मस्ती की पाठशाला - एक रोमाचंक कहानी भाग-52
"आ तुझे पता है.. राज के 10थ में 95% मार्क्स हैं.." प्रिया ने साथ बैठी रिया के कान में कहा..
"सच... दिखने में तो एकद्ूम भोला.. स्वीट सा लगता है.. इसने चीटिंग कर ली होगी क्या???" रिया शरारत से राज की और देखकर मुस्कुराइ...
"अच्च्छा.. तो तेरे कहने का मतलब ये है की मेरे 91 चीटिंग की वजह से आए हैं.. हे भगवान.. जब टीचर्स को पता चलेगा तो मेरी तो हवा ही खराब हो जाएगी..." प्रिया को अपनी कुर्सी हिलती नज़र आई....
"हे वीरेंद्र! देख.. प्रिया मुझे देखकर मुस्कुरा रही है..." राज ने रिया को अपनी और मुस्कुराते देख वीरेंदर से कहा...
"वो रिया है.. चक्कर में मत आना.. शिकायत करने में भी सबसे आगे रहती है.. मुस्कुराती है बस! सबको पता है..." वीरेंदर ने अपने हाथ से राज की उनकी ओर निकली हुई बतीसि बंद करके उसको सीधा कर दिया..
"पर तुझे कैसे पता.. दोनो एक जैसी हैं.. बिल्कुल! और तूने कहा भी था.. की तू भी उनको नही पहचान पता!" राज ने उत्सुकता से पूचछा..
"ऐसे तो उनकी मा भी उनको नही पहचानेगी.. रिया कान में बाली डालती है.. पर प्लीज़ यार.. ये सब मुझे अच्च्छा नही लगता.. तू पढ़ाई में ध्यान लगा.. बस!" वीरेंद्र ने उसको नसीहत दी...
"बस एक आख़िरी बात.. इनमें से किसी का बाय्फ्रेंड है क्या?"
"क्यूँ? मैं इनका असिस्टेंट हूँ क्या? अब कुच्छ पूच्छना है तो सीधा जा और उनसे पूच्छ ले..."
"बुरा क्यूँ मानता है यार.. मैं तो.." तभी क्लास में सर आ गये और सारी क्लास खड़ी हो गयी....
"क्या हाल हैं.. थानेदार साहब!" विकी घर के अंदर घुसते ही ड्रॉयिंग रूम में पड़े सोफे पर फैल गया...
"कौन?" पर्दे के पिछे से कड़क आवाज़ आई...
"आप कहाँ याद रखेंगे हमें.. हमें ही आकर बार बार आपको शकल दिखानी पड़ती है..." कहकर विकी हँसने लगा....
"ओह विकी भाई.. कैसे हो?" खिसियाए हुए से विजेंदर ने अंदर आकर बैठते हुए कहा..," सुनती हो? कुच्छ ठंडे वनडे का इंतज़ाम करो.."
"इतनी मेहरबानी का शुक्रिया.. वो सेक 4 वाला मल्टिपलेक्स आप कब बिकवा रहे हैं.. हमें जल्द से जल्द कब्जा चाहिए.. झकास जगह है!" विकी ने खिड़की से बाहर झाँकते हुए कहा..
"इतना आसान नही है भाई... मुरारी की भी पहुँच उपर तक है.. अब अगर सरकार नही बदली तो मेरे गले में फाँसी लटक जाएगी.. पर में देख रहा हूँ..." विजेंदर ने लुंबी साँस छ्चोड़ी.....
"मुरारी की मा का... साला उसके बाप का माल है क्या..?तो पहले मुझे उसकी मा बेहन करनी पड़ेगी पहले.. ये बोल ना.... साले की...." तभी अचानक विकी चुप होकर ड्रॉयिंग रूम में अचानक घुस आए जलवे को निहारने लगा...
"पापा! मुझे स्वेता के घर नोट्स लेने जाना है.. ज़ाउ क्या..?" रिया ने विकी पर धान नही दिया...
