Tuesday, 7 October 2014

masti ki pathsala - 43

मस्ती की पाठशाला - एक रोमाचंक कहानी  भाग-43

 "दिशा को जाने क्यूँ अहसास था की ये नौटंकी हो सकती है.. और जब उसने पेट पर पसरे हाथ को उठाकर गुदगुदी की तो सच सामने आ गया.. वाणी से गुदगुदी सहन नही होती थी.. वह खिलखिलकर अपने को हँसने से ना रोक पाई.. फिर आँखें खोल कर मिन्नत सी की..," सोने दो ना दीदी.. प्लीज़.. मैं यहीं सो जवँगी.. सोफे पर ही.."
अगर मनु अकेला होता तो शायद एक पल के लिए वह अपनी जान को उसकी जान के साथ ही छ्चोड़ भी देती.. पर अमित भी तो साथ था..," नही! चलो बाहर.." आँखें दिखाते हुए दिशा ने वाणी को डाँट लगाई..
मायूस वाणी उठी और रुनवासी सी होकर पैर पटकती कमरे से बाहर जाकर चारपाई पर पसर गयी.. जाने क्या अरमान थे जो खाक हो गये...

"लाइट ऑफ कर दूँ...?" दिशा ने मनु की और देखते हुए कहा..
बेचारे मनु की तो बत्ती गुल हो ही चुकी थी.. जवाब अमित ने दिया..," हां कर दो!"

और अंदर की लाइट ऑफ हो गयी.....

करीब आधा घंटा बाद....

वाणी रो धोकर सो चुकी थी.. दिशा भी गहरी नींद में थी.. पर अमित, मनु और गौरी... तीनो की आँखों से नींद गायब थी.. किस्मत से मिले इश्स मौके को कोई गँवाना नही चाहता था..
"तूने अंदर सोने को क्यूँ कहा.. कम से कम बात तो करते ही रहते..!" मनु को अमित पर गुस्सा आ रहा था..
"थोड़ी देर में अपने आप पता चल जाएगा.. जागता रह.. बस एक काम करना.. कोई भी अगर अब अंदर आए तो हम में से एक बाहर चला जाएगा.. बाकी अपनी अपनी किस्मत..!" अमित ने गुरुमन्तरा मनु को दिया..
"कोई आए मतलब..? तुझे कोई भ्रम है क्या प्यारे!" हालाँकि मनु को उसकी ये आस बहुत प्यारी लगी थी..
"भ्रम नही है बेटा.. पूरा यकीन है.. मैने तो गौरी को इशारा भी किया था.. पता नही समझी की नही.. अगर कोई नही भी आया तो मैं पक्का बाहर जाउन्गा.. तू बता देना.. वाणी को अंदर भेजना हो तो..!" अमित की इश्स बात ने मनु को चौकने पर विवश कर दिया...
"मतलब.. तू.. ?"
"हां.. बिल्कुल ठीक समझा... मैं और गौरी.. अकेले..! तू क्या समझता है.. इतनी मेहनत में यूँही बेकार होने दूँगा... कभी नही..
बस एक बात याद रखना.. अगर गौरी यहाँ आ जाए तो नींद की आक्टिंग किए रहना.. और जब में उसको पूरी तरह तैयार कर दूँ तो एकदम से उठकर बाहर चले जाना.. फिर बाहर चाहे अपनी किस्मत पे रोना या वाणी के साथ सोना.." कहकर अमित मुस्कुराया..
"आइ कान'ट बिलीव यार.. वो नही आएगी.. हाँ अगर राज शर्मा ये कहता तो मैं ज़रूर मान लेता" मनु की पॅंट जांघों पर से बुरी तरह टाइट हो गयी थी..
"तो मैं कब शर्त लगा रहा हूँ.. आ गयी तो ठीक वरना मैं बाहर जाकर उसको जगा लूँगा"
इंतज़ार करते करते जाने कब मनु गहरी नींद में खो गया; पता ही ना चला..
अचानक अंधेरे कमरे के बाहर मद्धयम प्रकाश में एक साया सा उभरा

अमित दम साध कर ये अंदाज़ा लगाने में जुट गया की आख़िर किसकी किस्मत चमकी है.....

