Sunday, 7 September 2014

masti ki pathsala - 22

मस्ती की पाठशाला - एक रोमाचंक कहानी  भाग-22
फार्म हाउस पर करीब 23 और 26 साल की छरहरे बदन वाली 2 लड़कियों या यूँ कहें 2 औरतों ने शिवानी को गाड़ी से उतारा और उसको दोनो तरफ से पकड़ कर ले जाने लगी... लुंबी बेहोशी और सदमें से गरस्त शिवानी में विरोध करने की हिम्मत ना के बराबर ही बची थी.. वा उनके साथ साथ लगभग सरक्ति हुई सी चल पड़ी... उसकी आँखों में रात को उसके साथ हुए हादसे का भय सॉफ झलक रहा था...
दोनों लड़कियाँ उसको 3 कमरों और एक लुंबी गॅलरी से गुजर कर नीचे सीढ़ियाँ उतरते हुए एक आलीशान बेडरूम में ले गयी...
वहाँ पहले से ही शिव खड़ा था और बेडरूम के बीचों बीच एक गोलाकार बेड पर एक करीब 19 साल की लड़की बिना कपड़ों के अपने उपर एक पतली सी चादर डाले लेती थी... शिव के इशारा करते ही वो बिस्तेर से उठी और चादर से अपने आपको ढकने का दिखावा करती हुई दूसरे दरवाजे से बाहर निकल गयी...

शिव के कहने पर उन्न लड़कियों ने शिवानी को बेड पर बिठा दिया. शिव ने लड़कियों की तरफ घूमते हुए कहा," अनार का जूस!
और लड़कियाँ अदब से" यस सर!" कहकर वापस चली गयी...

शिवानी उस्स राक्षस की और फटी आँखों से देख रही थी.. जिस ख़ूँख़ार जानवर ने उसके ही घर में उसकी इज़्ज़त को तार तार कर दिया, उससे कुछ कहने या पूछने की हिम्मत शिवानी की ना हुई... शिव उसके सामने दीवार के साथ डाले सोफे पर बैठ गया. और उसको घूर्ने लगा...
तभी लड़कियाँ एक शीशे का जग और 2 ग्लास ले आई... शिव का इशारा पाकर उन्होने जग और ग्लास टेबल पर रखे और वापस चली गयी...
शिव ने एक ग्लास में जूस डाला और खड़ा होकर शिवानी के पास गया," लो!"
उसके हावभाव आवभगत करने वाले नही बल्कि आदेशात्मक थे.. शिवानी का हाथ उठ ही ना पाया...
"एक बात ध्यान से सुन लो! मुझे कुछ भी दोबारा कहने की आदत नही है... यहाँ मेरा हूकम चला है, सिर्फ़ मेरा!.. मैं 5 मिनिट में आ रहा हूँ... अगर ये ग्लास खाली नही मिला तो नंगा करके अपने आदमियों को सॉन्प दूँगा... फिर मुझे मत कहना... उसने ग्लास वापस टेबल पर रखा और बाहर निकल गया...
शिवानी उसकी बात सुनकर काँप उठी... रात का हादसा और यहाँ का माहौल देखकर शिवानी को उसकी एक एक बात पर यकीन हो गया.. वह तुरंत उठी और एक ही साँस में सारा जूस पी गयी...
शिवानी ने अपने चारों और नज़र घुमा कर कमरे का जयजा लिया.. करीब 18'-24' का वो आलीशान बेडरूम शिव के अइयाश चरित्रा का जीता जागता सबूत था.. चारों और की दीवारें अश्लील चित्रों से सजी हुई थी... सामने दीवार पर प्लास्मा टी.वी. टंगा हुआ था.. कमरे के चारों कोनो में कैमरे लगे हुए थे जिनका फोकस बेड पर ही था...

उसका ध्यान अपनी अस्त व्यस्त नाइटी पर गया. ब्रा के हुक पीछे से खुले हुए थे.. और बस जैसे तैसे अटकी हुई थी... उसने नाइटी में हाथ डालकर अपनी पनटी को दुरुस्त किया. ब्रा के हुक बँधकर वा धम्म से बेड पर गिर पड़ी... उसकी आँखों से आँसू बहने लगे........

