Friday, 4 April 2014

masti ki pathsala - 7

मस्ती की पाठशाला - एक रोमाचंक कहानी  भाग-7

 नीचे से जब वाणी को खाने के लिए आवाज़ आई तो शमशेर ने कहा जा वाणी मेरी रोटी उपर ही भेज देना और तू जाकर पढ़ाई कर ले
वाणी: नही! आज में पढ़ूंगी नही; कल सनडे है, खूब सोऊगी!
शमसेर: ठीक है सो जाना; पहले मेरा खाना तो दे जा
वाणी: ओके सर!
वाणी ने नीचे जाकर कहा,"सर खाना उपर मॅंगा रहे हैं! उनकी तबीयत खराब है"
निर्मला: वाणी तू खाना खा ले! जा बेटी दिशा! तू सर को खाना दे आ
दिशा: ठीक है मामी जी, और वो खाना लेकर उपर चली गयी
"सर, मे आइ कम इन?"
शमशेर कपड़े बदलने की तैयारी में था उसके शरीर पर पॅंट के अलावा कुछ नही था दिशा की आवाज़ सुनकर उसने कहा," आ जाओ! अपना ही घर है"
दिशा अंदर घुसी तो थोड़ी सकुचा गयी, शमशेर को ऐसे देखकर, उसका कसरती बदन उसको लुभा रहा था
वह खाना रखकर जाने लगी तो शमशेर ने उसको कलाई के पास से पकड़ लिया. "आ..आ!" वा जड़ हो गयी, उसके अंदर तूफान जैसी हलचल थी, पर बाहर जैसे पत्थर उसको हल्का सा इशारा मिलते ही वा शमशेर की बाहों में क़ैद हो जाती, हमेशा के लिए! सिर्फ़ हूल्का सा झटका अगर उसको शमशेर दे देता तो पर हाय री दोनों की किस्मत; शमशेर ने वो झटका ही नही दिया
दिशा घूम गयी और नीचे देखने लगी
" क्या नाम है तुम्हारा?" शमशेर ने उसी अंदाज से पूछा जैसे उसने पहले दिन स्कूल में पूछा था
दिशा कुछ ना बोली; कुछ ना बोल सकी
शमशेर ने उसकी गालों पर हाथ लगाकर उसका चेहरा उपर उठा दिया, दिशा की आँखें बंद हो गयी," तुमने आज तक मुझे अपना नाम नही बताया है जो मैं पहले दिन से पूछ रहा हूँ"
दिशा ने कप-कपाते अधरों से कहा," ज.जी... दिशा"
शमशेर ने उसको छोड़ दिया," दिशा को उसका सब कुछ टूट-ता सा लगा वो जाने लगि तो शमशेर ने उसको टोका," सुनो दिशा"
वो पलट गयी, एक बार और जी भर कर देख लेना चाहती थी; बाकी रात यही चेहरा तो याद रखना था," जी सर"
" मैं तुमसे नाराज़ नही हूँ! तुम बहुत...अच्च्ची हो!" शमशेर सुंदर कहना चाहता था पर निकल ही नही पाया
दिशा सुनकर नीचे भाग गयी
दिशा जब नीचे गयी तो वहाँ एक अलग ही कोहराम मचा हुआ था, वाणी रो रही थी!
दिशा ने जाते ही पूछा," क्या हुआ छोटी" जब वह उसके लाड लड़ाती थी, तो छुटकी ही बुलाती थी
निर्मला: हुआ क्या है. बेवजह की ज़िद लगा रही है; कह रही है सर के पास जाकर सोएगी
दिशा सुन्न रह गयी दिन में उसको कितना समझाया था अकल की दुश्मन! घर वाले अब शायद शमशेर को यहाँ रहने ही दें
" तू पागल है क्या वाणी यहाँ मेरे पास सोना चल उठ जा!
वाणी और ज़ोर से रोने लगी सर के बिना तो अब वो रहना ही नही चाहती थी शमशेर कभी भी किसी चीज़ को मेरा या हमारा नही बोलता था हर चीज़ में वह सबको शामिल करता था हर चीज़ को अपना कहता था शमशेर के उसी 'अपनेपन' को वाणी ने मेरा मॅन लिया था
दिशा को लगा सब ख़तम हो जाएगा मुश्किल से आज सर खुश हुए थे अगर आज घर वालों ने कुछ कह दिया तो फिर कभी बात ही नही करेंगे
निर्मला: अरे सोच बेटी! किराया देते हैं वो, फिर उन्हे काम भी बहुत रहता है क्या सोचेंगे कहेंगे इस्सको और साथ बाँध दिया परेशान हो जाएँगे आख़िर उनकी भी तो अपनी जिंदगी है हर पल तुझे कैसे सहन करेंगे वहाँ और फिर 2 दिन पहले क्या हमारे पास ए.सी. था तब भी तो सोती थी नीचे ही मान जा बेटा, नही तो वो नाराज़ होकेर चले जाएँगे"
दिशा को लगा; मामला उतना गंभीर नही है यहाँ तो सर के परेशान होने की बात चल रही है
" अच्छा तू सर से पूछ ले, वो मान जाए तो चली जाना, बस!" दिशा को विश्वास था वो तो मान ही जाएँगे कह कर वो मामा मामी की और देखने लगी की क्या रिएक्शन होता है वाणी झट से उठ खड़ी हुई," मैं पूछ कर आती हूँ"
दयाचंद : ठहर वाणी!