"कितनी बार कहा है की ये लेन देन स्कूल में ही किया करो.. चलो! कहीं जाने की ज़रूरत नही है.." विजेंदर ने पसीने के रूप में माथे पर छलक आया अपना गुस्सा पोंच्छा... रिया सहम कर अंदर चली गयी....
"ये... तुम्हारी बेटी है खन्ना?" विकी ना चाहकर भी उस हसीन काली के बारे में पूच्छ ही बैठा..
"यार.. कितनी बार कहा है की इन्न कामों के लिए ऑफीस में ही आ जाया करो.. घर में ऐसे बात करना अच्च्छा नही लगता.."
"कौनसा ऑफीस.. थाना?"
"हां!"
"पर आप वहाँ मिलते ही नही तो क्या करें.. मुझे भी जवान बेटियों वाले घरों में जाना वैसे अच्च्छा नही लगता.." विकी ने अपने होंठों पर जीभ फेरी...
"खैर छ्चोड़ो.. लाला 10 करोड़ माँग रहा है.. कहता है.. इससे कम पर बात ही नही करेगा..." विजेंदर ने बात पलट'ते हुए कहा..
"और मैं उसको 8 करोड़ से ज़्यादा नही दूँगा.."
"पर मुरारी 10 देने को तैयार है..."
" पहले कहे देता हूँ.. खो दूँगा मुरारी को.. इश्स दुनिया से.. बाद में मत कहना बताया नही था.. और बॉडी भी यहीं डाल कर जाउन्गा.. तेरे घर के सामने! चलता हूँ.. जै हो!" कहकर विकी घर से बाहर खड़ी सफ़ारी में जा बैठा..
"यार.. तुम पॉलिटिशियन्स का मैं क्या करूँ.. वो कहता है तुम्हे टपका देगा और तुम कहते हो...." विजेंदर अपनी बात पूरी नही कर पाया.. गाड़ी का शीशा उपर चढ़ा और विजेंदर पिछे हट गया.. गाड़ी सड़क किनारे की धूल उड़ाती हुई वहाँ से गायब हो गयी.....
"यार.. थानेदार की बेटी ने खड़ा कर दिया.. कोई ताज़ा माल है क्या...?" विकी ने जाने किसको फोन मिलया....
"कल तक खड़ा रख सको तो हो जाएगा विकी.. आज कोई चान्स नही है.. नयी का.. कहो तो......." सामने वाले की बात को विकी ने बीच में ही काट दिया...
"मुरारी की भी एक बेटी है ना...."
"तू पागल तो नही हो गया है विकी... क्या बक रहा है? बिज़्नेस अलग चीज़ है.. मस्ती अलग!"
"अरे बिज़्नेस को मारो गोली.. साला मुझे टपकाने की कह रहा है.. तू जल्दी उसका डाटा बता..." विकी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी...
"मान जा विकी.. उलझ जाएँगे.. मंत्री भी साथ नही देगा.."
"जो साथ नही देगा उसकी मा की चूत.. तू जल्दी बता.. नही तो.."
"ठीक है भाई.. पर मैं अब इश्स मामले में नही हूँ.. याद रखना.. और ये भी की सरकार आजकल उसी की है... लिख!"
"पेन नही है भोसड़ी के.. मेसेज कर दे.. और सुन.. तूने पक्का सोच लिया है ना तू मामले में नही है..."
"यार! तू समझता नही है.. पंगा हो जाएगा.. अगर उसको ज़रा भी भनक लग गयी तो वो इसका भी राजनीतिक फ़ायदा उठाने की सोचेगा.. फिर मीडीया हमें बकषेगी नही.. करियर चौपट हो जाएगा भाई... मान जा.."
"तू ऐसा कर.. उसकी लड़की की हिस्टरी मेसेज कर और मेरा रेसिग्नेशन लेटर.. टाइप करवा के रख..." कहकर विकी ने फोन काट दिया...
