मस्ती की पाठशाला - एक रोमाचंक कहानी भाग-14
राकेश; सरपंच का बेटा, गौरी के मतवालों की यूनियन का लीडर था.... क्या बरसात, क्या दुपहर; और कोयी आये ना आये... राकेश जरूर सुबह शाम हाजरी लगता था... गौरी को उसका नाम तो नहीं मालूम था... हाँ शक्ल अच्छी तराह से याद हो गयी थी...
एक दिन जब सुबह गौरी स्कूल जा रही थी, राकेश उसके साथ-साथ चलने लगा..," आप बहुत सुन्दर हैं!
गौरी ने अपने स्टेप कट किये बालों को पीछे झटका, राकेश को नजर भर देखा और बोली," थैंक्स! " और चलती रही....
राकेश उसके पीछे-पीछे था.... राकेश ने देखा... पैरलल सूट में से उसकी गांड बाहर को निकली दिखायी दे रही थी.... बिलकुल गोल... फुटबॉल की तराह..... एक बटा तीन फुटबॉल...
उसके चूतडों में गजब की लरज थी... चलते हुये जब वो दायें बाएँ हिलते तो सबकी नजरें भी ताल से दाएँ-बाएँ होती थी....
गौरी स्कूल में घुस गयी... और राकेश दरवाजे पर खड़ा होकर अपना सिर खुजाने लगा....
सुनील ऑफिस में बैठा हुआ था, जैसे ही अंजलि ऑफिस में आयी सुनील ने अपना दाँव चला," मैडम! पीछे करू!"
अंजली को जैसे झटका सा लगा. उसको रात की बात याद आ गयी... वो अक्सर अपने पति को लंड पीछे घुसाने को पीछे करने को कहती थी," वहहहआआआट?"
सुनील ने मुस्कुराते हुये अपनी कुर्सी पीछे करके अंजलि के अन्दर जाने का रास्ता छोड़ दिया," मैडम, कुर्सी की पूछ रहा था... अन्दर आना हो तो पीछे करू क्या?"
"ओह थैंक्स!", अंजलि ने अपने माथे का पसीना पौछा.
सुनील ने १०थ का रजिस्टर लिया और क्लास में चला गया!
सुनील ने क्लास में जाते ही सभी लड़कियों को एक-एक करके देखा... लड़कियाँ खड़ी हो गयी थी....
"नीचे रख लो!" सुनील ने मुस्कुराते हुये कहा.
सुनील की 'नीचे रख लो' का मतलब समझ कर कई लड़कियों की तो नीचे सिटी सी बज गयी... नीचे तो उनको एक ही चीज़ रखनी थी... अपनी गांड!
सुनील ने एक सबसे सेक्सी चुचियों वाली लड़की को उठाया... ," तुम किस्से प्यार करती हो?"
लड़की सकपका गयी... उसने नजर झुका ली...
"अरे मैं पूछ रहा हूँ की तुम स्कूल में किस टीचर से सबसे ज्यादा प्यार करती हो! तुम्हारा फेवरेट टीचर कौन है".....
लड़की की जान में जान आयी... उसके समेत कई लड़कियाँ एक साथ बोल उठी," सर...शमशेर सर!"
सुनील: वाह भई वाह!
सुनील ने शमशेर के पास फोन मिलाया...," भाई साहब! यहाँ कौनसा मंत्र पढ़कर गये हो... लड़कियाँ तो आपको भूलना ही नहीं चाहती.."
शमशेर के हंसने की आवाज आयी...
"और सब कैसा चल रहा है भाई साहब! दिशा भाभी ठीक हैं..."
दिशा के साथ भाभी सुनकर लड़कियों को जलन से हुयी..
"हाँ! बहुत खुश है... अभी तो वो स्कूल गयी हैं... नहीं तो बात करा देता... और मैं भी तो स्कूल में ही हूँ!"
"बहुत अच्छा भाई साहब! फिर कभी बात कर लूँगा! अच्छा रखूँ"
"ओके डियर! बाय"
सुनील ने फोन जेब में रखकर अपना प्रवचन शुरू किया," देखो साली साहिबाओ...!"
लड़कियाँ उसको हैरत से देखने लगी...
"अरे दिशा तुम्हारी बहन थी की नहीं..."
लड़कियों की आवाज आयी.."जी सर"
"और भाई शमशेर की पत्नी होने के नाते वो मेरी क्या लगी...?"
"जी भाभी..!"
"तो मेरी भाभी की बहने मेरी क्या लगी...?"
लड़कियों की तरफ से कोयी जवाब नहीं आया... सभी लड़कियाँ शरमा गयी.... "तो इसका मतलब ये हमारे 'सर जी' नहीं, 'जीजा सर' हैं.... कई लड़कियाँ ये सोचकर ही हंसने लगी....
"बिलकुल ठीक समझ रही हो... देखो जी... मैं तो सारे रिश्ते निभाने वाला सामाजिक प्राणी हूँ.... जीजा साली का रिश्ता बड़ा मस्त रिश्ता होता है... कोई शर्म मत करना... जब दिल करे.. जहाँ दिल करे... दे देना..... 'राम-राम' और कभी कुछ करवाना हो तो लैब में आ जाना... जब में अकेला बैठा होऊं... 'कोयी भी काम'
चलो अब कॉपी निकाल लो..
और सुनील उनको प्रजनन( रिप्रोडक्शन ) समझाने लगा...
कुँवारी लड़कियों को प्रजनन( रिप्रोडक्शन ) सिखाते हुये सुनील ने ब्लैकबोर्ड पर पेनिस( लंड ) का डाइग्राम बनाया... नोर्मल लंड का नहीं बल्कि सीधे तने हुये मोटे लुंड का... इसको बनाते हुये सुनील ने अपनी सीखी हुयी तमाम चित्रकला ही प्रदर्षित कर दी...
पर लड़कियों का ध्यान उसकी कला पर नहीं... उसकी पैंट के उभार पर टिक गया... सुनील ने भी कोई कोशिश नहीं की उसको छुपाने की...
उसने एक्सप्लेन करना शुरू किया:
"तुमने तो अभी पेनिस देखा ही नहीं होगा.... कुँवारी हो ना.... और देखा भी होगा तो छोटे बच्चे का; छोटा मोटा नूनी... पर बड़े होने पर जब ये खड़ा होता है... घुसने के लिये तो ऐसा हो जाता है...."
उसके बाद उसने पेनिस की टिप के सामने वेजिना (चूत) बना दी.. वैसी ही सुन्दर... मोटी-मोटी फाँकें... बीच में पतली सी झिर्री... और ऊपर छोटा सा क्लिटोरिस( दाना )...
लड़कियों का हाथ अपने-अपने दानों पर चला गया... कैसी शानदार क्लास चल रही थी...
सुनील ने बोलना शुरू किया... " इसका ज्ञान आपको हम बेचारे लोगों से ज्यादा होता है... इन दोनों के मिलने से बच्चा आता है... इस छेद में से... तुम ये सोच रही होगी की इस छोटे से छेद में से बच्चा कैसे आता होगा... पर चिंता मत करो... जब ये... (उसने अपनी पैंट की और इशारा किया... डाइग्राम की और नहीं) इस में घुसता है तो शुरू-शुरू में तो इतना दर्द होता है की पूछो मत... ये फट जाती है ना... पर इस दाने में इतना आनंद होता है की लड़कियाँ सब शर्म छोड़ कर मजे लेती हैं शादी से पहले ही.....
लड़कियों के हाथ अपनी सलवार में घुसकर चूत को रगड़ने लगे उनके चेहरे लाल होते जा रहे थे... उनकी आँखें बार-बार बंद हो रही थी...
सुनील बोलता गया... ये जब इसके अन्दर घुसता है तो इसकी दीवारें खुल जाती हैं.. और पेनिस को इस मजबूती से पकड़ लेती हैं की कहीं निकाल ना जाये.. जब ये एक बार अन्दर और एक बार बाहर होता है... तो लड़कियों की सिसकारी निकल जाती है.....
और सभी लड़कियों की सिसकारी निकल गयी... एक साथ... वो बेंच को कस कर पकड़ कर आह कर उठी... एक साथ ४४ लड़कियाँ.... सुनील ने अनजाने में ही वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया... कईयों का तो पहली बार निकला था...
सुनील समझ गया की अब कोई फायदा नहीं... अब ये नहीं सुनेंगी... उसने बोर्ड को साफ़ किया और कहते हुये बाहर निकल गया," गर्ल्स! मौका मिले तो प्रैक्टिकल करके देख लेना!"
छुट्टी के बाद जब गौरी निकली तो देखा; राकेश सामने ही खड़ा था.... गौरी ने उसको देखा और चल दी... और लड़कियाँ भी जा रही थी... गौरी ने अपनी स्पीड तेज कर दी और तेज़ चलने लगी.... वो अकेली सी हो गयी... तभी पीछे से राकेश ने कहा," मैं तुमसे 'फ्रेंडशिप' करना चाहता हूँ"..... गाँव में लड़की से फ्रेंडशिप का मतलब चूत माँगना ही होता है... गौरी इतरायी और बिना कुछ बोले घर में घुस गयी... राकेश टूटे हुये क़दमों से वापस चला गया....
गौरी ने अन्दर आते ही अपना बैग रखा और सोफे पर लुढ़क गयी.... उसके पापा बाहर गए हुए थे..
उसने टीवी और प्लेयर ऑन कर दिया... इंग्लिश..न. ८ शुरू हो गयी !
गौरी भाग कर उठी और हड़बड़ाहट में टीवी ऑफ किया... तभी सुनील और अंजलि आ पहुँचे... गौरी की हालत खराब हो गयी थी... उसने सीडी निकाल ली...
सुनील बोला,"कोई नयी सीडी है क्या? दिखाना..... उसको पता था ये ब्लू सीडी है..
गौरी... ," न्न्न्न.. नहीं सर... ये तो ... वो मेरी सहेली की मम्मी की शादी की है..."