वाणी और दिशा दोनो ने मायूस होकर पापा की और देखा
दयाचंद: हम बात करके आते हैं; अगर हमें लगा की सर को तुम्हे साथ रखने में कोई दिक्कत नही है तो हम तुम दोनो को उपर भेज देंगे अब तो खुश हो ना!
"दोनो को" दिशा को लगा वो सपना देख रही है! उसको सच में विस्वास नही हो रहा था, कि उसके रूढ़िवादी मामा उसको तो दूर; वाणी को भी उपर भेज सकते हैं
वाणी खुश हो गयी वो पापा की उंगली पकड़कर तैयार हो गयी
"नही अभी तुम नही मैं और तुम्हारी मम्मी जाएँगे"
और वो दोनो उपर चले गये शमशेर के पास उनके जाते ही दिशा वाणी को घूर्ने लगी, फिर उसको पकड़कर अपनी छाति से लगा लिया उसी कि हिम्मत से यह सब संभव हो सका था उसने वाणी के गालों को चुंबनों से भर दिया वाणी अपना बॅग तैयार करने लगी जैसे अब उसको कभी वापस आना ही ना हो," दीदी, एक ड्रेस भी ले लूँ"
दिशा ने उसको एक प्यार भारी चपत लगाई फिर दोनो हँसने लगी
उपर जाकर दयाचंद ने दरवाजा खट-खटाया शमशेर लॅपटॉप पर काम कर रहा था उसने दरवाजा खोला, आइए अंकल जी
अंदर जाते ही दोनों को यकीन हो गया की वाणी उपर रहने की ज़िद क्यूँ कर रही है बिल्कुल ठंडा माहौल था कमरे में बैठने के बाद दयाचंद ने बोलना शुरू किया; उसको समझ नही आ रहा था बात कहाँ से शुरू करे," बेटा कोई तकलीफ़ तो नही है ना!"
"जी नही तकलीफ़ कैसी, मैं तो यहाँ अपने घर की तरह से रह रहा हूँ!"


    दयाचंद: फिर भी बेटा.... वो वाणी है ना, बहुत ही शरारती है! परेशन तो कर देती होगी आपको
    शमशेर: अरे नही अंकल जी! वो तो गुड़िया जैसी है; उसने ही तो मेरा दिल लगाया है यहाँ पर शमशेर ने हद से ज़्यादा मीठा होते हुए कहा उसकी अब तक ये समझ नही आ रहा था की माजरा क्या था
    निर्मला: वो भी ना मस्टेरज़ी, आपसे बहुत घुलमिल गयी है नीचे भी आप ही की बात करती रहती है
    शमशेर: आंटिजी, वो तो है ही ऐसी, कितनी प्यारी है गुड़िया जैसी
    दयाचंद: (थूक निगलते हुए) बात ऐसी है बेटा; वो वाणी ज़िद किए बैठी है की मैं तो सर जी के साथ रहूंगी खाना भी नही खाया; रो रही है जबसे नीचे गयी है (ए.सी. वाली बात को बताने में उन्हे शरम आ रही थी)
    शमशेर की समझ में नही आया इस बात पर कैसे रिएक्ट करे! वो कुछ नही बोला
    दयाचंद: मुझे तो बहुत गुस्सा आया था बेटा, बच्चों की इतनी ज़िद ठीक नही पर इसकी मम्मी कहती है एक दो दिन...... अगर आपको कोई दिक्कत ना हो तो यहाँ... इस दूसरे कमरे में दोनों बच्चियाँ रह लेंगी. ....अगर आपको ऐतराज ना हो तो... 1-2 दिन में अपने आप दिल भर जाएगा; अपनी मम्मी के बिना भी तो नही रहती ना... देख लो... उसको समझा कर देख लो... मास्टर जी!
    "ओ..ओह अंकल जी (शमशेर के मॅन में लड्डूओं की बरसात हो रही थी 'दोनो' सुन-ने के बाद और कुछ उसको सुनाई ही नही दिया... क्या किस्मत दी है भगवान ने!) भला मुझे क्या दिक्कत हो सकती है उस बेचारी से! आपका ही घर है.... वैसे भी वो कमरा तो में यूज़ करता ही नही... प...पढ़ा... मेरा मतलब है पढ़ाई में भी कोई दिक्कत होगी तो पढ़ा दूँगा वैसे भी में तो खाली ही रहता हूँ... बाकी आपकी मर्ज़ी!... मैं तो उस कमरे में जाता ही नही"
    शमशेर ने इतना लंबा भाशन दिया ताकि इनको विश्वास हो जाए उसको कोई प्राब्लम नही है
    निर्मला: तो मास्टर जी उनकी चारपाई लगवान दे उपर?