अचानक बाहर की लाइट ऑफ हो गयी.. और जो कुच्छ थोड़ा बहुत नज़र आ रहा था वो भी बंद हो गया.. घुपप अंधेरा!

अमित दीवार की और लेटा था.. अब किसी को मालूम नही था की जो साया उनको दिखाई दिया था.. उसने कमरे में प्रवेश किया भी या नही.. मनु गहरी नींद में खो चुका था पर अमित को यकीन था की आने वाली गौरी ही है.. और वो पूरी तरह तैयार था...
पैर दबा कर चलने की हुई हुल्की सी आहट से अमित को अहसास हुआ की दोनो में से एक अंदर आ चुकी है..
अचानक अमित के पैरों पर कोमल हाथ के स्पर्श ने उसके खून को एकदम से गरम कर दिया.. एक पल को उसके दिल में ख़याल आया की उठ कर गौरी को लपक ले.. पर वा जल्दबाज़ी नही करना चाहता था.. सो चुपचाप लेटा रहा..

गौरी का हाथ धीरे धीरे बिना ज़्यादा हुलचल किए उपर की और आता जा रहा था और इसके साथ ही अमित के साँसों में से उसके उबाल चुके खून की गर्मी बढ़ती जा रही थी..
अचानक गौरी ने अपना हाथ वापस खींच लिया और खड़ी हो गयी.. फिर धीरे से फुसफुसाई.. "मनु!"
अमित का दिमाग़ ठनका.. तो क्या ये वाणी है??? पर ऐसा कैसे हो सकता है.. दोनो को हमारी पोज़िशन का पता था.. वह बोलने ही वाला था की अचानक वही फुसफुसाहट अमित के लिए उभरी..," अमित!"
अमित फिर भी कुच्छ ना बोला.. क्या पता जो कोई भी है.. पहले यकीन कर लेना चाहती होगी की दूसरा जाग तो नही रहा.. ये सोचकर अमित ने चुप्पी ही साधे रहना ठीक समझा.. या फिर क्या पता अमित के मॅन में पाप आ गया हो.. गौरी जैसी तो कोईमिल भी जाए.. पर वाणी जैसी तो कोई दूसरी हो ही नही सकती.. भले ही एक दिन के लिए ही क्यूँ ना हो.. भगवान जाने! पर अमित ने निस्चय कर लिया की वो अपनी सोने की आक्टिंग जारी रखेगा और एक बार झड़ने के बाद ही कुच्छ सोचेगा....

जब साए को यकीन हो गया की दोनो सो रहे हैं तो अमित को भी यकीन हो गया की वो गौरी ही है.. पर फिर भी उसको ये देखने में मज़ा आ रहा था की गौरी को सेक्स ज्ञान कितना है और वो क्या क्या करती है...