"आ तुझे पता है.. राज के 10थ में 95% मार्क्स हैं.." प्रिया ने साथ बैठी रिया के कान में कहा..
"सच... दिखने में तो एकद्ूम भोला.. स्वीट सा लगता है.. इसने चीटिंग कर ली होगी क्या???" रिया शरारत से राज की और देखकर मुस्कुराइ...
"अच्च्छा.. तो तेरे कहने का मतलब ये है की मेरे 91 चीटिंग की वजह से आए हैं.. हे भगवान.. जब टीचर्स को पता चलेगा तो मेरी तो हवा ही खराब हो जाएगी..." प्रिया को अपनी कुर्सी हिलती नज़र आई....
"हे वीरेंद्र! देख.. प्रिया मुझे देखकर मुस्कुरा रही है..." राज ने रिया को अपनी और मुस्कुराते देख वीरेंदर से कहा...
"वो रिया है.. चक्कर में मत आना.. शिकायत करने में भी सबसे आगे रहती है.. मुस्कुराती है बस! सबको पता है..." वीरेंदर ने अपने हाथ से राज की उनकी ओर निकली हुई बतीसि बंद करके उसको सीधा कर दिया..
"पर तुझे कैसे पता.. दोनो एक जैसी हैं.. बिल्कुल! और तूने कहा भी था.. की तू भी उनको नही पहचान पता!" राज ने उत्सुकता से पूचछा..
"ऐसे तो उनकी मा भी उनको नही पहचानेगी.. रिया कान में बाली डालती है.. पर प्लीज़ यार.. ये सब मुझे अच्च्छा नही लगता.. तू पढ़ाई में ध्यान लगा.. बस!" वीरेंद्र ने उसको नसीहत दी...
"बस एक आख़िरी बात.. इनमें से किसी का बाय्फ्रेंड है क्या?"
"क्यूँ? मैं इनका असिस्टेंट हूँ क्या? अब कुच्छ पूच्छना है तो सीधा जा और उनसे पूच्छ ले..."
"बुरा क्यूँ मानता है यार.. मैं तो.." तभी क्लास में सर आ गये और सारी क्लास खड़ी हो गयी....
"क्या हाल हैं.. थानेदार साहब!" विकी घर के अंदर घुसते ही ड्रॉयिंग रूम में पड़े सोफे पर फैल गया...
"कौन?" पर्दे के पिछे से कड़क आवाज़ आई...
"आप कहाँ याद रखेंगे हमें.. हमें ही आकर बार बार आपको शकल दिखानी पड़ती है..." कहकर विकी हँसने लगा....
"ओह विकी भाई.. कैसे हो?" खिसियाए हुए से विजेंदर ने अंदर आकर बैठते हुए कहा..," सुनती हो? कुच्छ ठंडे वनडे का इंतज़ाम करो.."
"इतनी मेहरबानी का शुक्रिया.. वो सेक 4 वाला मल्टिपलेक्स आप कब बिकवा रहे हैं.. हमें जल्द से जल्द कब्जा चाहिए.. झकास जगह है!" विकी ने खिड़की से बाहर झाँकते हुए कहा..
"इतना आसान नही है भाई... मुरारी की भी पहुँच उपर तक है.. अब अगर सरकार नही बदली तो मेरे गले में फाँसी लटक जाएगी.. पर में देख रहा हूँ..." विजेंदर ने लुंबी साँस छ्चोड़ी.....
"मुरारी की मा का... साला उसके बाप का माल है क्या..?तो पहले मुझे उसकी मा बेहन करनी पड़ेगी पहले.. ये बोल ना.... साले की...." तभी अचानक विकी चुप होकर ड्रॉयिंग रूम में अचानक घुस आए जलवे को निहारने लगा...
"पापा! मुझे स्वेता के घर नोट्स लेने जाना है.. ज़ाउ क्या..?" रिया ने विकी पर धान नही दिया...