    शमशेर: जी मुझे तो कोई दिक्कत है नही... आपकी मर्ज़ी... शमशेर ख़ुशी में हकला रहा था
    निर्मला: तो ठीक है बेटा, हम उन्हे उपर भेज देते हैं कोई दिक्कत हो तभी बता देना तभी ले जाएँगे हम दोनों को!
    शमशेर: जी अच्छा!
    बाहर निकल कर दयाचंद बोला," बड़ा भोला है बेचारा इतना पैसा होने पर भी किसी बात का घमंड नही; भगवान ऐसी औलाद सबको दे!"
    कुछ देर बाद दोनो अपनी-अपनी चारपाई लेकर उपर आ गयी और दूसरे कमरे में डाल लिया दिशा तो किताब लेकर पढ़ने बैठ गयी पर वाणी दौड़ी आई और सर से लिपट गयी दिशा ने एक बार उनकी और देखा पर शमशेर को अपनी और देखता पाकर शर्मकार नीचे चेहरा कर लिया वाणी की आँखें रोने की वजह से और भी मोटी-मोटी हो गयी थी शमशेर ने उसके गाल पर प्यार से किस किया तो बदले में वाणी ने भी एक चुम्मा सर के गाल पर दे डाला
    सच में वाणी तो एक प्यारी गुड़िया ही थी
    शमशेर पालती मारे बैठा था; वाणी उसकी गोद में आकर बैठ गयी और उसकी गालों के नीचे अपना सिर फँसा लिया उसने अब भी स्कर्ट पहन रखा था
    वाणी की गाँड़ शमशेर की गोद में होने की वजह से ना चाहते हुए भी शमशेर गरम होता जा रहा था उसने लाख कोशिश की अपना ध्यान बताने की पर उसकी दुनिया की सबसे हसीन कन्या जब उसके सामने हो और उसकी 17 साल की अनछुई बहन उसके लंड पर अपने मस्त चूतदों को टिकाए बैठी हो तो उस जैसे गरम खून वाले का कंट्रोल कहाँ तक टिकता स्कर्ट और एक पतली सी कच्छी उसके शेर की टक्कर कहाँ तक सहन करते वैसे भी वाणी उसके लंड के ठीक बीच में बैठी थी उसको अपने चूतड़ो में कुछ चुभता सा महसूस हुआ, पर वो उसको समझ नही पाई उसने सोचा वो सर की टाँग पर बैठी है नासमझ थी तो क्या हुआ फिर भी थी तो वह लड़की ही, उसको बेचेनी सी होने लगी ऐसी बेचैनी जिसमें उसको मज़ा आ रहा था धीरे-धीरे उसकी चूत में गर्मी बढ़ने लगी अजीब सा खुमार छा गया था उस पर धीरे-धीरे उसने बोलना बंद कर दिया बस हां हूँ में ही जवाब देने लगी शमशेर की 'टाँग' पर अपनी चूत की रगड़ से उसको अजीब सा आनंद मिल रहा था वो आराम-आराम से आगे पीछे होने लगी, उसको पता नही था ऐसा क्यूँ हो रहा है शमशेर उसकी हालत को ताड़ गया था उसने अपनी दोनों बाहें आगे ले जाकर वाणी को कसकर पकड़ लिया; बातें करते-करते, शमशेर की कलाई का दबाव उसकी छातियो पर बढ़ गया, इसमें उसका आनंद और बढ़ गया हिलने की वजह से अब शमशेर का लंड उसकी चूत के दाने पर दबाव बढ़ा रहा था, जिससे वाणी की आँखें बंद हो गयी और उसका आगे पीछे हिलना और तेज़ हो गया अचानक वो काँपने लगी उसने सर के हाथों को कासकर पकड़ लिया और अपनी चुचकों पर दबाव बढ़ाने लगी करीब 10-15 सेकेंड के बाद उसको हल्की सी हिचकी आई और वो निढाल हो गयी जब उसका होश संभला तो उसको लगा जैसे उसका पेशाब निकल आया हो वो बिना कुछ कहे बाथरूम में भाग गयी पहली बार उसने यौवन सुख के साम्राज्य में परवेश किया था इतना सब हो जाने के बाद भी दिशा को अहसास भी नही हुआ की उसकी छोटी बेहन ने उससे पहले ही किसी पुरुष की सहायता से स्ख्लन का चरम आनंद प्राप्त कर लिया है, बेशक यह संभोग नही था


    बाथरूम में जाकर वाणी ने देखा उसकी कच्छी भीग गयी है उसने निकाल कर देखा, यह पेशाब तो नही था, इतना गाढहा पेशाब हो ही नही सकता वो काँपने क्यूँ लगी थी? उसको इतना मज़ा कैसे आया और उसने सर के हाथ को अपनी छति पर क्यूँ दबाया? वह विचलित सी हो गयी थी उसको शरम आ रही थी पूछे तो किस-से पूछे! बताए तो किसको बताए उसने झुक कर अपनी चूत की फांकों को दूर करके देखा वो अंदर से अजीबो-गरीब तरीके से लाल हो चुकी थी एक पल के लिए तो जब उसका स्ख्लन हुआ तो उसको लगा की शायद वह मर रही है पर अब उसके मॅन में थोड़ी शांति थी लेकिन उस आनंद को जो अंजाने में सर की गोद में उसको मिला; भूल नही पा रही थी
    उसकी कच्छी तो गीली हो गई थी अब वो पहनेगी क्या नीचे तो जा नही सकती, कहीं मा उसको वहीं ना रख ले दिशा को बताती तो क्या बताती आख़िर में उसने कच्छी को धोकर टाँग दिया और ऐसे ही स्कर्ट को टाँगो से चिपकाए बाहर आकर अपनी खाट पर बैठ गयी नीचे मामा मामी को चोद रहा था बहुत दिनों बाद उसको प्यार करने लायक अकेला पन मिला था मामी निढाल सी अपनी टांगे चौड़ाए पड़ी थी और मामा उसकी खुली चूत में अपना 'जैसा भी था' लंड पेले जा रहा था पर वो चुदाई मामी को फॉरमॅलिटी भर लग रही थी जैसे बस करवाना ही है उसको मामा के 4 इंची लंड से कोई खास लगाव नही था अब मामा की उमर भी तो हो गयी थी ना ऐसा नही है की वो दूसरो की और देखती थी अपनी सेक्स की पूर्ति के लिए बस वा 'जो मिला' से ही संतुष्त थी.
