Wednesday, 5 November 2014

masti ki pathsala - 62

मस्ती की पाठशाला - एक रोमाचंक कहानी  भाग-62
 विकी ने फोन काट-ते ही शमशेर को फोन लगाया," कहाँ हो भाई? कितने दिन से आपका फोन नही लग रहा..." विकी की आवाज़ में बेचैनी सी थी...
"मैं आउट ऑफ स्टेट हूँ यार.. और मेरा सेल गुम हो गया था.. आज ही नंबर. चालू करवाया है.. दूसरा सेल लेकर.. क्या बात है..?"
"मुझे तुझसे मिलना था यार.. कब तक आ रहे हो वापस..?"
"मुझे तो अभी कम से कम 8-10 दिन और लग जाएँगे.. तू बात तो बता..!" शमशेर ने कहा..
"बात ऐसे बताने की नही है.. मिलकर ही बतानी थी.. बहुत टाइम लग जाएगा... तू बता ना.. कहाँ है? मैं वहीं आ जाता हूँ..."
"ऊटी!... आजा!" शमशेर ने मुस्कुराते हुए कहा....
"भाभी जी साथ ही हैं क्या?"
"ना.. वो तो गाँव में है.. !"
"चल छ्चोड़.. मैं कुच्छ और देखता हूँ... अच्च्छा!"
"अरे तू बता तो सही.. मैं फिलहाल बिल्कुल फ्री हूँ..." शमशेर ने गाड़ी सड़क किनारे रोक ली... उस वक़्त वो अकेला ही था..
"अच्च्छा सुन.. पर लेक्चर मत देना.. बस कुच्छ मदद कर सको तो..."
"अबे तू बोल ना यार.. बोल!"

विकी ने शुरू से आख़िर तक की सारी रामायण सुना दी.. इस दौरान शमशेर कयि बार चौंका.. केयी बार मुस्कुराया और केयी बार कहीं और ही खो जाता.. जब विकी की बात बंद हो गयी तो शमशेर बोला," तू भी ना यार.. पूरा घंचक्कर है.. वो तो तेरी किस्मत साथ देती चली गयी.. वरना.. खैर अब प्राब्लम क्या है?"
"प्राब्लम ये है कि उसको मुझसे प्यार हो गया है.. मुझसे अलग होने को तैयार ही नही है.. कह रही है मर जाएगी..." विकी ने बेचारा सा मुँह बनाया..
विकी की इश्स बात पर शमशेर ज़ोर से हंसा.. ," आख़िर फँस ही गया तू भी..!"
"तुझे पता है यार.. ये 'प्यार व्यार' मेरी समझ से बाहर की बात है.. पर जब तक मुरारी से सौदा नही होता.. तब तक तो इसको ढोना ही पड़ेगा...." विकी ने अपने दिल की बात कही..
"तो उसके बाद क्या करेगा?" शमशेर ने लंबी साँस ली..
"उसके बाद मैने क्या करना है.. वो मुझे मोहन के नाम से जानती है.. एक बार मल्टिपलेक्स मिल गया तो दोनो बाप बेटी कितना ही रो लें.. मेरी सेहत पर कोई असर नही पड़ेगा.. मेरे पास इश्स बात का सॉलिड प्रूफ है की उस दौरान में आउट ऑफ कंट्री था....."

शमशेर ने उसको बीच में ही टोक दिया..," वो सब तो सही है.. मैं पूच्छ रहा हूँ स्नेहा का... उसका क्या करेगा?"

"वो मेरी टेन्षन नही है यार... उसके बाद वो भाड़ में जाए.. तब तक बता ना.. क्या करूँ?"
"देख मुझे पता है.. तू किसी की सुनेगा तो है नही.. पर सब ग़लत है.. किसी के दिल पर चोट नही करनी चाहिए.. तूने वादा किया है उसको..!" शमशेर उसकी बात से आहत था..
"यार.. तू सिर्फ़ मुझे ये बता की तब तक मैं इसका क्या करूँ?" विकी ने सारी बातें गोलमोल कर दी...
"घुमा ला कहीं.. ऊटी लेकर आजा.. फिर साथ ही चल पड़ेंगे.." शमशेर ने राई दी..
"यही तो नही हो सकता यार.. आगे का सारा काम मुझे ही करना है अब ... किसी तरह इस-से पीछा छुड़ाओ यार.."