सुनील, "अच्छा... कब हुयी शादी?
गौरी: सर अभी हुयी थी... ५-७ दिन पहले.....
सुनील जोर-जोर से हँसने लगा... अंजलि ने पूछा क्या हुआ..
किसी ने कोई जवाब नहीं दिया... गौरी सोच रही थी... मेरी सहेली की मम्मी की शादी ५-७ दिन पहले कैसे हो सकती है.... वो सोचती हुयी बाथरूम में चली गयी और नहाने लगी.....
गौरी ने नहाकर बाहर निकली तो उसने देखा सुनील उसको घूर रहा है. वह मुस्कुरायी और कहने लगी," क्या बात है सर ? ऐसे क्यूँ देख रहे हैं ?"
सुनील: कुछ नहीं! तेरी उम्र कितनी है ?
गौरी: १८ साल !
सुनील: पूरी या कुछ कम है ?
गौरी: १ महीना ऊपर... क्यूँ ?
सुनील: नहीं! कुछ नहीं; अपनी जनरल नॉलेज बढा रहा था
गौरी ने उसकी बाँह पकड़ ली, वह उससे कुछ ही इंच की दूरी पर थी," नहीं सर! प्लीस बताईये ना! क्यूँ पूछ रहे हैं...
सुनील ने धीरे से बोल कर उसके शरीर में चीटियाँ सी चला डी," वो मैंने तेरी सहेली की माँ की शादी की विडियो देखि थी... उसपे वार्निंग थी; नोट फॉर माइनर्स"
गौरी को जैसे साँप सूँघ गया...वो वहीँ जड़ होकर खड़ी रही... सुनील भी कुछ देर उसका इंतज़ार करता रहा और फिर उसके हाथ को धीरे से दबा कर चलता बना," तुम्हारी सहेली की शादी का हनीमून बहुत अच्छा लगा.
लंच के लिए चारों एक साथ आ बैठे... गौरी उठी और सबके लिए खाना लगाने चली गयी..
अंजलि: सुनील जी; मैं सोच रही हूँ की स्कूल का एक तीन दिन का एजुकेशनल टूर अरेंज किया जाये... कैसा आईडिया है...!
सुनील: अच्छा है, बल्कि बहुत अच्छा है.... वाह क्या आईडिया है मैम ! आपने तो मेरे मुँह की बात छीन ली...
वो तब तक बोलता ही गया जबतक की शिवानी ने उसके मुँह को अपने हाथों से बंद ना कर दिया... ये देखकर अंजलि हँसने लगी... गौरी आयी और आकर खाना टेबल पर लगा दिया.... वो सुनील के सामने कुर्सी पर बैठी थी पर उससे नजरें नहीं मिला पा रही थी...
अंजलि: क्या बात है, गौरी! तुम कुछ नर्वस दिखाई दे रही हो!
गौरी उसको मम्मी नहीं दीदी बुलाती थी... उसके पापा ने कयी बार बोला था उसको ढंग से बोलने के लिए पर उसके मुँह से दीदी ही निकलता था...
गौरी: नहीं दीदी! ऐसी तो कोई बात नहीं है ?
सुनील ने उसके पैर को टेबल के नीचे से दबा दिया और कहने लगा," नहीं नहीं! कोई तो बात जरूर है.... बताओ ना हमसे क्या शर्माना!
गौरी की हँसी छूट गयी और वो अपना खाना उठाकर भाग गयी, अंजलि के बेडरूम में !
वो खाना खा ही रहे थे की शिवानी का फोन बज गया.
शिवानी खाना छोड़ कर उठ गयी और फोन सुन-ने लगी. फोन उसके मायके से था.
शिवानी: हेलो; हाँ मम्मी जी! ठीक हो आप लोग.
मम्मी जी: बेटी तू आ सकती है क्या ३-४ दिन के लिए.
शिवानी: क्या हुआ मम्मी ? सब ठीक तो है ना..
मम्मी जी: वो तो मैं तुझे आने पर ही बताऊंगी.
शिवानी को चिंता हो गयी," मम्मी बताओ ना! सब ठीक तो है...
मम्मी जी: बस तू आ जा बेटी एक बार!
शिवानी ने सुनील की और इशारे से पूछा... सुनील ने सर हिला दिया," ठीक है मम्मी मैं कल ही आ जाती हूँ.
मम्मी: कल नहीं बेटी; तू आज ही आ जा...
सुनील ने शिवानी से फोन ले लिया," नमस्ते मम्मी जी!"
मम्मी जी: नमस्ते बेटा!
सुनील: क्या हुआ, यूँ अचानक..
मम्मी जी: बस बेटा कुछ जरूरी काम ही समझ ले... हो सके तो इसको आज ही भेज दे.
सुनील: ठीक है मम्मी जी... मैं इसको भेज देता हूँ... वैसे तो सब ठीक है ना..
मम्मी जी: हाँ बेटा! ये आ जाये तो चिंता की कोई बात नहीं है.
सुनील: ओके मम्मी जी; बाय... ये ३ घंटे में पहुँच जायेगी...
अंजलि ने शिवानी से कहा," शिवानी तुम निश्चिंत होकर जाओ! यहाँ हम हैं सुनील की देखभाल के लिए... तुम वहाँ जाकर जरूर बताना बात क्या हो गयी... यूँ अचानक...
शिवानी अपने कपड़े पैक करने लगी... उसने सुनील को कुछ जरूरी इन्स्ट्रकशंस दी और तैयार होकर सुनील के साथ निकल गयी...
बाहर जाकर उसने सुनील से पूछा, ये टूर कब जा रहा है ?
सुनील: मुझे क्या मालूम ! मैंने तो अभी तुम्हारे आगे ही सुना है.
शिवानी: हो सके तो टूर पोस्टपोन करवा लेना... मेरा भी बहुत मन है...
सुनील ने उसको बस में बैठाया और आजाद पंछी की तराह झूमता हुआ घर पहुँच गया...
अंजलि, गौरी और सुनील, तीनो लिविंग रूम में बैठे टीवी देख रहे थे... टीवी का तो जैसे बहाना था....
अंजलि को बार-बार स्कूल में कही गयी लाइन ' पीछे करू क्या?' याद आ रही थी.. क्यूँकी आज उसके हसबैंड घर पर नहीं थे इसीलिए उसको शमशेर और उससे जुड़ी तमाम यादें और भी अधिक विचलित कर रही थी.. वो रह-रह कर सुनील को देख लेती...
गौरी सीडी वाली बात से अन्दर ही अन्दर शर्मिंदा थी. सर उसके बारे में पता नहीं क्या-क्या सोचते होंगे...उसकी नजर बार-बार सुनील पर जा रही थी...
और सुनील का तो जैसे दोनों पर ही ध्यान था... क्या अंजलि उसकी उस इच्छा को पूरा कर सकती है जिसको शिवानी ने आज तक एक इच्छा ही रखा है बस... सुनील अच्छी तराह जानता था की कोई भी औरत अपने आप अपनी गांड मरवाने को कह ही नहीं सकती. ऐसा सिर्फ तभी हो सकता है जब एक-दो बार कोई आदमी उसकी गांड मार कर उसको अहसास करा दे की यहाँ का मजा चूत के मजे से कम नहीं होता.... पर ओमप्रकाश ने तो इस तराह से रिऐक्ट किया था जैसे उसको तो गांड का छेद देखने से ही नफरत हो. इसका मतलब अंजलि पहले अपनी गांड मरवा चुकी है... क्या वो उसको चांस दे सकती है... उन दोनों की गांड की भूख को शांत करने का.... वह अंजलि की ओर रह-रह कर देख लेता...
और गौरी..! ऐसी सुन्दर कन्या को अगर भोगने का; भोगना छोडो सिर्फ देखने का ही मौका मिल जाये तो फिर तो जैसे जिंदगी में कुछ करने को रहे ही ना.... वो रह रह कर गौरी की मादक छातियों के उभारों को देखकर ही तसल्ली कर लेता... लूस पैंट डाले हुये होने की वजाह से उसका ध्यान उसकी जाँघों पर नहीं जा रहा था...
अचानक सिलसिला अंजलि ने तोड़ा," गौरी! आज तुम्हारे पापा नहीं आयेंगे.. तुम मेरे पास ही सो जाना"
लेकिन गौरी को तो रात को अपनी चूत को गीला करके सोने की आदत थी और बेडरूम में वो पूरी हो ही नहीं सकती थी..," नहीं दीदी! मैं तो यहीं सो जाऊँगी... आप ही सो जाना बेडरूम में...
अंजलि उसकी बात सुनकर मन ही मन खुश हुयी. क्या पता सुनील उसके बारे में कुछ सोचता हो. और अपने हाथ आ सकने वाला मौका वह गँवाना ही नहीं चाहती थी.
"तो सुनील! आपने बताया नहीं... टूर के बारे में..."
सुनील: मैडम जैसी आपकी इच्छा! मैं तो अपने काम में कसर छोड़ता ही नहीं...
अंजलि: मैंने स्टाफ मेम्बर्स से भी बात की थी... वो तो सब मनाली का प्रोग्राम बनाने को कह रही है...
सुनील: ठीक है मैम! कर दीजिये फाइनल... चलो मनाली...
तभी दरवाजे पर बैल हुयी. वो नमिता थी," हाय गोरी!"
गाँव भर के लड़कों को अपना दीवाना करने वाली लड़कियाँ अब दोस्त बन चुकी थी... एक दूसरी की. गौरी ने उसको ऊपर से नीचे तक देखा," क्या बात है नमिता ! कहाँ बिजली गिराने का इरादा है...आओ!"
नमिता : यहीं तेरे घर पर.
वो अन्दर आयी और अपने नए सर और अंजलि मैडम को विश किया... फिर दोनों अन्दर चली गयी
नमिता : यार, तुझे एक बात बतानी थी.
गौरी: बोलो ना...