    अपनी टांगे फाडे-फाडे ही वो कहने लगी," सुनो जी, दिशा के लिए शमशेर जैसा रिश्ता मिल जाए तो....' हमारी बेटी लाखों में एक है... और शमशेर भी तो....! मामा उसके उपर निढाल होकर गिर पड़ा," कैसी बात करती हो निर्मला! वो कहाँ और हम कहाँ! कहने से पहले कुछ सोच तो लिया करो." उसने अपना लंड मामी की चूत से निकल लिया और बोला," अब वो बात नही रही निर्मला! बुढ़ापा दस्तक देने लगा है" वो हाँफ रहा था
    उपर वाणी का बुरा हाल था जो कुछ भी थोड़ी देर पहले हुआ वो तो जैसे स्वर्ग में जाकर आने जैसा था उसको चुपचाप देखकर दिशा ने धीरे से पूछा," क्या हुआ वाणी!?"
    वाणी ने भी उसी टोने में जवाब दिया," कुछ नही दीदी?"
    दिशा: नींद आ रही है क्या?
    वाणी: नही तो... दीदी!
    दिशा: फिर सर के पास से उठ क्यूँ गयी?
    वाणी: ऐसे ही दीदी! क्यूँ?
    दिशा: कुछ नही, ऐसे ही! वो सर की कुंभकारण वाली बात तू सच कह रही थी ना!
    वाणी: हां दीदी! बेशक तुम उठा के देख लेना, बिना बोले; नही उठेंगे
    दिशा: तू झूट बोल रही है!
    वाणी पिछली बात और अपने नंगेपन को भूल गयी! वो उठकर सर के पास भागी चली गयी," सर, आपकी नींद कुम्भकरण जैसी है ना!
    शमशेर: क्यूँ वाणी?
    वाणी: मैने दीदी को बताया था; वो कह रही हैं मैं झूठ बोल रही हूँ!
    शमशेर हँसने लगा," नही, अपनी दीदी को बता दो हम झूठ नही बोलते!"
    वाणी ने जीभ निकल कर दिशा को चिडा दिया!
    दिशा गुस्सा थी की उसने सर को क्यूँ बताया की वो उनके बारे में पूछ रही थी उसने ख़ीज में अपनी चप्पल उठाई और वाणी की और आराम से फंकी चप्पल वहाँ तक पहुँची ही नही वा शर्मिंदा होकर लेट गयी और आँखें बंद कर ली
    "सर आप क्या कर रहे हो?"
    शमशेर नेट पर चेटिंग कर रहा था," कुछ नही वाणी!"
    "मैं यहीं सो जाउ क्या!"वा पिछली बात भूल गयी थी
    शमशेर को पता था दिशा सुन रही होगी," फिर तुम्हारी दीदी को डर नही लगेगा क्या?"
    वाणी: दीदी! तुम भी यहीं आ जाओ ना; हमारे पास! तीनों मज़े से सोएंगे!
    दिशा सर के पास सोने की बात सुनकर शरम से लाल हो गयी और करवट बदल कर मुँह छिपा लिया
    शमशेर उठा और बाथरूम में घुस गया वाणी की जवानी ने उसका बुरा हाल कर दिया था बहुत दिनों बाद उसको लगा, मूठ मारे बगैर नींद नही आएगी उसने अपनी पॅंट निकाल दी उसको टाँगने लगा तो उसको हॅंगर पर वाणी की कच्छी टंगी दिखाई दी
    उसने उसको उतार कर देखा; उसमें से योनि रस की स्मेल आ रही थी. " कितनी प्यारी खुश्बू है; एकदम मदहोश कर देने वाली! उसने अपने लंड को आज़ाद किया, उसकी एक-एक नस चमक रही थी आँखें बंद करके वा अपने हाथ से लंड पर घेरा बनाकर आगे पिछे करने लगा
उधर दिशा सिर के बाथरूम में जाते ही वाणी के पास दौड़ी हुई आई और वाणी का प्यार से गला पकड़ लिया," सर की चमची, सर को सारी बातें बतानी ज़रूरी हैं क्या!"