"मैं क्या बताऊं..? या फिर लोहरू छ्चोड़ दे.. वाणी उसको अपने आप सेट कर लेगी.. पर बाद में लोचा हो सकता है.. अगर तूने उसको छ्चोड़ दिया तो.. उसके बाप के पास!"
"ग्रेट आइडिया बॉस.. गाँव में तो कोई शक करेगा ही नही... और उसका दिल भी लग जाएगा.. वाणी और दिशा के पास... तू बाद की फिकर छ्चोड़ दे.. मुझे पता है मुझे क्या करना है... वो कभी वापस नही जाएगी.. मैं एक तीर से दो शिकार करूँगा...!" विकी स्नेहा का भी शिकार ही करना चाहता था.. काम पूरा होने के बाद...
"ठीक है.. जैसा तू ठीक समझे. मैं दिशा को समझा दूँगा.. तू बेशक आज ही उसको वहाँ छ्चोड़ दे...."
"थॅंक यू बॉस! मुझे यकीन है.. स्नेहा वहाँ से वापस मेरे साथ आने की ज़िद नही करेगी.. मैं उसको समझा दूँगा.. और हां.. टफ से तुझे ही बात करनी पड़ेगी.. ये पोलीस वालों का कुच्छ भरोसा नही होता..."
"ओके, मैं कर लूँगा...." शमशेर हँसने लगा और फोन काट दिया....