करीब 6-7 मिनिट के बाद शिव उसी लड़की के साथ बेडरूम में दाखिल हुआ.. जो शिवानी को बेडरूम में आते ही बेड पर लेटी मिली थी.. वा अभी भी उस्स पतली सी चादर में थी. उसका यौवन छलक छलक कर बाहर से ही दिखाई दे रहा था. शिवानी को वो गौरी की उमर की लगी. पर जैसे ही उस्स लड़की ने शिवानी की तरफ देखा. शिवानी ने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया..शिव ने आते ही खाली हो चुके गिलास को देखा," वेरी गुड! लगता है तुम्हारी समझ में आ गया है.. प्राची!... इसका खास
ध्यान रखना.. जब भी तुम्हे लगे की इसको किसी चीज़ की ज़रूरत है इसको दे देना... अगर मना करे तो मुझे फोन कर देना; समझी! प्राची शिवानी को देख कर मुस्कुराइ...," ओक सर! मैं इसका ख़ास ध्यान रखूँगी...!" उसकी मुस्कान में एक अलग ही तरह की धमकी थी.....!
शिव ने उसके शरीर से लिपटी वो चादर खींच ली, प्राची के चेहरे पर शिकन तक ना पड़ी... वो घूम गयी और चादर को अपने शरीर से अलग होने दिया... बिल्कुल नंगी प्राची के चूतड़ अब शिव की आँखों के सामने थे.. शिवानी ने ग्लानि से अपनी आँखें बंद कर ली... सोफे पर ही प्राची को झुका कर शिव उस्स पर सवार हो गया... पागल कुत्ते की तरह... दोनो की वासना से भारी आवाज़ें शिवानी के कानो में शीशे की तरह उतरने लगी.......

गौरी चाय बनाकर ले आई... अंजलि और राज चाय पीने लगे... गौरी ने निशा को उठा दिया और बाथरूम में चली गयी...


निशा इश्स हालत में खुद को सर के सामने देखकर झेंप गयी... वह उठी और अंजलि के बेडरूम में भाग गयी... अंजलि ने राज से पूचछा," कब आ रही हैं आपकी श्रीमती जी?"
"क्यूँ? मेरी आज़ादी देखकर जलन हो रही है क्या?" राज ने ठहाका लगाया...
"जैसे तुम्हे बाँध कर रखती है... बड़े आए आज़ादी के दीवाने...!"
तभी टफ की अंदर से आवाज़ आई," अरे भाई ये मेरे सिर के नीचे फोन क्यूँ रख दिया... कब से घरर घाररर कर रहा है...?"
"आबे तेरा ही होगा!... मेरा फोने तो दो दिन से ऑफ है....!" राज ने टफ की बात पर ज़्यादा ध्यान नही दिया... और फिर से अंजलि से बात करने लगा...

टफ उठ कर बाहर आया," ऐसे सस्ते फोन मास्टर ही रख सकते हैं.." उसने फोने टेबल पर पटक दिया...
फोने देखते ही राज की आँखें मारे अचरज के फट गयी... ," अरे! शिवानी अपना फोन यहीं भूल गयी...!" तभी मोबाइल पर फिर से घंटी बज गयी... राज ने फोने उठाया.. डिसप्ले पर 'मम्मी जी कॉलिंग' आ रहा
था... राज ने फोने उठा लिया..," हेलो!"
उधर से किसी की आवाज़ ना आई...
"हेलो..... शिवानी! .... हेलो!"
फोने कट गया!" ये शिवानी भी ना...
उसने देखा फोने पर करीब 45 मिस कॉल थी... सारी 'मम्मी जी' के फोने से...