वाणी: दीदी! आप सर से इतनी जलती क्यूँ हैं
वाणी, दिशा की शरम को उसका जलना मान रही थी; कितनी नादान थी वो!
दिशा: चल वही सोएंगे, मुझे तुमसे बात करनी है!
वाणी: नही दीदी; सुबह बता देना और उसने पलटी मार कर आँखें बंद कर ली
दिशा उठकर चली गयी और अपनी खाट पर जाकर लेट गयी "काश! सर मुझे ज़बरदस्ती अपने बेड पर ले जाते वाणी कितनी खुशकिस्मत है." सोचते-सोचते उसने आँखें बंद कर ली उसके दिमाग़ में कुछ चल रहा था
शमशेर आया और वाणी के पास ही लेट गया उसको पता था वो नीचे से नंगी है! पर शमशेर ने अपनी सोच को हटाकर दिशा पर लगा लिया अब दिशा ही उसका टारगेट थी उसके बारे में सोचते-सोचते उसको ना जाने कब नींद आ गयी....
रात के करीब 2 बजे का टाइम था शमशेर मीठी नींद में दिशा के सपनों में खोया हुआ था अचानक उसको अहसास हुआ, कोई साया उसके पास खड़ा है, कहीं ये दिशा ही तो नही उसने ध्यान से देखा; अरे हां, वही तो है उसने आँखे बंद कर ली शमशेर के दिल की धड़कन तेज हो गयी क्या दिशा भी उससे...! सहसा उसको अपनी छति पर एक कोमल हाथ लहराता हुआ महसूस हुआ दिशा ने उसको धीरे से पुकारा," सस्स...इर्ररर!"
शमशेर ने कोई जवाब नही दिया वो जानता था कि दिशा चेक करना चाहती है; कहीं सर उठ तो नही जाएँगे! शमशेर क्यों उठता भला
दिशा शमशेर की छाति पर हाथ फेरने लगी शमशेर के दिल में आया की उठकर उसकी जवानी को दबोच ले, पर उसको लगा, पहले देखना चाहिए दिशा किस हद तक जाती है
फिर दिशा ने उसको ज़ोर से हिलाया पर शमशेर सोता रहा दिशा एक पल के लिए रुकी, फिर उसकी कमीज़ के बटन खोलने लगी, धीरे धीरे."अफ...!"
शमशेर की छाति नंगी हो गयी दिशा उसकी छाति के बालों को प्यार से सहलाने लगी फिर वह झुकी और शमशेर के गालों पर अपने लरजते होंट रख दिए
शमशेर को मज़ा आने लगा था बड़ी मुश्किल से वो खुद की सांसो पर काबू पा रहा था दिशा झुकी और शमशेर के मर्दने होंटो को अपने लबों में क़ैद कर लिया शमशेर तो जैसे आसमान में उड़ रहा था वो मज़े लेता रहा दिशा उसके कानों को चबाने लगी शमशेर को उसकी तनी हुई चुचियाँ अपनी छाति में चुभाती महसूस हुई इतनी सख़्त....आ...आ!
अचानक दिशा सर की चादर में घुस गयी और उससे लिपट गयी चादर में घुसने के बाद उसने अपनी कमीज़ उतार दी
शमशेर आँखें फाडे उसकी चुचियों को देखने लगा चुचियाँ मानो भगवान ने मॉडल के रूप में ढली हों वैसी जैसे मानो 'राफियेल' ने अपनी तुलिका से उनको मान चाहा रूप दिया हो, उनमें मनचाही मस्ती भरी हो! कैसे सीना ताने अपनी उचाई और गोलाई पर घमंड कर रही हों जैसे शमशेर का लंड बेकाबू होता जा रहा था
दिशा ने सर के हाथ को अपने हाथ में लिया और उसको अपनी छति पर दबा दिया
आ! शमशेर की लाख कोशिश के बावजूद खुदकी सिसकी निकल पड़ी दिशा सर के हाथ से अपनी चूची दबाने लगी; जैसे उसका रस निकलना चाह रही हो
दिशा सर के उपर आ गयी दोनों की छातिया आमने-सामने थी ऐसा लगा अभी महासंग्राम होगा!
दिशा ने शमशेर के होंटो को अपनी जीभ से ज़बरदस्ती खोल दिया और जीभ उसके मुँह में घुसा दी शमशेर को उसकी सिसकियाँ साफ सुनाई दे रही थी
दिशा सर के उपर से उतरी और अपना हाथ नीचे ले गयी, वहाँ जहाँ जाँघ रूपी दो पुन्जो का मिलन होता है, और औरत का मकसद; एक पोल खड़ा होता है
दिशा ने शमशेर की पॅंट का बटन खोला और उसकी जीप नीचे कर दी
शमशेर से रहा ना गया, उसने अपना अंडरवेर खुद ही नीचे खिसका दिया, मगर ऐसे की दिशा को आभास ना हो
शमशेर के शेर ने करवट बदली और स्प्रिंग की तरह उछल कर दिशा के हाथ से जा टकराया! दिशा उसपर हाथ फेर कर उसकी सखताई और मोटाई का अंदाज़ा लगाने लगी उसकी साँसे उखाड़ गयी थी, बाल बिखर गये थे
दिशा अपना मुँह शमशेर के लंड के पास ले गयी और उसकी जड़ों पर जीभ फिराई क्या मस्त स्टाइल था शमशेर को पता था. असली सकिंग वहीं से शुरू होती है...