नमिता : तुझे पता है. सुनील सर से पहले शमशेर सर यहाँ थे...
गौरी: हाँ... तो!
नमिता : तुझे पता है... वो एक न. के अय्याश थे... फिर पता नहीं क्यूँ.... उसने दिशा से शादी कर ली और चले गये... मैंने तो उनकी नजरों में आना शुरू ही किया था बस... इनका क्या सीन है..
गौरी: पता नहीं... पर इन्होने मेरे पास एक ब्लू फिल्म देख ली... वैसे कुछ खास कहा नहीं..
नमिता : फिर तो लल्लू ही होगा! वरना ऐसा सीक्रेट पकड़ने पर तो वो तुझको जैसे चाहे नचा सकते थे.... वैसे तुमने कभी किसी लड़के को दी है..
गौरी: क्या बात कर रही है तू. मैं तो बस कपड़ों में से ही दिखा-दिखा कर लड़कों को तड़पाती हूँ... मुझे इसमें मजा आता है..
नमिता : वो तुझको एक लड़के का मैसेज देना था... इसीलिए आयी थी मैं...
गौरी: किस लड़के का? ... कौनसा मैसेज..?
नमिता : देख बुरा मत मान-ना..!
गौरी: अरे इसमें बुरा मान-ने वाली क्या बात है... कुछ दे ही तो रहा है... ले तो नहीं रहा..
नमिता : मेरा भाई संजय का! वो तुझसे बहुत प्यार करता है... वो..
गौरी के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी," यार ऐसा कौन है जो मुझसे प्यार नहीं करता... एक और लड़का मेरे पीछे पड़ा है आजकल."
नमिता : कौन?
गौरी: पता नहीं... लुम्बा सा लड़का है.. हल्की-हल्की दाढ़ी है उसकी...
नमिता : स्मार्ट सा है क्या ?
गौरी: हम्म्म... स्मार्ट तो बहुत है...
नमिता : वो जरूर राकेश होगा... पहले मेरे पीछे लगा रहता था.. मैंने तो उसको भावः दिये नहीं... थोड़ी सी भी ढील देते ही निचे जाने की सोचता है... उस्ससे बच के रहना... कई लड़कियों की ले चुका है..
गौरी: अरे मुझे हाथ लगाने की हिम्मत किसी में नहीं है. हाँ दूर से देखकर तड़पते रहने की खुली छूट है....
नमिता : वो तो ठीक है... पर मैं संजय को क्या कहूँ...
गौरी: कहोगी क्या... बस, सुबह शाम दरबार में आये और दर्शन कर जाये...
नमिता : नहीं.... वो ऐसा नहीं है... वो तेरे लिये सीरियस है...
गौरी: फिर तो देखना पड़ेगा.... कहकर वो हँसने लगी!
उधर सुनील ने अंजलि को अकेला पाकर उस पर जैसे ब्रहमास्त्र से वार किया," मैडम! आपकी शादी... ?
अंजलि: क्या...?
सुनील: नहीं; बस पूछ रहा था लव मैरिज है क्या?
अंजलि को उसका सवाल अपने दिल पर घाव जैसा लगा और अपने लिए निमंत्रण भी. उसने अपनी चेयर सुनील के पास खींच ली," तुम्हे ऐसा कैसे लगा?"
सुनील: नहीं लगा तभी तो पूछ रहा हूँ. उनकी तो बेटी भी तुमसे कुछ ही छोटी है. ऐसा लगता है उनसे शादी करना तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी!"
अंजलि की टीस उसके चेहरे से साफ़ झलक रही थी," मेरी छोड़ो! आप सुनाओ. शिवानी तो हॉट है ना...
सुनील: हाँ बहुत हॉट है... पर....
अंजलि को अपने लीये सुनील के दरवाजे खुलते महसूस हुये," पर क्या..?"
सुनील ने जो कुछ कहा उससे कोई भी लड़की अपने लिये सिग्नल समझ सकती थी... अगर वो समझदार हो तो," हॉट तो है मैडम; पर भगवन सभी को सब कुछ कहाँ देता है... सबकुछ पाने के लिये तो.... दो नौकाओं पर सवार होना ही पड़ता है."
अंजलि समझदार थी; वो नौका का मतलब समझ रही थी... उसने अपना चेहरा सुनील की ओर बढा दिया," आप मुझे मैडम क्यूँ कहते हैं सुनील जी, मेरा नाम अंजलि है... और फिर एक ही घर में....." उसकी आवाज जरा सी बहकती हुयी लग रही थी.
सुनील का चेहरा भी उसकी और खिंचा चला आया," आप भी तो मुझे सुनील जी कहती हैं... एक ही घर में..." वह दूसरी नौका पर चढ़ने की सोच ही रहा था... वो एक दुसरे को apne होंटों से 'सॉरी' कहने ही वाले थे की नमिता और गौरी बेडरूम से बाहर निकल आयी... गनीमत हुयी की उन्होंने अंजलि और सुनील पर ध्यान नहीं दिया..
अंजलि दूर हटकर अपने चेहरे प् छलक आया पसीना पोंछने लगी... सुनील नीचे झुक कर कोई चीज उठाने की कोशिश करने लगा.... और जब उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया, तो नमिता उसके सामने बैठी थी. उसको देखते ही सुनील अंजलि को भूल गया," इस गाँव के पानी में जरूर कोंई बात है..."
नमिता ने हल्का नीले रंग का पैरलल पहना हुआ था. अपनी जाँघों को एक दुसरे पर चढाये बैठी नमिता की मस्त गोल जाँघों को देखकर ही उसकी गांड की 'एक्सपर्ट क्वालिटी' का अंदाजा लगाया जा सकता था... चूचियाँ तो उसकी थी ही खड़ी-खड़ी... कातिल," क्यूँ सर?" उसने सुनील को अपनी जाँघों पर नजर गड़ाये देखते हुये पूछा.
सुनील: अरे यहाँ लड़कियाँ एक से बढ़कर एक हैं... अगर मेरी शादी नहीं हुयी होती तो मैं भी यहीं शादी करता; शमशेर भाई की तरह." वो नजरों से ही नमिता को तार-तार कर देना चाहता था
नमिता खिल-खिला कर हंस पड़ी... उसको अपनी जवानी पर नाज था... पर अंजलि शमशेर का नाम सुनकर तड़प सी गयी... उसने टॉपिक को बदलते हुये कहा," नमिता ! हम ३ दिन का टूर अरैंज कर रहे हैं, मनाली के लिये... चलोगी क्या?
नमिता : मैं तो जरूर चलूंगी मैडम... पर शायद ज्यादातर लड़कयों के घरवाले तैयार ना हों!
अंजलि: कल देखते हैं... वो उठकर जाने लगी तो नमिता ने कहा," मैडम! मैं गौरी को अपने घर ले जाऊ?
अंजलि: क्या करेगी? पर तुम गौरी से ही पूछ लो...( अन्दर ही अन्दर वह सुनील के साथ अकेले होने की बात को सोचकर रोमांचित हो उठी थी...)
गौरी: मैं तो तैयार भी हो गयी दीदी! जाऊँ क्या?
अंजलि: चली जाओ, पर जल्दी आ जाना. वह बोलना तो इसके उलट चाहती थी.
गौरी और नमिता बाहर निकल गयी... अब फिर अंजलि और सुनील अकेले रह गये....
अंजलि और सुनील दोनों ही एक दुसरे के लिये तरस रहे थे. दोनों रह-रह कर एक दुसरे की और देख लेते.. पर जैसे शुरुआत दोनों ही सामने वाले से चाहते हों... शुरुआत तो कब की हो चुकी होती अगर नमिता और गौरी बीच में ना टपकती तो... पर अब दोनों के लिये ही नये सिरे से वही बाते उठाना मुश्किल सा हो रहा था.... पहल तो आदमी को ही करनी चाहिये सो सुनील ने ही पहल करने की कोशिश की," मैं आपको सिर्फ 'अंजलि' बुलाऊँ तो आपको बुरा तो नहीं लगेगा..."
अंजलि की जैसे जान में जान आयी. वो तो कब की सोच रही थी सुनील बात शुरू करे," मैं कब से यही तो कह रही हूँ... और आप भी मत कहो...' तुम' कहो!
सुनील फिर से उसकी और खिसक आया...," तुम अपनी शादी से खुश हो क्या?"
अंजलि ने भी उसकी और झुक कर कहा," तुम्हें क्या लगता लगता है... सुनील"
सुनील को जो भी लगता था पर इस वक़्त वो इसका जवाब बोलकर नहीं देना चाहता था...
सुनील ने अंजलि के उसकी जाँघों पर रखे हाथ पर अपना हाथ रख दिया... अंजलि ने दुसरे हाथ से उसके हाथ को पकड़ लिया... और सुनील की आँखों में देखकर ही जैसे थैंक्स बोलना चाहा सुनील उसका हाथ पकड़ कर खड़ा हो गया और बेडरूम की और चलने लगा... अंजलि पतंग से बंधी डोरे की भाँति उसके साथ बंधी चली गयी....
अंजलि और सुनील के पास बेडरूम में जाने के बाद कहने को कुछ नहीं बचा था... दोनों एक दुसरे के हाथों में हाथ डाले एक दुसरे को देख रहे थे.. अब भी उनमें झिझक थी; आगे बढ़ने की... पर तड़प दोनों की ही आँखों में बराबर थी.. आगे बढ़ने की.. सुनील ने उसका हाथ दबाते हुये कहा," अंजलि क्या.... क्या मैं तुमको छू सकता हूँ...
कहने भर की देर थी. अंजलि उससे लिपट गयी.. उसकी चूचियाँ सुनील की छाती से मिल कर कसमसा उठी. सुनील ने उसका चेहरा चूम लिया.... अंजलि को मुश्किल से अपने से अलग किया और फिर पूछा," क्या मैं तुम्हें छू सकता हूँ.... तुम्हारा सारा बदन..."