कॉल का टाइम देखने के लिए जैसे ही उसने ऑप्षन का बटन दबाया... उसकी हैरत और बढ़ गयी..," मेरी सासू मा के पास तो टाटा
का फोने है... ये एरटेल का नंबर. कब लिया... शिवानी ने तो फ्री बात करने के लिए टाटा का फोने ही ले रखा था... फिर एरटेल का नंबर.
वह उठकर गया और अपना फोने चार्जिंग पर लगा कर ऑन किया... उसमें से अपनी सासू मा का नंबर. निकाला... उसके पास तो टाटा का ही नंबर. सेव्ड था... उसने नंबर. डाइयल कर दिया...
उधर से आवाज़ आई," हेलो!"
"हां जी कौन?" राज अपनी सास से ज़्यादा बात नही करता था.. इसीलिए दोनो
एक दूसरे की आवाज़ नही पहचानते थे... उसकी सास के पास राज का नंबर.
भी नही था..
"अरे बेटा! आपने फोने किया है... बताइए तो सही कौन बोल रहा है..."
"जी मैं राज बोल रहा हूँ!"
"ओहो! सॉरी बेटा! शिवानी कैसी है..."
राज को जैसे लकवा मार गया हो.." ज्ज्ज... जी वो तो आपके पास ही तो है...!"
"क्या? कब आई.. मैं तो कल यहाँ जिंद आ गयी थी बेटा!"
"कमाल कर रही हैं मम्मी आप भी! तीन दिन पहले आप ही ने तो बुलाया था...! वो तो उसी दिन आपके पास चली गयी थी..."
उधर से भी घबराई हुई सी आवाज़ आई," क्या कह रहा है बेटा... मैने तो कोई फोन नही किया.....!"
राज के सामने धरती घूमने लगी.... पता नही एक ही पल में उसके दिमाग़ में क्या क्या आने लगा. उसको याद आया जाते हुए शिवानी कह रही थी... तुम घर पर फोने मत करना... मैं ही करती रहूंगी...."
राज अपना सिर पकड़ कर सोफे पर बैठ गया... उसकी हालत देखकर.. सभी उसके चारों और जमा हो गये.. टफ ने उसके कंधे पर हाथ रखा," क्या हुआ दोस्त!"

राज ने कोई जवाब दिए बिना शिवानी के फोने से मम्मी जी का नंबर. निकाला.. 98963133**. वा अंजलि को लेकर बेडरूम में चला गया...!
वह अंजलि को कुछ बताने लगा ही था की टफ अंदर आ गया," मुझे क्या चूतिया समझ रखा है... क्या मुझे नही बताएगा... क्या हुआ?
राज उसको बाहर छोड़ कर आने पर शर्मिंदा हो गया," सॉरी यार! आ बैठ!"
"आबे बिठाना छोड़! तू बता तो सही... हुआ क्या है ऐसा, जो तेरे फूल से चेहरे पर मक्खियाँ सी उड़ाने लगी... " अपनी बेकद्री देख टफ को गुस्सा आया हुआ था... तभी निशा ने कहा," मैं जाती हूँ मेडम!" और वो चली गयी...
गौरी बाथरूम में से सब सुन रही थी...
"यार! वो शिवानी; झूठ बोल कर गयी है.... ये नही पता कहाँ... पर जहाँ भी गयी है.. इश्स नंबर. के मालिक को सब पता है... उसने एरटेल का नंबर. टफ को दिखाया..
अब टफ भी उसकी चिंता का कारण समझ गया... ," सॉरी यार! मुझे ऐसे ही गुस्सा आ गया..."
तभी राज के फोने पर शिवानी की मम्मी की कॉल आ गयी... राज ने फोने उठाया..
उसकी सास की आवाज़ आई," बेटा! मुझे चिंता हो रही है.... बता तो सही क्या बात है...!"
"आपकी बेटी मुझसे आपके पास जाने की कहकर कहीं और चली गयी है.. तीन दिन से... आप समझ ही रही होंगी इसका मतलब! और तो और उसने किसी से झूठा फोने भी कराया था... आपके नाम से....!" राज ने गुस्से में कहा और फोने काट दिया...

अंदर गौरी को उनकी बातें सुनकर जाती हुई शिवानी का चेहरा याद आया... हॅंगर पर टाँगे हुए कपड़े देख कर वो चौंक उठी," यही तो कपड़े पहन कर गयी थी... शिवानी दीदी!"
वह कपड़े उठाए बाहर आ गयी और उन्हे राज के सामने वो कपड़े दिखा कर कहा," सर ये कपड़े....!"
और कुछ कहने की ज़रूरत गौरी को पड़ी ही नही... राज उन्हे देखते ही पहचान गया... इश्स ड्रेस में शिवानी बहुत हसीन लगती थी... जाते हुए उसने यही तो पहने थे... तो क्या शिवानी वापस आई थी...