शमशेर के लंड से जीभ सटाए उपर की और खींच लाई, अपनी जीभ को, और सुपाड़े पर प्यार से चुम्मि देकर उसको इज़्ज़त बखसी!
ऐसा लग रहा था अब दिशा को किसी बात का डर नही है, ना सर का ना जमाने का; जैसे वो जान गयी हो कि सर भी तो यही चाहते हैं


    आशचर्यजनक रूप से पहली बार ही उसने अपने होंटो को पूरा खोल कर लंड के सुपारे को क़ैद कर लिया वह उस पर जीभ फिराने लगी; मुँह में सुपारे को लिए-लिए ही शमशेर सोच रहा था अब तक तो दिशा को पता चल जाना चाहिए की वो जाग रहा है तभी दिशा ने शमशेर का पूरा लंड अपने गले की गहराइयों तक उतार लिया शमशेर कुत्ते की तरह सिसक रहा था पर उसकी हिम्मत ही ना हुई उठने की वह निढाल पड़ा रहा; जैसे बेहोश हो
    पहली बार में ही कोई लड़की 8 इंच लंबे लंड को अपने मुँह में पूरा कैसे उतार सकती है; ज़रूर खेली खाई है साली, शमशेर सोच रहा था वह उठना चाहता था पर उठ ही ना पाया, वो बेबस था
    दिशा तेज़ी से लंड को अपने मुँह में अंदर बाहर करने लगी, बिल्कुल खेली खाई लड़की की तरह शमशेर हैरान था उसका अब छुटने ही वाला था की अचानक दिशा ने लंड को अपने मुँह से निकाल दिया और उसके उपर जा चढ़ि, आज वो किसी के वश में नही थी
    दिशा बेकाबू हो चुकी थी उसने अपनी सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार को उतारकर नीचे डल दिया वह इतनी जल्दबाज़ी में थी की शमशेर के रोड जैसे सख्त हो चुके उसके लंड को पैन्टी के उपर से ही रगड़ने लगी शमशेर का स्टॅमिना उसको जवाब दे रहा था दिशा ने कुछ देर बाद अपनी चूत के उपर से पैन्टी को हटाकर उस रोड के लिए जगह बनाई और लंड को अपने योनिद्वार से सटा कर उस पर बैठ गयी 'फ़चक' की आवाज़ के साथ पूरा का पूरा लंड उसकी चिकनी चूत में समा गया दिशा शमशेर की छाति पर धम्म से गिर पड़ी और पागलों की तरह उसके कंधों को, गालों को अपने दातों से काटने लगी वह उपर से धक्के लगा रही थी और शमशेर नीचे से. 2-3 मिनिट में ही शमशेर दिशा से हार गया उसके लंड से तेज पिचकारी निकल पड़ी दिशा फिर भी उस पर कूदती रही अब शमशेर से सहन नही हो रहा था वा बड़बड़ाने लगा," प्लीज़्ज़ दिशा मुझे छोड़ दो, मैं और सहन नही कर सकता मुझे माफ़ कर दो प्लीज़्ज़ज्ज्ज.
    वाणी चौंक कर उठ बैठी," सर जी! उठिए...." और शमशेर चौंक कर उठ बैठा वो पसीने से तर बतर था ए.सी. की ठंडक भी उसके सपने की गर्मी को दबाने में नाकाम रही थी उसकी साँसे अब भी तेज चल रही थी उसने देखा," दिशा वाणी के साथ ही बेड पर बैठी है पूरे कपड़े पहने..... उतनी ही शांत जितनी वो उसको छोड़ कर सोया था....वह हल्का हल्का मुस्कुरा रही थी शमशेर शर्मिंदा हो गया!
    "सर, कोई बुरा सपना आया था क्या?", वाणी ने मासूमियत से पुछा, वो और दिशा शमशेर को ध्यान से देख रही थी शमशेर ने वाणी की जाँघ पर थपकी लगाई,"हां वाणी! बहुत बुरा सपना आया था" शमशेर संभाल चुका था दिशा शमशेर के लिए पानी ले आई," लीजिए सर! पानी पीने से बुरे सपने नही आते!" वाणी शमशेर के और नज़दीक आ गयी," क्या सपना आया था सर!?" शमशेर ने कहानी बनाते हुए कहा," एक राक्षस का सपना था! आजकल वो मुझे बहुत डरा रहा है." "पर सर! आप तो दीदी का नाम ले रहे थे!" शमशेर परेशान हो गया, कहीं सारा सपना उसने लाइव टेलि-कास्ट ना कर दिया हो!,"क्या कह रहा था मैं" वाणी: आप कह रहे तहे, दिशा मुझे माफ़ कर दो; मैं और सहन नही कर सकता दिशा मुझे छोड़ दो; वग़ैरा वग़ैरा...." शमशेर: तो राक्षश इसके रूप में आया होगा चलो सो जाओ. अभी रात बाकी है.