अंजलि के पास शब्द नहीं थे उसकी कसक को व्यक्त करने के लिये... उसने फिर से सुनील से चिपकने की कोशिश करी पर सुनील ने उसको अपने से ठोड़ी दूर ही पकड़े रखा.. अंजलि झल्ला गयी.... उसने सुनील के हाथों को झटका और रूठ कर बेड पर उल्टी लेट गयी... मानो उसने बिस्तर को ही अपनी चुचियों की प्यास बुझाने का एकमात्र रास्ता मान लिया हो.
सुनील ने जी भर कर उसके बदन को देखा. उसके बदन का एक-एक हिस्सा खिला हुआ था... उल्टी लेटी होने की वजाह से उसके मोटे गोल चूतड़ एक पठार की तरह ऊपर उठे हुये थे...... उसकी जाँघों ने एक दूसरी को अपने साथ चिपकाया हुआ था मानो चूत की तड़प को बुझाना चाहती हों. उसकी पतली सी कमर तो मानो सोने पर सुहागा थी.
सुनील उसके पास बैठ गया और उसकी कमर पर हाथ रख दिया; सहलाने लगा...
अंजलि मारे तड़प के दोहरी सी हुयी जा रही थी... उसने अपने चूतडों को हल्का सा उभार दिया... वह कहना चाह रही थी की दर्द यहाँ है... उसकी कमर में नहीं.
सुनील ने हल्के से अंजलि के चूतडों पर हाथ फिराया. अंजलि सिसक उठी, पर बोली नहीं कुछ भी.. उसकी खामोशी चीख-चीख कर कह रही थी.. छू लो मुझे, जहाँ चाहो... और चढ़ जाओ उसकी नौका में... और ये वासना का सागर पार कर डालो... उसके मुँह से अचानक निकला," प्लीज! सुनील"
सुनील ने अपना हाथ उसके चूतडों पर से उठा लिया," सॉरी मैडम! मैं बहक रहा हूँ...
अंजलि ने तो जैसे हद ही कर दी... उल्टे लेटे-लेटे ही उसने सुनील का हाथ पकड़ा और अपनी गांड की दरारों में फँसा दिया," बहक जाओ सुनील... पागल हो जाओ.. और मुझे भी कर दो... प्लीज!
सुनील को बस उसके मुँह से यही सुन-ना था.. वह अंजलि के साथ लेट गया और उसके होंटों को अपने होंटो से चुप करा कर उसकी गांड को सहलाने लगा... अन्दर तक... अंजलि मारे खुशी के सीत्कार कर उठी. वो अपने चूतडों को और उठाकर अपनी चूत को खोलती गयी... अब सुनील का हाथ उसकी चूत की फाँकों पर था... कपडों की दिवार हालाँकि बीच में बाधा बनी हुयी थी.
अंजलि अपनी फाँकों पर सुनील का खुरदरा हाथ महसूस कर रही थी.. सुनील के हाथों से फैली मिठास पूरी तराह से उसको मदहोश कर रही थी.. उसकी बंद होती आँखें पीछे मुड़ कर देख रही थी... सुनील के चेहरे को... सुनील अंजलि के दिल में शमशेर की जगह आया था. ओमप्रकाश के लिए तो उसने कभी वो दरवाजा खोला ही नहीं.... दिल का!
सुनील ने नीचे हाथ ले जाकर अंजलि की इज्जत को बांध कर रखने वाला नाड़ा खोल दिया और उसकी सलवार को खींच कर घुटनों तक उतार दिया. उसकी चूत बिफर सी पड़ी सुनील की नजरों के सामने आते ही.. उसकी चूत फूल कर पाँव बन चुकी थी... और चूत की पत्तियां बाहर मुँह निकाले अपने को चूसे जाने का इंतज़ार कर रही थी
सुनील ने उनका इंतज़ार लम्बा नहीं खींचा. उनको देखते ही उसने अपने होंटों के बीच लपक लिया... अंजलि इतनी मदहोश हो चुकी थी की उसको पता ही नहीं चला कब उसकी सलवार उसके पैरों का साथ छोड़ चुकी थी. वह बार-बार अपनी गांड को इधर उधर हिला रही थी... किस्मत से दुबारा मिला इतना आनंद उससे सहन नहीं हो रहा था.. सुनील ने उसके चूतड़ों को उठाकर अपने ऊपर गिरा लिया और जोर से उस प्यासी चूत को अपने थूक से छकाने लगा.
अंजलि ने देखा; लेते हुये सुनील का लंड उसकी पहुँच में है... ऐसा लग रहा था की पैंट में वो मचल रहा है... अंजलि ने जिप खोलकर उसको इस तराह से चूसा की सुनील के तो होश ही गायब होने लगे... शिवानी ऐसा कभी नहीं करती थी.. इसीलिये अब इससे रुक पाना मुश्किल लग रहा था... वह घुटनों के बल बैठ कर जोर-जोर से उसके मुँह के अन्दर बाहर करने लगा... अंजलि भी अपनी जीभ से उसको बार-बार आनंदित कर रही थी..
सुनील को लगा जैसे अब निकल जायेगा... उसने अपना लंड बाहर खींच लिया... अंजलि ने सुनील को इस तराह देखा मानो किसी बच्चे से उसकी फेवरेट आइसक्रीम छीन ली हो.
पर ज्यादा देर तक उसकी नाराजगी कायम ना रही. सुनील ने फिर से उसको 'शमशेर वाली कुतिया' बनाया और लंड को एक ही झटके में सर्रता हुआ अन्दर भेज दिया... अंजलि की चूत इस तराह फड़-फड़ा उठी जैसे बरसों का प्यासा चटक बदल गरजने पर फड़-फड़ाता है... सुनील उसके पीछे से जोर-जोर धक्के लगा रहा था... अंजली उफ़-उफ़ करती रही...
सुनील ने उसके कमीज के ऊपर से ही उसकी झटकों के साथ हिल रही उसकी चुचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया... और अंजलि के कान के पास मुँह ले जाकर हांफते हुये बोला, मैडम... पीछे करुँ क्या?"
सुनते ही अंजलि पहले तो शरमाई फिर अपनी कमर को और ऊपर उठा लिया ताकि वो समझ जाये की पीछे करवाने की तड़प ने ही तो अंजलि को भटकने पर मजबूर कर दिया है.. सुनील ने अपना लुंड निकाल लिया और उसकी गांड के बाहर चूत की चिकनाई लगाकर गांड के छेद को चिकना कर दिया और अंजलि की पुरानी हसरत पूरी करने को तैयार हो गया......
अपनी गांड के छेद से लंड की टोपी लगते ही मारे आनंद के अंजलि जैसे चीख ही पड़ी. सुनील ने अंजलि की कमर को अपने हाथ से दबा लिया ताकि उसका छेद और थोड़ा सा ऊपर को हो जाये. इस पोजीशन में अंजलि का चेहरा और एक बाजु बेद पर टिके हुये थे. दूसरी बाजु कोहनी का सहारा लेकर बेड पर टिकी हुयी थी. सुनील ने अपने लंड का दबाव देना शुरू किया. एक बार थोड़ा सा दबाव दिया और सुपाड़ा उसकी गांड में फँस गया.. अंजली ने मुश्किल से अपनी आवाज निकालने से रोकी. वह ख़ुशी और दर्द के मारे मरी जा रही थी...
जैसे ही सुनील ने और कोशिश की, अंजलि उत्तेजनावश उठ गयी और अपने घुटनों के बल खड़ी सी हो गयी. लंड अब भी थोड़ा सा उसकी गांड में फँसा हुआ था. सुनील ने दोनों हाथ आगे निकाल कर उसकी चूचियाँ कस कर पकड़ ली और अंजलि के कानो को खाने लगा... सुनील की हर हरकत अंजलि को बदहवासी के आलम में पहुँचा रही थी.. अंजलि ने मुँह दाँयी और घुमा दिया और अपने होंट खोल दिए.. सुनील भी थोड़ा और आगे को हुआ और उसके होंटों को अपनी जीभ निकाल कर चाटने लगा. अंजलि ने भी अपनी जीभ बाहर निकाल दी... इस रस्सा-कसी में लंड धीरे-धीरे अन्दर सरकने लगा... अब सुनील थोड़ा थोड़ा आगे पीछे हो रहा था.. अंजलि को मजा आना शुरू हुआ तो उसमें जैसे ताकत ही ना बची हो इस तराह से आगे झुक गयी... धक्के लगाता-लगाता सुनील अंजलि को पहले वाली पोजीशन पर ले आया. अब लंड आराम से उसकी गांड की जड़ को ठोकर मार कर आ रहा था... अंजलि का तो हाल बेहाल था... वह जो कुछ भी बड़बड़ा रही थी; सुनील की समझ के बाहर था... पर इस बड़बड़ के बढ़ने के साथ ही सुनील के धक्कों में तेजी आती गयी... अंजलि अपने नीचे से हाथ निकाल कर अपनी चूत की पत्तियों को और दाने को नोच रही थी... धक्कों की बढती रफ़्तार के साथ ही अंजलि पागल सी होकर 'शमशेर' का नाम बार-बार ले रही थी.. जो सुनील को अच्छी तराह समझ में आ रहा था... सुनील ने अपने लंड के रस की पिचकारी किस्तों में छोड़नी शुरू कर दी. अंजलि इस रस को गांड में भर कर जैसे दूसरी ही दुनिया में पहुँच गयी हो, सेक्स की आखरी साँस लेते हुये उसने "आई लव यू शमशेर" बोला और बेड पर लुढ़क गयी... सुनील भी उसके ऊपर आ गिरा.
सुनील ने दूसरी नौका पर बैठ कर एक समुंदर पर कर लिया और साथ ही नौका को भी समुंदर पार ले गयाआआ ...
अंजलि ने सीधी होकर सुनील को अपनी छातीयों से लगा लिया.... अंजलि और सुनील एक बार और जी भर कर प्यार करने के बाद ऐसे ही सो गये थे...