ये सब सुनकर सबका दिमाग़ चकरा गया... टफ ने सिग्गेरेत्टे सुलगा ली... गोल्ड फ्लॅक बड़ी!!!
किसी की समझ में कुछ नही आया... टफ ने अपने ऑफीस फोने किया," हां! धरमबीर! मैं अजीत बोल रहा हूं... एस पी साहब को कहकर एक नंबर. सुर्विल्लंसे पर लगवा दो... और पता करो किधर का है..."" ओ.के. सर!" उधर से आवाज़ आई... टफ ने नंबर नोट करवाया और फोने काट दिया...
घर में जैसे मातम छा गया... किसी की समझ में कुछ नही आ रहा था... अगर शिवानी वापस आई थी तो गयी कहाँ.... और झूठह बोल कर गयी थी तो कहाँ और क्यूँ गयी थी...
"तुम उसके सारे कपड़े पहचान सकते हो!" टफ ने सिग्गेरेत्टे बुझते हुए राज से पूछा....
"क्यूँ?" राज ने उल्टा सवाल किया...
"तू बात की बेहन को मत चोद! जो पूछ रहा हूँ बता..." टफ भी अत्यंत विचलित था... वो पॉलिसिया रोल में आ गया था... गाली बकते हुए उसने ये भी ध्यान नही दिया की अंजलि और गौरी भी वहीं खड़ी हैं...
"नही! सारे तो नही... पर एक आध जो मुझे अच्छे लगते हैं... वो पहचान सकता हूँ...
"टफ ने गौरी को निर्देश दिया " उसके जीतने भी कपड़े घर में हैं... सब उठा ला!" गौरी चली गयी...
सारे कपड़े देखने के बाद राज बोला," जो मैं पहचानता हूँ वो तो सब यही हैं... !"
"बॅग लेकर गयी होगी"
"हां! पर बॅग तो नही है...."
बॅग अभी तक गाड़ी में ही रखा हुआ था जो रात को शिव ने लाश समझकर शिवानी को पार्सल करते जाते समय साथ ही रख लिया था...

"तुम्हे क्या लगता है?" टफ ने करवाई शुरू कर दी थी... वो हर आंगल से सोच रहा था....
"अब मुझे क्या लगेगा यार..."
"अंजलि जी! आपके पति कहाँ हैं?"
"वो तो सुबह जल्दी निकल गये थे.... देल्ही के लिए.. दो तीन दिन में आएँगे..." सहमी हुई अंजलि ने जवाब दिया...
राज को अंजलि से सवाल करना अच्छा नही लगा " यार तू बात को कहाँ से कहाँ लेकर जा रहा है..."
"राज साहब! इन्वेस्टिगेशन का उसूल होता है... तहकीकात खुद पर शक करके चलने से शुरू होती है... अगर ज़रूरत पड़ी तो मैं आपसे भी पूछूँगा... क्या वजह थी की आपने पूरे रास्ते फोन बंद रखा!"

अभी मैं जा रहा हूँ... पहले साले उस्स नंबर. की मा चोदता हूँ... गौरी टफ को कड़वी निगाहों से देख रही थी.......
फार्महाउस पर बेडरूम के दरवाजे पर एक नयी हूर प्रकट हुई.. शिव ने प्राची से अपनी भूख मिटाने के बाद वहीं बेडरूम में ही बैठा था... शिवानी ने काई बार उससे पूछने की कोशिश की यहाँ लाने के कारण के बारे में पर शिव ने उसकी किसी बात का उत्तर देना ज़रूरी नही समझा... जब बैठा नही रहा गया तो वो मुँह फेर कर लेट गयी...
शिव बाहर चला गया और प्राची को उसके पास भेज दिया," ध्यान रहे! उसको किसी भी तरह से हमारी जगह के बारे में कोई आइडिया ना होने पाए.."
"लेकिन सर! उसका करना क्या है..?" प्राची ने शिव से सवाल किया.
"अभी तो मुझे भी नही पता क्या करना पड़ेगा.. बेवजह की टेन्षन मोल ले ली.. शराब के नशे में... खैर तुम अभी उसके पास जाओ.. और उसको हर बात से ये ही शो होना चाहिए की मैं कोई बहुत बड़ा गुंडा हूँ.."
प्राची मुश्कुराइ.. उसकी पॅंट के उपर से उसके लंड को दबाया और बोली," सर गुंडे तो आप हैं ही...!" शिव ने उसके गाल पर काट लिया.

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