"रिया.. यार अब मैं क्या करूँ? तूने तो मेरी ऐसी की तैसी करा दी..!" प्रिया ने राज के ना आने का सारा दोष रिया पर मढ़ दिया..
"क्यूँ? मैने ऐसा क्या किया?" रिया ने हैरान होते हुए पूछा... दोनो पहली मंज़िल पर पिछे की और बने अपने कमरे में पढ़ रही थी..
"मैने ऐसा क्या कर दिया..!" प्रिया ने मुँह बनाकर रिया की नकल की..," तूने ही तो उस ईडियट को फाइल दी थी.. लेते वक़्त तो इतना शरीफ बन रहा था... अब कल 'सर' को क्या तेरा तोबड़ा (फेस) दिखाउन्गि कल..."
"दिखा देना! क्या कमी है... सर दिल दे बैठेंगे.. बुढ़ापे में.. जान दे बैठेंगे अपनी" रिया ने चुलबुलेपन से कहा..
"तू है ना.. बिगड़ती जा रही है... मम्मी को बोलना पड़ेगा.." प्रिया ने रिया को प्यार से झिड़का..
" बोल दे.. वो भी तो कहती हैं.. 'कितनी क्यूट है तू!' रिया ने स्टाइल से अपने लूंबे बलों को पिछे की और झटका दिया...
"ज़्यादा मत बन.. शकल देखी है आईने में कभी...?" प्रिया अपनी किताब को बंद करते हुए बोली....
"हां.. देखी है.. बिल्कुल तेरे जैसी है.. अब बोल" रिया ने भी अपनी किताब बंद कर दी और हँसने लगी...
"तू यार.. ज़्यादा फालतू बातें मत कर... बता ना.. अब मैं क्या करूँ?" प्रिया ने मतलब की बात पर आते हुए बोला...
"यहीं.. खिड़की के पास चिपका बैठा होगा... छत से माँग ले..." रिया ने शरारती मुस्कान फैंकते हुए कहा..
" तू जाकर माँग ले ना.. बड़ी हिम्मत वाली बन'ती है.. छत से माँग लून.. वो भी रात के 9:00 बजे.. पिच्छली बात भूल गयी क्या..?"
रिया एक पल को अतीत में चली गयी...," मुझे उस लड़के की बड़ी दया आई थी.. पापा ने सही नही किया प्रिया..."
"सही नही किया तो कुच्छ खास ग़लत भी नही था.. दिन में हमारे घर के इतने चक्कर लगाता था.. पागल था वो..." प्रिया ने अपना नज़रिया उसको बताया..
" गली में ही घूमता था ना.. हमें कुच्छ कहा तो नही था.. इतना मारने की क्या ज़रूरत तही.. वैसे समझा देते.. देख भाई.. मुझे तो बहुत बुरा लगा था.. उस रात खाना भी नही खा सकी थी.. बेचारे के चेहरे पर कैसे निशान पड़ गये थे..." रिया का मूड ही ऑफ हो गया...
उस दिन को याद करके प्रिया भी सिहर उठी... कोई काला सा लड़का था.. उनकी ही उम्र का.. गली में लगभग हर एक को यकीन हो गया था कि इसका थानेदार की बेटियों के साथ कुच्छ ना कुच्छ चक्कर तो ज़रूर है.. इन्न दोनो की भी आदत सी हो गयी थी.. उसको खिड़की से आते जाते उनकी और चेहरा उठाकर देखते हुए देखना और फिर उसका मज़ाक बना कर खूब हँसना... उस दिन पापा ने उस्स्को खिड़की में से झाँकते देख लिया था.. लड़का मुस्कुराता हुआ आगे बढ़ गया.. पर उसकी किस्मत खराब थी.. पापा लगभग भागते हुए उसके पिछे गये थे और उसको घसीट'ते हुए घर के सामने ला पटका... सारी कॉलोनी के लोग बाहर निकल आए.. पर कोई कुच्छ नही बोला तहा.. सब चुपचाप खड़े तमाशा देखते रहे.. उनके पापा ने उसको मार मार कर अधमरा कर दिया था.. बाद में पोलीस जीप उसको ले गयी थी.. दोनो लड़कियाँ अपने दिल पर हाथ रखकर खिड़की से सब कुच्छ देख रही थी... वो दिन था और आज का दिन.. लड़कियाँ कभी भी पैदल स्कूल नही गयी... पोलीस की जीप ही उनको लाती ले जाती थी.....
"कहाँ खो गयी प्रिया...!" रिया ने उसके चेहरे के सामने हाथ हिलाया...
"कहीं नही यार.. सच में; पापा ने सही नही किया था.. मारना नही चाहिए था उसको..." प्रिया ने चेर से उठहते हुए कहा...
"कहाँ जा रही हो..?" रिया ने कमरे से बाहर निकल रही प्रिया को आवाज़ लगाई....
"अभी आती हूँ.. ठंडा पानी ले आऊँ.. नीचे से..." प्रिया ने अगले रूम में जाकर खिड़की से बाहर की और झाँका.. राज खिड़की के सामने ही बेड पर बैठा हुआ पढ़ रहा था.. उसको देखकर प्रिया को जाने क्यूँ.. शांति सी मिली! कुच्छ देर वह यूँही खड़ी रही.. करीब 1 मिनिट बाद ही राज ने चेहरा खिड़की की और उपर उठाया.. और खिड़की में खड़ी प्रिया को देखकर खिल सा गया.. प्रिया उसके बाद वहाँ एक पल के लिए भी ना रुकी.. नीचे भाग गयी.. पता नही क्यूँ?