राकेश; सरपंच का बेटा, गौरी के मतवालों की यूनियन का लीडर था.... क्या बरसात, क्या दुपहर; और कोयी आये ना आये... राकेश जरूर सुबह शाम हाजरी लगता था... गौरी को उसका नाम तो नहीं मालूम था... हाँ शक्ल अच्छी तराह से याद हो गयी थी...
एक दिन जब सुबह गौरी स्कूल जा रही थी, राकेश उसके साथ-साथ चलने लगा..," आप बहुत सुन्दर हैं!
गौरी ने अपने स्टेप कट किये बालों को पीछे झटका, राकेश को नजर भर देखा और बोली," थैंक्स! " और चलती रही....
राकेश उसके पीछे-पीछे था.... राकेश ने देखा... पैरलल सूट में से उसकी गांड बाहर को निकली दिखायी दे रही थी.... बिलकुल गोल... फुटबॉल की तराह..... एक बटा तीन फुटबॉल...
उसके चूतडों में गजब की लरज थी... चलते हुये जब वो दायें बाएँ हिलते तो सबकी नजरें भी ताल से दाएँ-बाएँ होती थी....
गौरी स्कूल में घुस गयी... और राकेश दरवाजे पर खड़ा होकर अपना सिर खुजाने लगा....
सुनील ऑफिस में बैठा हुआ था, जैसे ही अंजलि ऑफिस में आयी सुनील ने अपना दाँव चला," मैडम! पीछे करू!"
अंजली को जैसे झटका सा लगा. उसको रात की बात याद आ गयी... वो अक्सर अपने पति को लंड पीछे घुसाने को पीछे करने को कहती थी," वहहहआआआट?"
सुनील ने मुस्कुराते हुये अपनी कुर्सी पीछे करके अंजलि के अन्दर जाने का रास्ता छोड़ दिया," मैडम, कुर्सी की पूछ रहा था... अन्दर आना हो तो पीछे करू क्या?"
"ओह थैंक्स!", अंजलि ने अपने माथे का पसीना पौछा.
सुनील ने १०थ का रजिस्टर लिया और क्लास में चला गया!
सुनील ने क्लास में जाते ही सभी लड़कियों को एक-एक करके देखा... लड़कियाँ खड़ी हो गयी थी....
"नीचे रख लो!" सुनील ने मुस्कुराते हुये कहा.
सुनील की 'नीचे रख लो' का मतलब समझ कर कई लड़कियों की तो नीचे सिटी सी बज गयी... नीचे तो उनको एक ही चीज़ रखनी थी... अपनी गांड!
सुनील ने एक सबसे सेक्सी चुचियों वाली लड़की को उठाया... ," तुम किस्से प्यार करती हो?"
लड़की सकपका गयी... उसने नजर झुका ली...
"अरे मैं पूछ रहा हूँ की तुम स्कूल में किस टीचर से सबसे ज्यादा प्यार करती हो! तुम्हारा फेवरेट टीचर कौन है".....
लड़की की जान में जान आयी... उसके समेत कई लड़कियाँ एक साथ बोल उठी," सर...शमशेर सर!"
सुनील: वाह भई वाह!
सुनील ने शमशेर के पास फोन मिलाया...," भाई साहब! यहाँ कौनसा मंत्र पढ़कर गये हो... लड़कियाँ तो आपको भूलना ही नहीं चाहती.."
शमशेर के हंसने की आवाज आयी...
"और सब कैसा चल रहा है भाई साहब! दिशा भाभी ठीक हैं..."
दिशा के साथ भाभी सुनकर लड़कियों को जलन से हुयी..
"हाँ! बहुत खुश है... अभी तो वो स्कूल गयी हैं... नहीं तो बात करा देता... और मैं भी तो स्कूल में ही हूँ!"
"बहुत अच्छा भाई साहब! फिर कभी बात कर लूँगा! अच्छा रखूँ"
"ओके डियर! बाय"
सुनील ने फोन जेब में रखकर अपना प्रवचन शुरू किया," देखो साली साहिबाओ...!"
लड़कियाँ उसको हैरत से देखने लगी...
"अरे दिशा तुम्हारी बहन थी की नहीं..."
लड़कियों की आवाज आयी.."जी सर"
"और भाई शमशेर की पत्नी होने के नाते वो मेरी क्या लगी...?"
"जी भाभी..!"
"तो मेरी भाभी की बहने मेरी क्या लगी...?"
लड़कियों की तरफ से कोयी जवाब नहीं आया... सभी लड़कियाँ शरमा गयी.... "तो इसका मतलब ये हमारे 'सर जी' नहीं, 'जीजा सर' हैं.... कई लड़कियाँ ये सोचकर ही हंसने लगी....
"बिलकुल ठीक समझ रही हो... देखो जी... मैं तो सारे रिश्ते निभाने वाला सामाजिक प्राणी हूँ.... जीजा साली का रिश्ता बड़ा मस्त रिश्ता होता है... कोई शर्म मत करना... जब दिल करे.. जहाँ दिल करे... दे देना..... 'राम-राम' और कभी कुछ करवाना हो तो लैब में आ जाना... जब में अकेला बैठा होऊं... 'कोयी भी काम'
चलो अब कॉपी निकाल लो..
और सुनील उनको प्रजनन( रिप्रोडक्शन ) समझाने लगा...
कुँवारी लड़कियों को प्रजनन( रिप्रोडक्शन ) सिखाते हुये सुनील ने ब्लैकबोर्ड पर पेनिस( लंड ) का डाइग्राम बनाया... नोर्मल लंड का नहीं बल्कि सीधे तने हुये मोटे लुंड का... इसको बनाते हुये सुनील ने अपनी सीखी हुयी तमाम चित्रकला ही प्रदर्षित कर दी...
पर लड़कियों का ध्यान उसकी कला पर नहीं... उसकी पैंट के उभार पर टिक गया... सुनील ने भी कोई कोशिश नहीं की उसको छुपाने की...
उसने एक्सप्लेन करना शुरू किया:
"तुमने तो अभी पेनिस देखा ही नहीं होगा.... कुँवारी हो ना.... और देखा भी होगा तो छोटे बच्चे का; छोटा मोटा नूनी... पर बड़े होने पर जब ये खड़ा होता है... घुसने के लिये तो ऐसा हो जाता है...."
उसके बाद उसने पेनिस की टिप के सामने वेजिना (चूत) बना दी.. वैसी ही सुन्दर... मोटी-मोटी फाँकें... बीच में पतली सी झिर्री... और ऊपर छोटा सा क्लिटोरिस( दाना )...
लड़कियों का हाथ अपने-अपने दानों पर चला गया... कैसी शानदार क्लास चल रही थी...
सुनील ने बोलना शुरू किया... " इसका ज्ञान आपको हम बेचारे लोगों से ज्यादा होता है... इन दोनों के मिलने से बच्चा आता है... इस छेद में से... तुम ये सोच रही होगी की इस छोटे से छेद में से बच्चा कैसे आता होगा... पर चिंता मत करो... जब ये... (उसने अपनी पैंट की और इशारा किया... डाइग्राम की और नहीं) इस में घुसता है तो शुरू-शुरू में तो इतना दर्द होता है की पूछो मत... ये फट जाती है ना... पर इस दाने में इतना आनंद होता है की लड़कियाँ सब शर्म छोड़ कर मजे लेती हैं शादी से पहले ही.....
लड़कियों के हाथ अपनी सलवार में घुसकर चूत को रगड़ने लगे उनके चेहरे लाल होते जा रहे थे... उनकी आँखें बार-बार बंद हो रही थी...
सुनील बोलता गया... ये जब इसके अन्दर घुसता है तो इसकी दीवारें खुल जाती हैं.. और पेनिस को इस मजबूती से पकड़ लेती हैं की कहीं निकाल ना जाये.. जब ये एक बार अन्दर और एक बार बाहर होता है... तो लड़कियों की सिसकारी निकल जाती है.....
और सभी लड़कियों की सिसकारी निकल गयी... एक साथ... वो बेंच को कस कर पकड़ कर आह कर उठी... एक साथ ४४ लड़कियाँ.... सुनील ने अनजाने में ही वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया... कईयों का तो पहली बार निकला था...
सुनील समझ गया की अब कोई फायदा नहीं... अब ये नहीं सुनेंगी... उसने बोर्ड को साफ़ किया और कहते हुये बाहर निकल गया," गर्ल्स! मौका मिले तो प्रैक्टिकल करके देख लेना!"
छुट्टी के बाद जब गौरी निकली तो देखा; राकेश सामने ही खड़ा था.... गौरी ने उसको देखा और चल दी... और लड़कियाँ भी जा रही थी... गौरी ने अपनी स्पीड तेज कर दी और तेज़ चलने लगी.... वो अकेली सी हो गयी... तभी पीछे से राकेश ने कहा," मैं तुमसे 'फ्रेंडशिप' करना चाहता हूँ"..... गाँव में लड़की से फ्रेंडशिप का मतलब चूत माँगना ही होता है... गौरी इतरायी और बिना कुछ बोले घर में घुस गयी... राकेश टूटे हुये क़दमों से वापस चला गया....
गौरी ने अन्दर आते ही अपना बैग रखा और सोफे पर लुढ़क गयी.... उसके पापा बाहर गए हुए थे..
उसने टीवी और प्लेयर ऑन कर दिया... इंग्लिश..न. ८ शुरू हो गयी !
गौरी भाग कर उठी और हड़बड़ाहट में टीवी ऑफ किया... तभी सुनील और अंजलि आ पहुँचे... गौरी की हालत खराब हो गयी थी... उसने सीडी निकाल ली...
सुनील बोला,"कोई नयी सीडी है क्या? दिखाना..... उसको पता था ये ब्लू सीडी है..
गौरी... ," न्न्न्न.. नहीं सर... ये तो ... वो मेरी सहेली की मम्मी की शादी की है..."
