नये स्कूल का पहला दिन... राज बहुत रोमांचित था पर अंदर ही अंदर झिझक की एक हुल्की सी मेहराब उसको उसके फुदकते दिल को काबू में रखने की नसीहत दे रही थी... जैसे ही उसने स्कूल के गेट से प्रवेश किया.. हज़ारों की संख्या में यहाँ वहाँ मंडरा रही 'तितलियों' के हृदयस्पर्शी दृश्यों ने उसका स्वागत किया.. 'आ.. लड़कियाँ कितनी प्यारी होती हैं.. कितनी स्वप्निल, कितनी कातिल.. नज़र के ही एक वार से घायल कर दें.. '
पर राज की आँखें तो उसी चेहरे को ढ़हूंढ रही थी जो उसको कल खिड़की में से नज़र आया था.. और फिर सारी रात निकल ही नही पाया.. उसके ख़यालों से..
"चल यार.. क्या ढूँढ रहा है..? आरती मेडम की क्लास है प्रेयर से पहले.. अगर आ गयी होंगी तो दरवाजे पर ही क्लास ले लेंगी..." वीरेंद्र ने राज के बॅग को पकड़ कर खींचा...
"आन....हाँ.. चल!" राज की नज़रें फिर भी उसके कदमों का साथ नही दे रही थी...
"श.. लगता है मेडम आ गयी.. अब देखना..."
"मे आइ कम इन मेडम?" वीरेंद्र ने एक हाथ में राज का हाथ पकड़े दूसरा हाथ आगे बढ़ाया...
"ये लो भाई... हाइह्कोर्ट ने 'गे ऑर्डर' क्या पास कर दिया.. लोगों ने तो हम लॅडीस को नोटीस करना ही छ्चोड़ दिया.. अब तक कहाँ रंगरलियाँ माना रहे थे..?" और क्लास में ठहाका गूँज उठा... आरती मेडम की तीखी आवाज़ वीरेंद्र के कानों में मिर्ची की तरह पड़ी...
"नही.. मेडम.. वो.. इसने अभी अड्मिशन लिया है.. आज पहला दिन था.. सो...." वीरेंद्र ने बच्चों के ठहाकों पर ध्यान नही दिया..
"ओह्ह्हो.. नया लड़का...! गॅल्स.. देखो..! नया लड़का आया है.... तो क्या आरती उतारें इसकी.. स्कूल के टाइम का नही पता क्या तुम लोगों को.." आख़िरी लाइन बोलते बोलते आरती मेडम चीख सी पड़ी थी..
"सॉरी मेडम.. वो.. आगे से ऐसा नही होगा..! प्लीज़ लेट अस कम इन..!"
"नो! नो वे.. जस्ट स्टे आउटसाइड..!" कहकर आरती ने क्लास की और रुख़ कर लिया..
मायूस वीरेंदर और राज कॅंटीन में आकर बैठ गये...
"यार यहाँ तो बड़ा स्ट्रिक्ट माहौल है.. पहले ही दिन किरकिरी हो गयी.." राज ने भावपूर्ण तरीके से वीरेंदर की और देखा...
"नही यार.. सब ऐसे नही हैं.. बस यही एक खड़ूस मेडम है जो बच्चों की नाक में दम रखती है.. पता नही कब रिटाइर होगी... " वीरेंदर ने उसको दिलासा दी...
"यार.. वो लड़की भी इसी स्कूल में है.. तू कह रहा था..?" राज मतलब की बात पर आ गया...
"यार तू आदमी है की बंदर.. एक बात के पिछे ही चिपक गया.. इसी स्कूल में ही नही.. इसी क्लास में भी है.. पर यार.. तू उसका चक्कर छ्चोड़ दे.. मरवा देगी.. देखा नही.. कैसे दाँत निकल कर हंस रही थी अभी.. क'मिनी!"
"क्या? अपन ही क्लास में है.. " और राज की आँखें चमक उठी....
प्रेयर की बेल होते ही सभी ग्राउंड में जाकर कक्षानुसार पंक्तिबद्ध होना शुरू
हो गये.. लड़कियाँ एक तरफ खड़ी थी.. लड़के दूसरी तरफ.. राज और वीरेंद्र कक्षा के सबसे लंबे लड़के थे सो वो दोनो सबसे पिछे खड़े थे...
"ओये राज.. वो देख प्रिया!" वीरेंदर ने अपनी कोहनी से राज के पेट पर टच किया..
"कहाँ?" राज के दिल में घंटियाँ सी बज उठी..
"वहाँ... सामने मंच पर.. पाँचों लड़कियों के बीच में खड़ी है.. अब जी भर कर देख लेना... " वीरेंदर हल्क से फुसफुसाया...
"ओह... " सिर्फ़ यही वो शब्द थे जो राज के मुँह से प्रतिक्रिया के रूप में निकले.. उसका मुँह खुला का खुला रह गया.. धरीदार स्कर्ट और जगमगाती हुई सफेद शर्ट पहने प्रिया को सिर से पाँव तक देखकर राज की साँसे सीने में ही अटक गयी..
प्रिया हाथ जोड़े नज़रें झुकाए प्रेयर करने लगी.. नख से सिख तक उसके शरीर का कतरा कतरा शरबती मिठास संजोए हुए था.. कपड़ों में से झाँकते संतरी उभारों में मानो नयन चुंबक लगा हो.. नज़रें चिपक जायें.. जैसे राज की चिपकी हुई थी.. लंबा छरहरा वक्राकार बदन किस को पागल ना बना दे.. सो राज भी हो गया.. पहली नज़र में ही घायल... उसकी आँखें बंद ही ना हुई.. प्रेयर के लिए.. उसको लगा जैसे प्रिया उसी के लिए गा रही है.. 'प्रेम-गीत'
उसका ये सुखद अहसास प्रेयर के ख़तम होने के बाद भी जारी रहा और उसकी नज़रें प्रेयर के बाद अपनी लाइन में जाकर खड़ी हुई प्रिया का पिच्छा करते हुए लगभग 90 डिग्री पर घूम गयी.. उसके चेहरे के साथ...
"हे यू! लास्ट बॉय इन 12थ.. वॉट'स अप?" आगे खड़ा एक टीचर गुस्से में गुर्राया..
वीरेंद्र ने कोहनी मार कर राज का ध्यान भंग किया..," तू तो गया यार...!"
"सस्स्सोररी सर.." कहकर राज ने सीधा खड़ा होकर नज़रें झुका ली...
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