"ए... रिया.. वो तो खिड़की के पास ही बैठा हुआ है..!"
"अच्च्छा.. उसको ही देखने गयी थी.. मैं सब समझती हूँ डार्लिंग.." रिया खिलखिलाकर हंस पड़ी...
" नही यार.. बाइ गॉड.. मैं पानी लेने ही गयी थी.. वो तो बस ऐसे ही दिख गया...." फिर कुच्छ हिचकिचाते हुए बोली," इधर ही देख रहा था..."
"ये कोई नयी बात है.. मुझे तो वो हमेशा इधर ही सिर उठाए मिलता है..." रिया ने बत्तीसी निकालते हुए कहा...
"तो इसका मतलब तू भी उसको देखती रहती होगी.. है ना.." प्रिया ने उसकी और उत्सुकता से देखा.. राज के बारे में बात करते हुए उसके दिल को अजीब सी तसल्ली मिल रही थी...
"मैं क्यूँ देखूं.. भला उस बंदर को.. मुझे भी ऐसे ही दिख जाता है.. जैसे आज तुझे दिख गया..." रिया बेड पर आकर पालती मारकर बैठ गयी...
"हूंम्म.. बंदर.. तुझे वो बंदर दिखता है.. कितना स्मार्ट तो है.. और कितना इंटेलिजेंट भी.." प्रिया अपने आपको रोक ना पाई..
"देखा.. मैं कह रही थी.. ना.. कुच्छ तो बात ज़रूर है.. मैने तुम्हारे मॅन की बात जान'ने के लिए ही ऐसा कहा था.."
प्रिया ने तकिया उठाकर उसके सिर पर दे मारा..," ज़्यादा डीटेक्टिव मत बन.. मुझे उस'से क्या मतलब.. पर सच तो कहना ही पड़ेगा ना.."
" सबके बाय्फरेंड्स हैं प्रिया.. हमारा क्यूँ नही... कितना मज़ा आता ना अगर कोई होता तो..?" रिया ने ये बात पुर दिल से कही थी.. इसमें कोई शरारत नही थी.. प्रिया भी समझ गयी...
" आचार डालना है क्या?... बाय्फ्रेंड का.. मुझे तो कोई अच्च्छा नही लगता.. सब के सब एक जैसे होते हैं... श्रुति का पता है तुझे.. उसको उसका बाय्फ्रेंड बहलाकर अपने कमरे पर ले गया...." दरवाजा बंद करके वापस आई प्रिया अचानक चुप हो गयी...
"फिर क्या हुआ... बता ना..?" रिया आँखें फाड़ कर उसको देखने लगी... पहली बार प्रिया ने उसके सामने इस तरह की बात की थी...
"होना क्या था... बेचारी रोती हुई वापस आई थी..." प्रिया बीच की बात खा गयी.....
"क्यूँ... तुझे कैसे पता..... बता ना प्लीज़..." रिया उसका हाथ पकड़ कर सहलाने लगी....
"उसी ने बताया था... क्यूँ का मुझे नही पता... अब इश्स टॉपिक को बंद कर... पढ़ ले..." कहकर प्रिया ने किताब उठा ली...
कुच्छ देर दोनो में कोई बात नही हुई.. फिर अचानक खुद प्रिया ही बोल पड़ी.. जाने उस पर आज कैसी मस्ती च्छाई हुई थी," किसी को बताएगी नही ना...?"
"प्रोमिस.. बिल्कुल नही बताउन्गि.." रिया का चेहरा खिल उठा... उस उमर में ऐसी बातें किस को अच्छि नही लगती...
"उसने उसके साथ ज़बरदस्ती.. 'वो' कर दिया..." प्रिया ने बोल ही दिया.. रिया को भी यही सुन'ने की उम्मीद थी...
" वो क्या? मैं समझी नही..." रिया कुरेदने लगी....
" अच्च्छा.. इतना भी नही समझती.. जो शादी के बाद करते हैं..." इतनी सी बात कहने से ही प्रिया का चेहरा लाल हो गया था..
"ऊऊऊऊऊ.." रिया ने अपने चेहरे पर आई लालिमा को अपने हाथ से ढक लिया...,"रेप कर दिया?"
"श्ष.... पापा आ गये होंगे.. धीरे बोल.." प्रिया ने अपने मुँह पर उंगली रखकर उसको धीरे बोलने का इशारा किया....
"पर.. वो रोती हुई क्यूँ आई.. मैने तो सुना है की बड़े मज़े आते हैं... पायल बता रही थी... उसने भी किया था... एक बार!" रिया ने धीरे धीरे बोलते हुए कहा...
अंजाने में ही पालती मारकर बैठी प्रिया का हाथ उसके जांघों के बीच पहुँच गया.. और 'वहाँ' दबाव सा बनाने लगा... उसको ऐसा लगा जैसे उसका पेशाब निकलने वाला है...," सुना तो मैने भी है.. पर उसने ज़बरदस्ती की थी.. शायद इसीलिए... मैं बाथरूम जाकर आती हूँ..." कहकर प्रिया उठकर बाथरूम में चली गयी..

No comments:

Post a Comment