सुनील, "अच्छा... कब हुयी शादी?
गौरी: सर अभी हुयी थी... ५-७ दिन पहले.....
सुनील जोर-जोर से हँसने लगा... अंजलि ने पूछा क्या हुआ..
किसी ने कोई जवाब नहीं दिया... गौरी सोच रही थी... मेरी सहेली की मम्मी की शादी ५-७ दिन पहले कैसे हो सकती है.... वो सोचती हुयी बाथरूम में चली गयी और नहाने लगी.....
गौरी ने नहाकर बाहर निकली तो उसने देखा सुनील उसको घूर रहा है. वह मुस्कुरायी और कहने लगी," क्या बात है सर ? ऐसे क्यूँ देख रहे हैं ?"
सुनील: कुछ नहीं! तेरी उम्र कितनी है ?
गौरी: १८ साल !
सुनील: पूरी या कुछ कम है ?
गौरी: १ महीना ऊपर... क्यूँ ?
सुनील: नहीं! कुछ नहीं; अपनी जनरल नॉलेज बढा रहा था
गौरी ने उसकी बाँह पकड़ ली, वह उससे कुछ ही इंच की दूरी पर थी," नहीं सर! प्लीस बताईये ना! क्यूँ पूछ रहे हैं...
सुनील ने धीरे से बोल कर उसके शरीर में चीटियाँ सी चला डी," वो मैंने तेरी सहेली की माँ की शादी की विडियो देखि थी... उसपे वार्निंग थी; नोट फॉर माइनर्स"
गौरी को जैसे साँप सूँघ गया...वो वहीँ जड़ होकर खड़ी रही... सुनील भी कुछ देर उसका इंतज़ार करता रहा और फिर उसके हाथ को धीरे से दबा कर चलता बना," तुम्हारी सहेली की शादी का हनीमून बहुत अच्छा लगा.
लंच के लिए चारों एक साथ आ बैठे... गौरी उठी और सबके लिए खाना लगाने चली गयी..
अंजलि: सुनील जी; मैं सोच रही हूँ की स्कूल का एक तीन दिन का एजुकेशनल टूर अरेंज किया जाये... कैसा आईडिया है...!
सुनील: अच्छा है, बल्कि बहुत अच्छा है.... वाह क्या आईडिया है मैम ! आपने तो मेरे मुँह की बात छीन ली...
वो तब तक बोलता ही गया जबतक की शिवानी ने उसके मुँह को अपने हाथों से बंद ना कर दिया... ये देखकर अंजलि हँसने लगी... गौरी आयी और आकर खाना टेबल पर लगा दिया.... वो सुनील के सामने कुर्सी पर बैठी थी पर उससे नजरें नहीं मिला पा रही थी...
अंजलि: क्या बात है, गौरी! तुम कुछ नर्वस दिखाई दे रही हो!
गौरी उसको मम्मी नहीं दीदी बुलाती थी... उसके पापा ने कयी बार बोला था उसको ढंग से बोलने के लिए पर उसके मुँह से दीदी ही निकलता था...
गौरी: नहीं दीदी! ऐसी तो कोई बात नहीं है ?
सुनील ने उसके पैर को टेबल के नीचे से दबा दिया और कहने लगा," नहीं नहीं! कोई तो बात जरूर है.... बताओ ना हमसे क्या शर्माना!
गौरी की हँसी छूट गयी और वो अपना खाना उठाकर भाग गयी, अंजलि के बेडरूम में !
वो खाना खा ही रहे थे की शिवानी का फोन बज गया.
शिवानी खाना छोड़ कर उठ गयी और फोन सुन-ने लगी. फोन उसके मायके से था.
शिवानी: हेलो; हाँ मम्मी जी! ठीक हो आप लोग.
मम्मी जी: बेटी तू आ सकती है क्या ३-४ दिन के लिए.
शिवानी: क्या हुआ मम्मी ? सब ठीक तो है ना..
मम्मी जी: वो तो मैं तुझे आने पर ही बताऊंगी.
शिवानी को चिंता हो गयी," मम्मी बताओ ना! सब ठीक तो है...
मम्मी जी: बस तू आ जा बेटी एक बार!
शिवानी ने सुनील की और इशारे से पूछा... सुनील ने सर हिला दिया," ठीक है मम्मी मैं कल ही आ जाती हूँ.
मम्मी: कल नहीं बेटी; तू आज ही आ जा...
सुनील ने शिवानी से फोन ले लिया," नमस्ते मम्मी जी!"
मम्मी जी: नमस्ते बेटा!
सुनील: क्या हुआ, यूँ अचानक..
मम्मी जी: बस बेटा कुछ जरूरी काम ही समझ ले... हो सके तो इसको आज ही भेज दे.
सुनील: ठीक है मम्मी जी... मैं इसको भेज देता हूँ... वैसे तो सब ठीक है ना..
मम्मी जी: हाँ बेटा! ये आ जाये तो चिंता की कोई बात नहीं है.
सुनील: ओके मम्मी जी; बाय... ये ३ घंटे में पहुँच जायेगी...
अंजलि ने शिवानी से कहा," शिवानी तुम निश्चिंत होकर जाओ! यहाँ हम हैं सुनील की देखभाल के लिए... तुम वहाँ जाकर जरूर बताना बात क्या हो गयी... यूँ अचानक...
शिवानी अपने कपड़े पैक करने लगी... उसने सुनील को कुछ जरूरी इन्स्ट्रकशंस दी और तैयार होकर सुनील के साथ निकल गयी...
बाहर जाकर उसने सुनील से पूछा, ये टूर कब जा रहा है ?
सुनील: मुझे क्या मालूम ! मैंने तो अभी तुम्हारे आगे ही सुना है.
शिवानी: हो सके तो टूर पोस्टपोन करवा लेना... मेरा भी बहुत मन है...
सुनील ने उसको बस में बैठाया और आजाद पंछी की तराह झूमता हुआ घर पहुँच गया...
अंजलि, गौरी और सुनील, तीनो लिविंग रूम में बैठे टीवी देख रहे थे... टीवी का तो जैसे बहाना था....
अंजलि को बार-बार स्कूल में कही गयी लाइन ' पीछे करू क्या?' याद आ रही थी.. क्यूँकी आज उसके हसबैंड घर पर नहीं थे इसीलिए उसको शमशेर और उससे जुड़ी तमाम यादें और भी अधिक विचलित कर रही थी.. वो रह-रह कर सुनील को देख लेती...
गौरी सीडी वाली बात से अन्दर ही अन्दर शर्मिंदा थी. सर उसके बारे में पता नहीं क्या-क्या सोचते होंगे...उसकी नजर बार-बार सुनील पर जा रही थी...
और सुनील का तो जैसे दोनों पर ही ध्यान था... क्या अंजलि उसकी उस इच्छा को पूरा कर सकती है जिसको शिवानी ने आज तक एक इच्छा ही रखा है बस... सुनील अच्छी तराह जानता था की कोई भी औरत अपने आप अपनी गांड मरवाने को कह ही नहीं सकती. ऐसा सिर्फ तभी हो सकता है जब एक-दो बार कोई आदमी उसकी गांड मार कर उसको अहसास करा दे की यहाँ का मजा चूत के मजे से कम नहीं होता.... पर ओमप्रकाश ने तो इस तराह से रिऐक्ट किया था जैसे उसको तो गांड का छेद देखने से ही नफरत हो. इसका मतलब अंजलि पहले अपनी गांड मरवा चुकी है... क्या वो उसको चांस दे सकती है... उन दोनों की गांड की भूख को शांत करने का.... वह अंजलि की ओर रह-रह कर देख लेता...
और गौरी..! ऐसी सुन्दर कन्या को अगर भोगने का; भोगना छोडो सिर्फ देखने का ही मौका मिल जाये तो फिर तो जैसे जिंदगी में कुछ करने को रहे ही ना.... वो रह रह कर गौरी की मादक छातियों के उभारों को देखकर ही तसल्ली कर लेता... लूस पैंट डाले हुये होने की वजाह से उसका ध्यान उसकी जाँघों पर नहीं जा रहा था...
अचानक सिलसिला अंजलि ने तोड़ा," गौरी! आज तुम्हारे पापा नहीं आयेंगे.. तुम मेरे पास ही सो जाना"
लेकिन गौरी को तो रात को अपनी चूत को गीला करके सोने की आदत थी और बेडरूम में वो पूरी हो ही नहीं सकती थी..," नहीं दीदी! मैं तो यहीं सो जाऊँगी... आप ही सो जाना बेडरूम में...
अंजलि उसकी बात सुनकर मन ही मन खुश हुयी. क्या पता सुनील उसके बारे में कुछ सोचता हो. और अपने हाथ आ सकने वाला मौका वह गँवाना ही नहीं चाहती थी.
"तो सुनील! आपने बताया नहीं... टूर के बारे में..."
सुनील: मैडम जैसी आपकी इच्छा! मैं तो अपने काम में कसर छोड़ता ही नहीं...
अंजलि: मैंने स्टाफ मेम्बर्स से भी बात की थी... वो तो सब मनाली का प्रोग्राम बनाने को कह रही है...
सुनील: ठीक है मैम! कर दीजिये फाइनल... चलो मनाली...
तभी दरवाजे पर बैल हुयी. वो नमिता थी," हाय गोरी!"
गाँव भर के लड़कों को अपना दीवाना करने वाली लड़कियाँ अब दोस्त बन चुकी थी... एक दूसरी की. गौरी ने उसको ऊपर से नीचे तक देखा," क्या बात है नमिता ! कहाँ बिजली गिराने का इरादा है...आओ!"
नमिता : यहीं तेरे घर पर.
वो अन्दर आयी और अपने नए सर और अंजलि मैडम को विश किया... फिर दोनों अन्दर चली गयी
नमिता : यार, तुझे एक बात बतानी थी.
गौरी: बोलो ना...
नमिता : तुझे पता है. सुनील सर से पहले शमशेर सर यहाँ थे...