    " वाणी: सर, पहले सपना सुनाए ना!
    शमशेर: देखो वाणी अच्छे बच्चे ज़िद नही करते सो जाओ! कहकर वा बाथरूम में गया और अपना अंडरवियर चेंज करके आया उसके आने के बाद वाणी ने उसकी जॅफी भरी और अपनी टाँग शमशेर के पेट पर रखकर सो गयी मामला ख़तम जान कर दिशा भी सोने चली गयी करीब एक घंटा बीट जाने के बाद भी शमशेर की आँखों में नींद नही थी सच में ही बुरा सपना था ये, जिस रूप में दिशा उसके सपने में आई थी, अगर वो सच्चाई होती तो उसको वाकई बुरा लगता सपने में तो दिशा ने बेशर्मी की हद ही तोड़ दी थी खैर दिशा के लिए उसका खुमार बढ़ता ही जा रहा था वैसे लड़कियों की उसकी कमज़ोरी को छोड़ दें तो वा निहायत ही सुलझा हुआ और दिल का सॉफ आदमी था बढ़ती ठंड के कारण वाणी उससे और ज़्यादा चिपकती जा रही थी शमशेर के मॅन में खुरापात घर करने लगी, वह जानता था की वाणी अंजाने में ही सही; उसके हाथों सेक्स का मज़ा ले चुकी है वह पलटा और अपना मुँह वाणी की तरफ कर लिया
    वाणी गहरी नींद में थी वाणी की छाति उसके हाथ से सटी हुई थी उसने वाणी पर अपने शरीर का हल्का सा दबाव डालकर उसको सीधा कर दिया शमशेर ने वाणी की छाति के उपर हाथ रख दिया उसकी चुचियाँ उसके सांसो के साथ ताल मिला कर उपर नीचे हो रही थी उसके होंट और गाल कितने प्यारे थे! और एक दम पवित्र, शमशेर ने वाणी के होंटो को छुआ. मक्खन जैसे मुलायम थे.... शमशेर ने आहिस्ता-आहिस्ता उसके टॉप में हाथ डाल कर उसके पेट पर रख लिया इतना चिकना और सेक्सी पेट आज तक शमशेर ने नही छुआ था. शमशेर ने हाथ थोड़ा और उपर किया और उसकी अनछुई गोलाइयों की जड़ तक पहुँच गया उसने उसी पोज़िशन में हाथ इधर उधर हिलाया; कोई हरकत नही हुई, वह हाथ को उसकी बाई चूची पर इस तरह से रख दिया जिससे वो पूरी तरह ढक गयी उसने उन्हे महसूस किया, एक बड़े अमरूद के आकर में उनका अहसास असीम सुखदायी था शमशेर का जी चाहा उन मस्तियों को अभी अपने हाथों से निचोड़ कर उनका सारा रस निकाल ले और पीकर अमर हो जाए पर वाणी के जागने का डर था उसने वाणी के निप्पल को छुआ, छोटे से अनार के दाने जितना था हाए; काश! वो नंगी होती और वो उन्हे देख पाता इस ख़याल से ही उसको ध्यान आया की वाणी तो नीचे से नंगी है.....


    उसने नीचे की और देखा, वाणी का स्कर्ट उसके घुटनों तक था शमशेर ने उसको उपर उठा दिया पर नीचे से दबा होने की वजह से वो उसकी जांघों तक ही आ पाया शमशेर ने वाणी को वापस अपनी तरफ पलट लिया वाणी ने नींद में ही उसके गले में हाथ डाल लिया वाणी की होंट उसकी गालों को छू रहे थे. शमशेर ने दिशा के कमरे की और देखा, वहाँ से दिशा के पैर और उसकी गंड़ तक का हिस्सा ही दिख रहे थे निसचिंत होकर शमशेर ने वाणी के स्कर्ट को पिछे से भी उठा दिया वाणी की चिकनी सफेद जाँघ और गोल कसे हुए चूतड़ देख कर शमशेर धन्य हो गया उसके चूतड़ो के बीच की दरार इतनी सफाई से तराशि गयी थी की उसमें कमी ढूढना भगवान को गाली देने के समान था शमशेर कुछ पल के लिए तो सबकुछ भूल सा गया एक-टक उसके चूतड़ो की बनावट और रंगत को देखता रहा फिर उसने उनपर हाथ रख दिया; एकदम ठंडे और लाजवाब! वह धीरे-धीरे उनपर हाथ फिराने लगा शमशेर ने उसके चूतड़ो की दरार में उंगली फिराई; कही कोई रुकावट नही, शमशेर का लंड अब तक अपना फन उठा चुका था; डसने के लिए. उसने वाणी के चेहरे की और देखा, वो अपनी ही मस्ती में सो रही थी शमशेर ने उसको फिर से पहले वाले तरीके से सीधा लिटा दिया उसकी टाँगें फैली हुई थी; स्कर्ट जांघों तक थी, मोक्षद्वार से थोड़ा नीचे तक, स्कर्ट उपर करते वक़्त