गौरी आकर अमित के पैरों के पास धीरे से बैठ गयी.. फिर से उसने उसी तरह अपने हाथों को पैरों पर उपर की तरफ चलना शुरू कर दिया.. घुटनों के पास अपना हाथ लाकर गौरी ने हुल्के हुल्के अपने हाथों का दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया.. अमित ने अब भी कोई हुलचल नही दिखाई.. हालाँकि उसकी साँसें ना चाहते हुए भी तेज़ होती जा रही थी..
कुच्छ सोच कर गौरी ने अमित के घुटनो से थोड़ी उपर चट'की काट ली.. पर जीन्स पहने होने की वजह से अमित को ज़्यादा दर्द नही हुआ इसीलिए वह सोते रहने का नाटक करने में कामयाब रहा...
गौरी अपना हाथ थोड़ी उपर और ले गयी.. अब उसका हाथ अमित की पॅंट के सख्ती से उभरे हुए हिस्से पर रखा था.. जब उसने उसको हल्क से सहलाना शुरू किया तो अमित को खुद पर काबू रख पाना मुश्किल हो गया.. उसको लगा की या तो अब पॅंट फट जाएगी या फिर उसका लंड टूट जाएगा..
खैर जल्दी ही उसको इश्स असमन्झस से छुटकारा मिल गया... 'चिर्र्ररर' की आवाज़ के साथ थोड़ी थोड़ी करके गौरी ने उसकी जीप खोल दी.. जीप खुलते ही उसका लंड फंफनता हुआ अंडरवेर के कपड़े में लिपटा खुद ही अपना रास्ता बना कर बाहर निकल आया...
गौरी भी इतनी पागल तो नही थी की उसके लंड की बेकरारी और उसकी लगातार तेज़ हो रही साँसों के बाद भी उसको नींद में ही समझे.. लंड को अपने हाथ में दबाए वह बिस्तेर पर अमित की बराबर में सीधी लेट गयी और उसकी मादक साँसों के अपने चेहरे पर इतनी करीब से इनायत बक्शने से अमित का रोम रोम खिल उठा.. अब वह इश्स बात के लिए तड़प रहा था की कब गौरी उसके लंड को उसके अंडरवेर से निजात दिलाकर सीधे अपने कोमल हाथों में उसको पकड़ेगी....
"आइ लव यू अमित!" अमित के कानो में मस्ती भारी फुसफुसाहट हुई.. अब इसमें कोई शक नही था की सोते हुए पर कहर बरपाने वाली और कोई नही.. बुल्की गौरी ही थी.. फिर भी जितना मज़ा अमित को अब आ रहा था.. इतना उसको जाग कर भी नही मिलता.. इसीलिए उसने गौरी की बात का कोई उत्तर नही दिया..
"मुझे पता है.. तुम जाग रहे हो.. प्लीज़ बाहर आ जाओ.. बाथरूम में.." अमित के कान में इतनी धीरे से बोला गया की कहीं मनु ना जाग जाए.. पर अमित को डर थोड़े ही था.. वह सोया पड़ा रहा.. हर लम्हें को अपनी साँसों में समाने की कोशिश करता हुआ..
कोई जवाब ना मिलने पर गौरी ने अपनी जीभ निकाल और अमित के कान के अंदर डाल कर घुमाने लगी.. उफफफफ्फ़.. हालाँकि अमित का ये पहला सेक्स नही था पर उसको लगा की वो इतना हूल्का हो गया है की अभी आसमान में ही उड़ जाएगा.. अमित हद से ज़्यादा बेचैन हो गया.. ये लंड को आज़ाद क्यूँ नही करती.. उसको भी तो खुलकर मज़े लेने का अधिकार है..
आख़िरकार भगवान ने उसकी सुन ली.. या यूँ कहें की गौरी ने... गौरी उठ बैठी और अंडरवेर में से उस बेमिसाल हथियार को बाहर निकालने का रास्ता खोजने लगी.. गौरी की उंगलियों ने इशारा सा दिया और 6" लंड 'फुक्कक' की आवाज़ के साथ अंडरवेर से बाहर.. अंडरवेर के अंदर कितना रह गया ये अंदाज़ा गौरी लगा नही पाई.. उसके लिए इतना काफ़ी भी था..
कोमल उंगलियाँ कुच्छ पलों तक लंड पर लहराती हुई उसकी मोटाई का जायज़ा लेती रही.. अमित पसीने से तरृ हो गया.. उसको अहसास हो गया की दुनिया का सबसे मुस्किल काम उस वक़्त अपने जज्बातों को काबू में रखना है.. गौरी को अहसास था की वो जाग चुका है और वो मूर्ख खुद को धोखे में रखता हुआ निढाल पड़े रहने की कोशिश करता रहा..
लंड के सूपदे पर उंगलियों की हुलचल ने तो उसका दम ही उखाड़ दिया.. लंड गौरी के छ्होटे हाथों में पूरा नही समा रहा था.. पर सारा दोष उसके हाथों के साइज़ को भी नही दे सकते.. वो फूल कर मोटा ही इतना हो गया था...
कुच्छ देर बाद उंगलियाँ नीचे सरक गयी और सूपदे को किसी गीले मुलायम फंदे ने कस लिया.. ओह माइ गॉड! ये तो गौरी के होन्ट थे..
"ऊऊऊऊष्ह!" इश्स हरकत ने अमित का व्रत आख़िरकार तोड़ ही दिया और वो सिसकारी भर बैठा... लगातार धीरे धीरे उपर से आधे तक लंड का रसमयी होंटो ने नाप लेना शुरू किया तो अमित की सिसकारियाँ अविचल शुरू हो गयी...
"ओह.. माइ गॉड.. क्या चीज़ हो तूमम्म.. थॅंक्स जान.. धीरे करो.. मैं मार जवँगा.. सहन नही.." अमित की आवाज़ जब ऊँची होने लगी तो गौरी के दूसरे हाथ ने उसका मुँह बंद कर दिया..
"आवाज़ मत करो जान.. मनु उठ जाएगा...
अमित का दिल किया की मनु को उठाकर बाहर भेज दे और खुलकर अपनी मर्दानगी पर गौरी को नचाए.. पर उसको डर था की कहीं मनु के जाग जाने पर गौरी हिचक कर चली ना जाए या खुलकर साथ ना दे.. उसने कम से कम एक बार तो ऐसे ही जन्नत की सैर करते रहने का मॅन पक्का कर लिया..
गौरी ने अपने रसीले होंठो से अमित के होंठों को क़ैद कर लिया.. उम्म्म्ममम.. इतने नरम होंठ आज तक कभी अमित ने चखे नही थे..
अमित ने गौरी का चेहरा दोनो हाथो में पकड़ा और कम से कम हुलचल करने की कोशिश करता हुआ अपने और गौरी के तूफान को भड़काता रहा..
करीब 5 मिनिट बाद गौरी ने अमित के कानो में फुसफुसाया.. बाहर आ जाओ ना प्लीज़.. बाथरूम में.."
"नही.. यहीं ठीक है जान.. मनु की नींद गहरी है.. नही खुलेगी.. एक बार यहीं कर लो.. मैं इस्सको बीच में छ्चोड़ना नही चाहता.. और अमित ने अपने हाथों में कपड़ों में क़ैद गौरी की गोलाइयों को भर लिया.....
"ओके. बस एक मिनिट.. मैं कपड़े निकाल कर आती हूँ.. तुम भी तब तक.. कहकर गौरी उठी और दबे पाँव कमरे से बाहर निकल गयी...