गौरी: हाँ... तो!
नमिता : तुझे पता है... वो एक न. के अय्याश थे... फिर पता नहीं क्यूँ.... उसने दिशा से शादी कर ली और चले गये... मैंने तो उनकी नजरों में आना शुरू ही किया था बस... इनका क्या सीन है..
गौरी: पता नहीं... पर इन्होने मेरे पास एक ब्लू फिल्म देख ली... वैसे कुछ खास कहा नहीं..
नमिता : फिर तो लल्लू ही होगा! वरना ऐसा सीक्रेट पकड़ने पर तो वो तुझको जैसे चाहे नचा सकते थे.... वैसे तुमने कभी किसी लड़के को दी है..
गौरी: क्या बात कर रही है तू. मैं तो बस कपड़ों में से ही दिखा-दिखा कर लड़कों को तड़पाती हूँ... मुझे इसमें मजा आता है..
नमिता : वो तुझको एक लड़के का मैसेज देना था... इसीलिए आयी थी मैं...
गौरी: किस लड़के का? ... कौनसा मैसेज..?
नमिता : देख बुरा मत मान-ना..!
गौरी: अरे इसमें बुरा मान-ने वाली क्या बात है... कुछ दे ही तो रहा है... ले तो नहीं रहा..
नमिता : मेरा भाई संजय का! वो तुझसे बहुत प्यार करता है... वो..
गौरी के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी," यार ऐसा कौन है जो मुझसे प्यार नहीं करता... एक और लड़का मेरे पीछे पड़ा है आजकल."
नमिता : कौन?
गौरी: पता नहीं... लुम्बा सा लड़का है.. हल्की-हल्की दाढ़ी है उसकी...
नमिता : स्मार्ट सा है क्या ?
गौरी: हम्म्म... स्मार्ट तो बहुत है...
नमिता : वो जरूर राकेश होगा... पहले मेरे पीछे लगा रहता था.. मैंने तो उसको भावः दिये नहीं... थोड़ी सी भी ढील देते ही निचे जाने की सोचता है... उस्ससे बच के रहना... कई लड़कियों की ले चुका है..
गौरी: अरे मुझे हाथ लगाने की हिम्मत किसी में नहीं है. हाँ दूर से देखकर तड़पते रहने की खुली छूट है....
नमिता : वो तो ठीक है... पर मैं संजय को क्या कहूँ...
गौरी: कहोगी क्या... बस, सुबह शाम दरबार में आये और दर्शन कर जाये...
नमिता : नहीं.... वो ऐसा नहीं है... वो तेरे लिये सीरियस है...
गौरी: फिर तो देखना पड़ेगा.... कहकर वो हँसने लगी!
उधर सुनील ने अंजलि को अकेला पाकर उस पर जैसे ब्रहमास्त्र से वार किया," मैडम! आपकी शादी... ?
अंजलि: क्या...?
सुनील: नहीं; बस पूछ रहा था लव मैरिज है क्या?
अंजलि को उसका सवाल अपने दिल पर घाव जैसा लगा और अपने लिए निमंत्रण भी. उसने अपनी चेयर सुनील के पास खींच ली," तुम्हे ऐसा कैसे लगा?"
सुनील: नहीं लगा तभी तो पूछ रहा हूँ. उनकी तो बेटी भी तुमसे कुछ ही छोटी है. ऐसा लगता है उनसे शादी करना तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी!"
अंजलि की टीस उसके चेहरे से साफ़ झलक रही थी," मेरी छोड़ो! आप सुनाओ. शिवानी तो हॉट है ना...
सुनील: हाँ बहुत हॉट है... पर....
अंजलि को अपने लीये सुनील के दरवाजे खुलते महसूस हुये," पर क्या..?"
सुनील ने जो कुछ कहा उससे कोई भी लड़की अपने लिये सिग्नल समझ सकती थी... अगर वो समझदार हो तो," हॉट तो है मैडम; पर भगवन सभी को सब कुछ कहाँ देता है... सबकुछ पाने के लिये तो.... दो नौकाओं पर सवार होना ही पड़ता है."
अंजलि समझदार थी; वो नौका का मतलब समझ रही थी... उसने अपना चेहरा सुनील की ओर बढा दिया," आप मुझे मैडम क्यूँ कहते हैं सुनील जी, मेरा नाम अंजलि है... और फिर एक ही घर में....." उसकी आवाज जरा सी बहकती हुयी लग रही थी.
सुनील का चेहरा भी उसकी और खिंचा चला आया," आप भी तो मुझे सुनील जी कहती हैं... एक ही घर में..." वह दूसरी नौका पर चढ़ने की सोच ही रहा था... वो एक दुसरे को apne होंटों से 'सॉरी' कहने ही वाले थे की नमिता और गौरी बेडरूम से बाहर निकल आयी... गनीमत हुयी की उन्होंने अंजलि और सुनील पर ध्यान नहीं दिया..
अंजलि दूर हटकर अपने चेहरे प् छलक आया पसीना पोंछने लगी... सुनील नीचे झुक कर कोई चीज उठाने की कोशिश करने लगा.... और जब उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया, तो नमिता उसके सामने बैठी थी. उसको देखते ही सुनील अंजलि को भूल गया," इस गाँव के पानी में जरूर कोंई बात है..."
नमिता ने हल्का नीले रंग का पैरलल पहना हुआ था. अपनी जाँघों को एक दुसरे पर चढाये बैठी नमिता की मस्त गोल जाँघों को देखकर ही उसकी गांड की 'एक्सपर्ट क्वालिटी' का अंदाजा लगाया जा सकता था... चूचियाँ तो उसकी थी ही खड़ी-खड़ी... कातिल," क्यूँ सर?" उसने सुनील को अपनी जाँघों पर नजर गड़ाये देखते हुये पूछा.
सुनील: अरे यहाँ लड़कियाँ एक से बढ़कर एक हैं... अगर मेरी शादी नहीं हुयी होती तो मैं भी यहीं शादी करता; शमशेर भाई की तरह." वो नजरों से ही नमिता को तार-तार कर देना चाहता था
नमिता खिल-खिला कर हंस पड़ी... उसको अपनी जवानी पर नाज था... पर अंजलि शमशेर का नाम सुनकर तड़प सी गयी... उसने टॉपिक को बदलते हुये कहा," नमिता ! हम ३ दिन का टूर अरैंज कर रहे हैं, मनाली के लिये... चलोगी क्या?
नमिता : मैं तो जरूर चलूंगी मैडम... पर शायद ज्यादातर लड़कयों के घरवाले तैयार ना हों!
अंजलि: कल देखते हैं... वो उठकर जाने लगी तो नमिता ने कहा," मैडम! मैं गौरी को अपने घर ले जाऊ?
अंजलि: क्या करेगी? पर तुम गौरी से ही पूछ लो...( अन्दर ही अन्दर वह सुनील के साथ अकेले होने की बात को सोचकर रोमांचित हो उठी थी...)
गौरी: मैं तो तैयार भी हो गयी दीदी! जाऊँ क्या?
अंजलि: चली जाओ, पर जल्दी आ जाना. वह बोलना तो इसके उलट चाहती थी.
गौरी और नमिता बाहर निकल गयी... अब फिर अंजलि और सुनील अकेले रह गये....
अंजलि और सुनील दोनों ही एक दुसरे के लिये तरस रहे थे. दोनों रह-रह कर एक दुसरे की और देख लेते.. पर जैसे शुरुआत दोनों ही सामने वाले से चाहते हों... शुरुआत तो कब की हो चुकी होती अगर नमिता और गौरी बीच में ना टपकती तो... पर अब दोनों के लिये ही नये सिरे से वही बाते उठाना मुश्किल सा हो रहा था.... पहल तो आदमी को ही करनी चाहिये सो सुनील ने ही पहल करने की कोशिश की," मैं आपको सिर्फ 'अंजलि' बुलाऊँ तो आपको बुरा तो नहीं लगेगा..."
अंजलि की जैसे जान में जान आयी. वो तो कब की सोच रही थी सुनील बात शुरू करे," मैं कब से यही तो कह रही हूँ... और आप भी मत कहो...' तुम' कहो!
सुनील फिर से उसकी और खिसक आया...," तुम अपनी शादी से खुश हो क्या?"
अंजलि ने भी उसकी और झुक कर कहा," तुम्हें क्या लगता लगता है... सुनील"
सुनील को जो भी लगता था पर इस वक़्त वो इसका जवाब बोलकर नहीं देना चाहता था...
सुनील ने अंजलि के उसकी जाँघों पर रखे हाथ पर अपना हाथ रख दिया... अंजलि ने दुसरे हाथ से उसके हाथ को पकड़ लिया... और सुनील की आँखों में देखकर ही जैसे थैंक्स बोलना चाहा सुनील उसका हाथ पकड़ कर खड़ा हो गया और बेडरूम की और चलने लगा... अंजलि पतंग से बंधी डोरे की भाँति उसके साथ बंधी चली गयी....
अंजलि और सुनील के पास बेडरूम में जाने के बाद कहने को कुछ नहीं बचा था... दोनों एक दुसरे के हाथों में हाथ डाले एक दुसरे को देख रहे थे.. अब भी उनमें झिझक थी; आगे बढ़ने की... पर तड़प दोनों की ही आँखों में बराबर थी.. आगे बढ़ने की.. सुनील ने उसका हाथ दबाते हुये कहा," अंजलि क्या.... क्या मैं तुमको छू सकता हूँ...
कहने भर की देर थी. अंजलि उससे लिपट गयी.. उसकी चूचियाँ सुनील की छाती से मिल कर कसमसा उठी. सुनील ने उसका चेहरा चूम लिया.... अंजलि को मुश्किल से अपने से अलग किया और फिर पूछा," क्या मैं तुम्हें छू सकता हूँ.... तुम्हारा सारा बदन..."