शमशेर के हाथ काँप रहे थे आज से पहले ऐसा शानदार अनुभव उसका कभी नही रहा...... शायद किसी का भी ना रहा हो...... स्कर्ट उपर करते ही शमशेर के लंड को जैसे 440 वॉल्ट का झटका लगा शमशेर का दिमाग़ ठनॅक गया, ऐसी लाजवाब चूत... नही! उसको चूत कहना ग़लत होगा. वो तो एक बंद कमाल की पंखुड़ीयान थी; नही नही! वो तो एक बंद सीप थी, जिसका मोती उसके अंदर ही सोया हुआ है शमशेर का दिल उसकी छाति से बाहर आने ही वाला था क्या वो मोती मेरे लिए है! शमशेर ने सिर्फ़ उसका जिस्म देखने भर की सोची थी, लेकिन देखने के बाद वा उस्स मोती को पाने के लिए तड़प उठा उस सीप की बनावट इस तरह की थी की, सर शेक्स्पियर को भी शायद शब्द ना मिले नही मैं एक्सप्लेन नही कर सकता उस अमूल्य खजाने को तो सिर्फ़ महसूस ही किया जा सकता है; और वो...शमशेर कर ही रहा था शमशेर ने उसकी जांघों के बीच भंवर को देखते ही उसको चोदने की ठान ली.... और वो भी आज ही....आज नही; अभी. उसने वाणी की सीप पर हाथ रख दिया पूरा! जैसे उस खजाने को दुनिया से छुपाना चाहता हो उसको खुद की किस्मत और इस किस्मत से मिलने वाली अमानत पर यकीन नही हो रहा था उसने बड़े प्यार से, बड़ी नाज़ूक्ता से वाणी की सीप की दरार में उंगली चलाई, वाणी कसमसा उठी! अचेतन मॅन भी उस खास स्थान के लिए चौकस था; कही कोई लूट ना ले! शमशेर ने अपना हाथ तुरंत हटा लिया वाणी के चेहरे की और देखा, वह तो सोई हुई थी फिर से उसकी नज़र अपनी किस्मत पर टिक गयी शमशेर ने अपने शरीर से वाणी को इस कदर ढक लिया की उस पर बोझ भी ना पड़े और अगर वो जाग भी जाए तो उसको लगे सर का हाथ नींद में ही चला गया होगा इस तरह तैयार होकर उसने फिर कोशिश की....वाणी का मोती ढूँढने की, उसकी दरार में उंगली चलाते हुए उसको वो स्थान मिल गया जहाँ उसको अपना खूटा गाढ़ना था ये तो बिल्कुल टाइट था, इसमें तो पेन्सिल भी शायद ना आ सके! शमशेर को पता था आने पर तो इसमें से बच्चा भी निकल जाता है... पर वो उसको दर्द नही दे सकता था बदहवास हो चुके शमशेर ने अपनी छोटी उंगली का दबाव उसके छेद पर हल्का सा बढ़ाया; पर उस हल्के से दबाव ने ही वाणी को सचेत सा कर दिया वाणी का हाथ एकदम उसी स्थान पर आकर रुका और वो वहाँ खुजलाने लगी फिर अचानक वो पलटी और शमशेर के साथ चिपक गयी शमशेर समझ गया 'असंभव है' ऐसे तो बिल्कुल कुछ नही हो सकता मायूस होकर उसने वाणी का स्कर्ट नीचे कर दिया और उसके साथ उपर से नीचे तक चिपक कर सो गया.....
    अगली सुबह करीब 6 बजे दिव्या, वाणी की क्लासमेट उसके घर आई दिशा घर में सफाई कर रही थी उसके मामा मामी सूरज निकलने से पहले ही खेत चले गये थे. "दीदी! वाणी कहा है?", दिव्या ने दिशा से पूछा.
    दिशा: उपर सो रही है, सनडे को वो कहाँ जल्दी उठति है! दिव्या उपर चली गयी. उपर जाते ही वो सर को कसरत करते देख शरमा गयी," ससर्र! गुड मॉर्निंग, सर!" "गुड मॉर्निंग दिव्या!", शमशेर ने मुस्कुरा कर कहा पसीने की बूंदे उसके ताकतवर जिस्म पर सोने जैसी लग रही थी!
    दिव्या: सर! वाणी कहा है?
    शमशेर: वो रही! कमरे की और इशारा करते हुए उसने कहा दिव्या ने वाणी को उठाया," वाणी! चल; मेरे घर पर! मैं अकेली हूँ घर वाले शहर गये हैं. हम वहीं खेलेंगे! वाणी ने जैसे ही शमशेर को पसीना बहाते देखा, वो दिव्या की बात को उनसुना कर बाहर भाग आई," सर आप पहलवानी करते हैं?" शमशेर: नही तो!
    वाणी: फिर...! ये सब तो पहलवान करते हैं ना! शमशेर हँसने लगा, बिना कुछ कहे ही वो उठा और अंदर चला गया

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