Monday, 20 October 2014

masti ki pathsala - 52

मस्ती की पाठशाला - एक रोमाचंक कहानी  भाग-52
प्रेयर के बाद राज क्लास में घुसा ही था की एक लड़की ने उसका रास्ता रोक लिया," नये हो..?"
"हाँ.." जब आगे जाने का रास्ता नही मिला तो राज ने वही खड़े होकर एक शब्द में उत्तर दिया....
"सुनो! सुनो! सुनो! ये नया है.. अभी बनकर आया है.." लड़की के ऐसा कहते ही क्लास में हँसी का ठहाका गूँज उठा...
"आ स्वाती! माइंड उर लॅंग्वेज.. जस्ट श्युटप आंड पुट डाउन युवर..." वीरेंदर का रुतबा ही ऐसा था की लड़कियाँ तो उसके नाम से ही बिदक्ति थी.... शानदार गठीले बदन का जवान होने के कारण लड़कियाँ उस पर जान तो छिदक्ति थी पर जान जाने का डर भी उनके मॅन में रहता था.. सुनते हैं की एक लड़की के प्रपोज़ करने पर वीरेंदर ने उसको खींच कर एक तमाचा दे दिया था.. पाँचों उंगलियाँ उसके चेहरे पर छप गयी थी.. तब से ही लड़कियाँ.. बस दूर से ही आ भर कर काम चला रही थी..
"मैं तुमको क्या कह रही हूँ.. " और लड़की की आँखों में आँसू उतर आए.. वह वापस अपनी बेंच पर जा बैठी..
"यार... लड़की को ऐसे नही डांटना चाहिए.." राज ने वीरेंदर के साथ अपनी बेंच पर
बैठते हुए कहा..
"हाँ.. नही कहना चाहिए.. मैं भी मानता हूँ.. पर लड़की को भी तो अपनी मर्यादायें याद रखनी चाहियें...
"यार.. उसने मज़ाक ही तो किया था.. मैं सॉरी बोलकर आता हूँ.." इससे पहले की वीरेंद्र कुच्छ बोलता.. राज उसके बेंच तक पहुँच गया था..
उसने वहाँ जाकर 'सॉरी' बोला ही था की दरवाजे से वही सुरीली आवाज़ आई जो उसने रात को सुनी थी.."नया लड़का कौन है?"
और एक बार फिर पूरी क्लास में ठहाके गूँज उठे... 'नया लड़का!'
"इसमें हँसने वाली क्या बात है.. मैने कोई जोक सुनाया है.." प्रिया को एक मिनिट पहले हुए तमाशे की जानकारी नही थी...
राज पलट गया.. उसका दिल एक बार फिर धड़कना भूल गया..,"मैं हूँ.. राज!" राज का हाथ अपने आप ही उसकी तरफ बढ़ गया..
"तुम्हे गौड़ सर बुला रहे हैं.. स्टाफ रूम में..!" प्रिया ने बढ़े हुए हाथ को नही थामा..
"पर ... मुझे स्टाफ रूम का पता नही है..!" राज ने शर्मकार हाथ वापस खींच लिया...
"चलो.. मैं लेकर चलती हूँ.." कहकर प्रिया बाहर निकल गयी.. राज की आँखों में पनप रहे अपने पन को उसने कोई तवज्जो नही दी.. शायद सुन्दर लड़कियों को इसकी आदत होती है..
बिना एक भी शब्द बोले दोनो स्टॅफरुम पहुँच गये...
"कम इन सर?" प्रिया और राज पर्मिशन लेकर गौड़ सर की चेर के पास जा पहुँचे.. ये वही थे जिन्होने राज को प्रेयर में टोका था...
"क्या बात है सर..?" राज को लगा प्रिया के सामने ही उसकी किरकिरी होगी..
"हूंम्म...! मिस्टर. हॅंडसम, यहाँ पढ़ने आए हो की तान्क झाँक करने..?"
"सर.. मैं समझा नही.. " राज ने भोलेपन से कहा..
"समझ तो तुम सब गये हो बेटा.. तुम दिखने में सुंदर हो.. इसका मतलब ये नही की.. खैर छ्चोड़ो.. 10थ में कितने मार्क्स आए हैं..?"
"सर.. 95%!" बोलते हुए राज की आँखों में चमक थी.. गर्व था.."
"हाउ मच?!!!!" प्रिया ने ऐसा रिक्ट किया मानो उसको विस्वास ना हुआ हो..
"95%!"
"हूंम्म.. थ्ट्स लाइक ए गुड बॉय.. शायद मुझसे ही कोई चूक हो गयी होगी.. जाओ.. एंजाय युवर स्टडीस!" और गौड़ सर ने राज की कमर पर थ्हप्कि देकर उसको वापस भेज दिया..

क्लास की और जाते हुए राज मन ही मन उच्छल रहा था.. प्रिया ने उसकी स्कोरिंग पर आसचर्या व्यक्त किया था.. प्रभावित ज़रूर हुई होगी.. उसने साथ चुपचाप चल रही प्रिया के मॅन को सरसरी नज़र से पढ़ने की कोशिश की.. पर कुच्छ खास अब लगा नही..,"आ.. आपके कितने मार्क्स हैं.. 10थ मैं.."
"अच्च्चे हैं.. पर तुम्हारे आगे कुच्छ नही.. बस यूँ समझ लो की तुमसे पहले मैं ही स्कूल की टॉपर थी..
"श.." राज ने ऐसे रिक्ट किया मानो प्रिया का रेकॉर्ड खराब करने पर उसको बहुत अफ़सोस हुआ हो.. इश्स'से पहले वो कुच्छ और बोलता.. उसकी आँखें आसचर्या से फट गयी.. वह एक बार सामने से आ रही रिया को देखता तो एक बार साथ चल रही प्रिया को...
"ये मेरी बेहन है.. रिया! मुझसे 8 मिनिट छ्होटी.. रिया! ये हैं मिस्टर..??" प्रिया की प्रशंसूचक नज़रों ने राज के दिल पर कहर सा ढाया..

"मुझे राज कहते हैं.. !"
"तूमम.. तो हमारे घर के सामने ही रहते हो ना...?" रिया ने तपाक से पूचछा...
"क्या???" प्रिया ने आसचर्या व्यक्त किया..
"जी.. मुझे नही पता आप कहाँ रहती हैं.. मैं तो मॉडेल टाउन 82-र मैं रहता हूँ.." राज ने अंजान बन'ने की कोशिश की...
"अच्च्छा.. तो वो तुम्ही हो.. जो..." कुच्छ सोचकर प्रिया आगे की बात खा गयी..
"जी क्या?" राज असमन्झस में पड़ गया..
"कुच्छ नही.. क्लास का टाइम हो रहा है.. " कहकर प्रिया रिया का हाथ पकड़ कर क्लास की और आगे बढ़ गयी..
राज उनके पीछे पीछे चलता हुआ उनको घूरता रहा.. क्या समानता थी.. उनकी हाइट में भी.. उनकी हँसी में भी.. उनकी चाल में भी.. और चलते हुए लचक रहे उनके मादक कुल्हों में भी... 'आ! किस किस को.... '
राज मॅन ही मन मुस्कुराया और क्लास में घुस गया...

"क्या बात थी.. अंदर घुसते ही वीरेंदर ने चिंता से पूचछा " डाँट पड़ी क्या?"
"नही.. शाबाशी मिली.. " राज ने मुस्कुराते हुए कहा..
"सच! किसलिए?
"अब मैं स्कूल का टॉपर हूँ.. इसलिए..!" राज ने सीना तान कर कहा...

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