अंजलि के पास शब्द नहीं थे उसकी कसक को व्यक्त करने के लिये... उसने फिर से सुनील से चिपकने की कोशिश करी पर सुनील ने उसको अपने से ठोड़ी दूर ही पकड़े रखा.. अंजलि झल्ला गयी.... उसने सुनील के हाथों को झटका और रूठ कर बेड पर उल्टी लेट गयी... मानो उसने बिस्तर को ही अपनी चुचियों की प्यास बुझाने का एकमात्र रास्ता मान लिया हो.
सुनील ने जी भर कर उसके बदन को देखा. उसके बदन का एक-एक हिस्सा खिला हुआ था... उल्टी लेटी होने की वजाह से उसके मोटे गोल चूतड़ एक पठार की तरह ऊपर उठे हुये थे...... उसकी जाँघों ने एक दूसरी को अपने साथ चिपकाया हुआ था मानो चूत की तड़प को बुझाना चाहती हों. उसकी पतली सी कमर तो मानो सोने पर सुहागा थी.
सुनील उसके पास बैठ गया और उसकी कमर पर हाथ रख दिया; सहलाने लगा...
अंजलि मारे तड़प के दोहरी सी हुयी जा रही थी... उसने अपने चूतडों को हल्का सा उभार दिया... वह कहना चाह रही थी की दर्द यहाँ है... उसकी कमर में नहीं.
सुनील ने हल्के से अंजलि के चूतडों पर हाथ फिराया. अंजलि सिसक उठी, पर बोली नहीं कुछ भी.. उसकी खामोशी चीख-चीख कर कह रही थी.. छू लो मुझे, जहाँ चाहो... और चढ़ जाओ उसकी नौका में... और ये वासना का सागर पार कर डालो... उसके मुँह से अचानक निकला," प्लीज! सुनील"
सुनील ने अपना हाथ उसके चूतडों पर से उठा लिया," सॉरी मैडम! मैं बहक रहा हूँ...
अंजलि ने तो जैसे हद ही कर दी... उल्टे लेटे-लेटे ही उसने सुनील का हाथ पकड़ा और अपनी गांड की दरारों में फँसा दिया," बहक जाओ सुनील... पागल हो जाओ.. और मुझे भी कर दो... प्लीज!
सुनील को बस उसके मुँह से यही सुन-ना था.. वह अंजलि के साथ लेट गया और उसके होंटों को अपने होंटो से चुप करा कर उसकी गांड को सहलाने लगा... अन्दर तक... अंजलि मारे खुशी के सीत्कार कर उठी. वो अपने चूतडों को और उठाकर अपनी चूत को खोलती गयी... अब सुनील का हाथ उसकी चूत की फाँकों पर था... कपडों की दिवार हालाँकि बीच में बाधा बनी हुयी थी.
अंजलि अपनी फाँकों पर सुनील का खुरदरा हाथ महसूस कर रही थी.. सुनील के हाथों से फैली मिठास पूरी तराह से उसको मदहोश कर रही थी.. उसकी बंद होती आँखें पीछे मुड़ कर देख रही थी... सुनील के चेहरे को... सुनील अंजलि के दिल में शमशेर की जगह आया था. ओमप्रकाश के लिए तो उसने कभी वो दरवाजा खोला ही नहीं.... दिल का!
सुनील ने नीचे हाथ ले जाकर अंजलि की इज्जत को बांध कर रखने वाला नाड़ा खोल दिया और उसकी सलवार को खींच कर घुटनों तक उतार दिया. उसकी चूत बिफर सी पड़ी सुनील की नजरों के सामने आते ही.. उसकी चूत फूल कर पाँव बन चुकी थी... और चूत की पत्तियां बाहर मुँह निकाले अपने को चूसे जाने का इंतज़ार कर रही थी
सुनील ने उनका इंतज़ार लम्बा नहीं खींचा. उनको देखते ही उसने अपने होंटों के बीच लपक लिया... अंजलि इतनी मदहोश हो चुकी थी की उसको पता ही नहीं चला कब उसकी सलवार उसके पैरों का साथ छोड़ चुकी थी. वह बार-बार अपनी गांड को इधर उधर हिला रही थी... किस्मत से दुबारा मिला इतना आनंद उससे सहन नहीं हो रहा था.. सुनील ने उसके चूतड़ों को उठाकर अपने ऊपर गिरा लिया और जोर से उस प्यासी चूत को अपने थूक से छकाने लगा.
अंजलि ने देखा; लेते हुये सुनील का लंड उसकी पहुँच में है... ऐसा लग रहा था की पैंट में वो मचल रहा है... अंजलि ने जिप खोलकर उसको इस तराह से चूसा की सुनील के तो होश ही गायब होने लगे... शिवानी ऐसा कभी नहीं करती थी.. इसीलिये अब इससे रुक पाना मुश्किल लग रहा था... वह घुटनों के बल बैठ कर जोर-जोर से उसके मुँह के अन्दर बाहर करने लगा... अंजलि भी अपनी जीभ से उसको बार-बार आनंदित कर रही थी..
सुनील को लगा जैसे अब निकल जायेगा... उसने अपना लंड बाहर खींच लिया... अंजलि ने सुनील को इस तराह देखा मानो किसी बच्चे से उसकी फेवरेट आइसक्रीम छीन ली हो.
पर ज्यादा देर तक उसकी नाराजगी कायम ना रही. सुनील ने फिर से उसको 'शमशेर वाली कुतिया' बनाया और लंड को एक ही झटके में सर्रता हुआ अन्दर भेज दिया... अंजलि की चूत इस तराह फड़-फड़ा उठी जैसे बरसों का प्यासा चटक बदल गरजने पर फड़-फड़ाता है... सुनील उसके पीछे से जोर-जोर धक्के लगा रहा था... अंजली उफ़-उफ़ करती रही...
सुनील ने उसके कमीज के ऊपर से ही उसकी झटकों के साथ हिल रही उसकी चुचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया... और अंजलि के कान के पास मुँह ले जाकर हांफते हुये बोला, मैडम... पीछे करुँ क्या?"
सुनते ही अंजलि पहले तो शरमाई फिर अपनी कमर को और ऊपर उठा लिया ताकि वो समझ जाये की पीछे करवाने की तड़प ने ही तो अंजलि को भटकने पर मजबूर कर दिया है.. सुनील ने अपना लुंड निकाल लिया और उसकी गांड के बाहर चूत की चिकनाई लगाकर गांड के छेद को चिकना कर दिया और अंजलि की पुरानी हसरत पूरी करने को तैयार हो गया......
अपनी गांड के छेद से लंड की टोपी लगते ही मारे आनंद के अंजलि जैसे चीख ही पड़ी. सुनील ने अंजलि की कमर को अपने हाथ से दबा लिया ताकि उसका छेद और थोड़ा सा ऊपर को हो जाये. इस पोजीशन में अंजलि का चेहरा और एक बाजु बेद पर टिके हुये थे. दूसरी बाजु कोहनी का सहारा लेकर बेड पर टिकी हुयी थी. सुनील ने अपने लंड का दबाव देना शुरू किया. एक बार थोड़ा सा दबाव दिया और सुपाड़ा उसकी गांड में फँस गया.. अंजली ने मुश्किल से अपनी आवाज निकालने से रोकी. वह ख़ुशी और दर्द के मारे मरी जा रही थी...
जैसे ही सुनील ने और कोशिश की, अंजलि उत्तेजनावश उठ गयी और अपने घुटनों के बल खड़ी सी हो गयी. लंड अब भी थोड़ा सा उसकी गांड में फँसा हुआ था. सुनील ने दोनों हाथ आगे निकाल कर उसकी चूचियाँ कस कर पकड़ ली और अंजलि के कानो को खाने लगा... सुनील की हर हरकत अंजलि को बदहवासी के आलम में पहुँचा रही थी.. अंजलि ने मुँह दाँयी और घुमा दिया और अपने होंट खोल दिए.. सुनील भी थोड़ा और आगे को हुआ और उसके होंटों को अपनी जीभ निकाल कर चाटने लगा. अंजलि ने भी अपनी जीभ बाहर निकाल दी... इस रस्सा-कसी में लंड धीरे-धीरे अन्दर सरकने लगा... अब सुनील थोड़ा थोड़ा आगे पीछे हो रहा था.. अंजलि को मजा आना शुरू हुआ तो उसमें जैसे ताकत ही ना बची हो इस तराह से आगे झुक गयी... धक्के लगाता-लगाता सुनील अंजलि को पहले वाली पोजीशन पर ले आया. अब लंड आराम से उसकी गांड की जड़ को ठोकर मार कर आ रहा था... अंजलि का तो हाल बेहाल था... वह जो कुछ भी बड़बड़ा रही थी; सुनील की समझ के बाहर था... पर इस बड़बड़ के बढ़ने के साथ ही सुनील के धक्कों में तेजी आती गयी... अंजलि अपने नीचे से हाथ निकाल कर अपनी चूत की पत्तियों को और दाने को नोच रही थी... धक्कों की बढती रफ़्तार के साथ ही अंजलि पागल सी होकर 'शमशेर' का नाम बार-बार ले रही थी.. जो सुनील को अच्छी तराह समझ में आ रहा था... सुनील ने अपने लंड के रस की पिचकारी किस्तों में छोड़नी शुरू कर दी. अंजलि इस रस को गांड में भर कर जैसे दूसरी ही दुनिया में पहुँच गयी हो, सेक्स की आखरी साँस लेते हुये उसने "आई लव यू शमशेर" बोला और बेड पर लुढ़क गयी... सुनील भी उसके ऊपर आ गिरा.
सुनील ने दूसरी नौका पर बैठ कर एक समुंदर पर कर लिया और साथ ही नौका को भी समुंदर पार ले गयाआआ ...
अंजलि ने सीधी होकर सुनील को अपनी छातीयों से लगा लिया.... अंजलि और सुनील एक बार और जी भर कर प्यार करने के बाद ऐसे ही सो गये थे...
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