कुच्छ ही मिनिट बाद जब गौरी वापस आई तो वो चादर में लिपटी हुई थी.. अगर चादर नही भी होती तो कोई फ़र्क़ नही पड़ना था.. क्यूंकी कमरे में घुपप अंधेरा पसरा हुआ था..
तब तक अमित भी अपनी जान के आदेशानुसर बिल्कुल नंगा हो चुका था.. आते ही गौरी खून की प्यासी जोंक की तरह अमित के नंगे बदन से चिपक गयी.... दो जवान जिस्म नंगे टकराए तो जोश का सैलाब सा दोनो में उमड़ पड़ा.. अमित ने पलक झपकते ही गौरी की चूचियों को हाथों में लपकते हुए उन्न पर बने बड़े अनारदानो से रस निकालने की कोशिश करने लगा.. गौरी भी बहक चुकी थी.. अब उस'से एक पल का भी इंतजार नही हो रहा था....
मैं तुम्हे अपने अंदर लेना चाहती हूँ अमित.. प्लीज़!"
अमित तो कब से यही माला रट रहा था..,"उपर आ जाओ!"
"नही.. मनु जाग जाएगा.. बाथरूम में चलो ना प्लीज़....." धीरे से गौरी उसके कान में फुसफुसाई....
"ठीक है.. चलो.. कहकर अमित ने गौरी को छ्चोड़ दिया..
गौरी उठकर धीरे धीरे चलती हुई बाथरूम में चली गयी.. अमित उसके पिछे पिछे....
अमित ने गौरी को अपनी बाहों मैं भर लिया उसने एक हाथ से बाथरूम की लाइट ऑन कर दी जब लाइट की चमक उसकी आंखों पर पड़ी तो उसने अपनी बंद आँखें खोल दी अमित ने देखा वह तो एक सपना था लकिन सपना कितना प्यारा था अब अमित ने फ़िर से अपनी आँखे बंद कर ली और जल्दी ही वह सपने मैं खो गया

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