोशन पाकर इनस्पेक्टर बने सबसे काबिल और दबंग टफ को ये काम सौंपा गया....
"ये क्या है मुरारी..?" टफ को लगा शालिनी बात करने की हालत में नही है... इसीलिए मुरारी से ही पूच्छ लिया...
" कुच्छ नही है.. ये.. कुच्छ भी नही.. बस.. वो इसकी शर्ट उलझ कर फट गयी थी.. तो उससे बदलने ये मेरे बाथरूम में गयी होगी... है ना बेटी!"
शालिनी ने आगे बढ़ कर एक जोरदार तमाचा उसके मुँह पर रसीद दिया..और फुट पड़ी," हराम्जादे, कुत्ते.. तुझे पता भी है की बेटी क्या होती है... कामीने.. तुझसे ज़्यादा गिरा हुआ इंसान मैने अपनी जिंदगी मैं नही देखा.. थ्हू..!" शालिनी के मुँह से थ्हूक के रूप में निकली बद्दुआ मुरारी के बदसूरत चेहरे पर जाकर चिपक गयी...
" यहाँ सिटी थाने का नंबर. क्या है.. ज़रा पूच्छ कर बताओ!" टफ क़ानूनी तौर पर इश्स मामले को डील नही कर सकता था.... इसीलिए ए.एस.आइ. को उसने रोहतक सिटी में कॉंटॅक्ट करने को कहा...
कुच्छ देर बाद विकी ने सिटी थाना इंचार्ज को फोन किया..
"सिटी थाना रोहतक से हवलदार ब्रिज्लाल, बताइए क्या सेवा करें.." फोन पर एक रॅटी रटाई सी आवाज़ निकली..
" मैं भिवानी सी.आइ.ए. स्टाफ से इनस्पेक्टर अजीत बोल रहा हूँ.. एस.एच.ओ. साहब से बात करवायें ज़रा..
" जैहिन्द जनाब.. अभी करवाता हूँ.. कहकर ब्रिजलाल ने लाइन फॉर्वर्ड कर दी..
"हेलो!"
" मैं भिवानी सी.आइ.ए. स्टाफ से इनस्पेक्टर अजीत बोल रहा हूँ.. आपके यहाँ से मुरारी जी को अरेस्ट करके ले जा रहा था.. यहाँ कुच्छ और भी पंगा है.. आप आ जाइए ज़रा... लेडी स्टाफ को लाना मत भूलना" टफ ने उसकी पहचान जाने बिना ही अपनी बात पूरी कर दी..
"क्यूँ क्या हुआ..? मुरारी जी अरेस्ट हो गये..?" विजेंदर चौंक कर चेर से खड़ा हो गया..
"हां.. मुरारी जी अरेस्ट हो गये.. और हो सकता है की आज रात इन्हे आप ही की सेवा की ज़रूरत पड़े.. आप आ जाइए..!" टफ ने मुरारी को कड़वाहट से देखते हुए कहा.. वो सहमा हुआ था.. पर विजेंदर के पास रहने की सोच कर उसके चेहरे पर रौनक सी आ गयी... वो तो उसका ही पाला हुआ कुत्ता था...
"ठीक है.. हम अभी आते हैं.. कहकर विजेंदर ने फोन रख दिया और हड़बड़ाहट में चलने की तैयारी करने लगा...

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