"कितनी बार कहा है की ये लेन देन स्कूल में ही किया करो.. चलो! कहीं जाने की ज़रूरत नही है.." विजेंदर ने पसीने के रूप में माथे पर छलक आया अपना गुस्सा पोंच्छा... रिया सहम कर अंदर चली गयी....
"ये... तुम्हारी बेटी है खन्ना?" विकी ना चाहकर भी उस हसीन काली के बारे में पूच्छ ही बैठा..
"यार.. कितनी बार कहा है की इन्न कामों के लिए ऑफीस में ही आ जाया करो.. घर में ऐसे बात करना अच्च्छा नही लगता.."
"कौनसा ऑफीस.. थाना?"
"हां!"
"पर आप वहाँ मिलते ही नही तो क्या करें.. मुझे भी जवान बेटियों वाले घरों में जाना वैसे अच्च्छा नही लगता.." विकी ने अपने होंठों पर जीभ फेरी...
"खैर छ्चोड़ो.. लाला 10 करोड़ माँग रहा है.. कहता है.. इससे कम पर बात ही नही करेगा..." विजेंदर ने बात पलट'ते हुए कहा..
"और मैं उसको 8 करोड़ से ज़्यादा नही दूँगा.."
"पर मुरारी 10 देने को तैयार है..."
" पहले कहे देता हूँ.. खो दूँगा मुरारी को.. इश्स दुनिया से.. बाद में मत कहना बताया नही था.. और बॉडी भी यहीं डाल कर जाउन्गा.. तेरे घर के सामने! चलता हूँ.. जै हो!" कहकर विकी घर से बाहर खड़ी सफ़ारी में जा बैठा..
"यार.. तुम पॉलिटिशियन्स का मैं क्या करूँ.. वो कहता है तुम्हे टपका देगा और तुम कहते हो...." विजेंदर अपनी बात पूरी नही कर पाया.. गाड़ी का शीशा उपर चढ़ा और विजेंदर पिछे हट गया.. गाड़ी सड़क किनारे की धूल उड़ाती हुई वहाँ से गायब हो गयी.....
"यार.. थानेदार की बेटी ने खड़ा कर दिया.. कोई ताज़ा माल है क्या...?" विकी ने जाने किसको फोन मिलया....
"कल तक खड़ा रख सको तो हो जाएगा विकी.. आज कोई चान्स नही है.. नयी का.. कहो तो......." सामने वाले की बात को विकी ने बीच में ही काट दिया...
"मुरारी की भी एक बेटी है ना...."
"तू पागल तो नही हो गया है विकी... क्या बक रहा है? बिज़्नेस अलग चीज़ है.. मस्ती अलग!"
"अरे बिज़्नेस को मारो गोली.. साला मुझे टपकाने की कह रहा है.. तू जल्दी उसका डाटा बता..." विकी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी...
"मान जा विकी.. उलझ जाएँगे.. मंत्री भी साथ नही देगा.."
"जो साथ नही देगा उसकी मा की चूत.. तू जल्दी बता.. नही तो.."
"ठीक है भाई.. पर मैं अब इश्स मामले में नही हूँ.. याद रखना.. और ये भी की सरकार आजकल उसी की है... लिख!"
"पेन नही है भोसड़ी के.. मेसेज कर दे.. और सुन.. तूने पक्का सोच लिया है ना तू मामले में नही है..."
"यार! तू समझता नही है.. पंगा हो जाएगा.. अगर उसको ज़रा भी भनक लग गयी तो वो इसका भी राजनीतिक फ़ायदा उठाने की सोचेगा.. फिर मीडीया हमें बकषेगी नही.. करियर चौपट हो जाएगा भाई... मान जा.."
"तू ऐसा कर.. उसकी लड़की की हिस्टरी मेसेज कर और मेरा रेसिग्नेशन लेटर.. टाइप करवा के रख..." कहकर विकी ने फोन काट दिया...
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