मस्ती की पाठशाला - एक रोमाचंक कहानी भाग-16
उधर सुनील को मानो बिन माँगे ही मोती मिल
गया गौरी जैसी हसीन लड़की से इस तरहा 'ब्लैकमेल'
कौन नहीं होना चाहेगा वो खुद उसके और अंजलि के सामने बैठकर उन दोनों की लाइव सेक्स परफॉर्मेंस
देखना चाहती थी सुनील को पूरा विश्वास
था की इतनी सेक्सी लड़की उसके मोटे लंड को देखते
ही अपने आप ही अपनी चूत को उसके आगे परोस
देगी भोगने के लिये अंजलि तो इस बात को लेकरबहुत
ही ज्यादा विचलित थी और सुनील भी उसके आगे मजबूरी होने का नाटक कर रहा था पर अन्दर ही अन्दर
वह इतना खुश था की वह रात होने का इंतज़ार ही नहीं कर
पा रहा था बार-बार उत्तेजित होकर गौरी की और
देखता और चुपके से अपने लंड को मसल
देता गौरी दोनों के चेहरों को देखकर मन ही मन बहुत
खुश थी वो नये-नये तरीके जिनसे वो उन दोनों का भरपूर मजा ले सके सोच रही थी.. २ घंटे
का इंतज़ार गौरी और सुनील दोनों को ही बहुत
लम्बा लग रहा था उनको अहसास नहीं था की उनकाये
इंतज़ार और लम्बा होने जा रहा है...
दरवाजे पर बेल बजी गर्रर्र.... गौरी ने दरवाजा खोला,
पापा आप....!!!!! ओमप्रकाश अन्दर घुसते हुये बोला, मेरे जल्दी आने से
खुश नहीं हुयी मेरी बेटी है ना.... !
अंजलि को पहली बार उसको आये देख
इतनी खुशी हुयी, आ गये आप !
वो चहकती हुयी सी बोली लाइव गेम से जो बच गयी कम
से कम आज तो बच ही गयी थी.. अरे भाई क्या बात है...! कहीं खुशी कहीं ग़म ओमप्रकाश ने
सुनील से हाथ मिलते हुये कहा, और मास्टर जी, का हाल
हैं..
सुनील ने भी उखड़े मन से जवाब दिया, बस ठीक है
श्रीमान !
ओमप्रकाश ने अपना बैग बेड के साथ रखा और बेडपर पसर गया, लाओ भाई ! कुछ चाय वाय नहीं पूछोगी क्या ?
बड़ा थका हारा आया हूँ ! खा पीकर सो जाऊँ !
गौरी ने अंजलि के पास जाकर कान में कहा, दीदी ! में
आपको ऐसे नहीं बचने दूँगी... मेरी शर्त उधार रही और
सुनील की और देखकर मुस्कुरा दी...
सुनील अपने बिस्तर पर पड़ा-पड़ा सोच रहा था,अंजलि चुदायी करवाते हुये उसकी जगह शमशेर का नाम
ले रही थी तो क्या शमशेर ने....
उसने अपना फोन निकालकर शमशेर को डायल किया
शमशेर बाथरूम में था फोन पर लड़की की मादक मधुर
आवाज थी
सुनील: जी नमस्कार दिशा भाभी जी दिशा भाभी जी नहीं, दिशा भाभी जी की बहन बोल
रही हूँ कौन हैं आप ? वाणी समझदार होती जा रही थी
नमस्ते साली साहिबा ! आप की आवाज बड़ी प्यारी है
वाणी: आपकी साली बोल रही हूँ.. आप अपनी तारीफ
तो सुनाईये ?
तभी दिशा ने फोन ले लिया, जी कौन ? सुनील उसकीआवाज पर ही मोहित हो गया पर
वो शमशेर की बीवी होने का मतलब जानता था, मैं सुनील
बोल रहा हूँ..
दिशा शर्मा गयी.. अगर वो शमशेर
की पत्नी ना होती तो सुनील उसके सर होते, नमस्ते
सर ! ये वाणी थी ये कुछ भी बोल देती है वो नहा रहे हैं निकलते ही बात करा दूँगी..
सुनील: ठीक है
सुनील ने फोन रखते ही आह की.. शमशेर
कितना खुशकिस्मत है तभी उसके फोन की घंटी बज
उठी ! शमशेर का फोन था, हाँ सुनील कैसे हो ?
सुनील: मैं तो जैसा हूँ ठीक हूँ, पर आपकी साली बहुत
तीखी है भाई साहब !
शमशेर ने जोर का ठहाका लगाया और पास ही खड़ी वाणी के सर पर हाथ फेरने लगा, कहो क्या हाल
चाल हैं मेरी ससुराल के ?
शमशेर ने दिशा की और आँख मारते हुये कहा दिशा ने
जैसे उसका मुँह नोच लिया प्यार से,
उसको पता था वो ससुराल का नहीं ससुराल
वालियों का हाल पूछ रहा है शमशेर ने उसको पकड़ कर अपनी बाजू के नीचे दबोच लिया.. वाणी अपने
जीजा की मस्ती देखकर जोर-जोर से हंसने लगी
सुनील: भाई ! ससुराल में तो हर ओर हरयाली है एक फसल
को कटता हूँ तो नयी लहराने लगती है वैसे 'पौध'
भी तैयार हो रही है तेरे ससुराल की तो बात ही कुछ ओर
है.. शमशेर हंसने लगा.. दिशा से उसको बहुत डर
लगता था वो उसको प्यार जो इतना करती थी
सुनील: एक बात पूछूं ?
शमशेर टहलते हुये कमरे से बाहर निकल आया, बोल !
सुनील: ये प्रिंसिपल के साथ तेरा कुछ सीन थाक्या ?
शमशेर: हाँ यार ! वहीँ से तो कहानी शुरू हुयी थी.. पर तुझे किसने बताया ?
सुनील: अब मेरा सीन है उसके साथ... नीचे लेटे हुये
तेरा नाम बड़बड़ा रही थी..
शमशेर को आश्चर्य हुआ, यार ! वो ऐसी तो नहीं थी..
सुनील: वक़्त सब कुछ बदल देता है दोस्त तेरेसाथ होने के
बाद वो बुड्ढा उसको कहाँ खुश कर पता वैसे बड़ी मस्त चीज़ है साली..
शमशेर सीरियस हो गया.. अंजलि ने उसको शादी के
लिये प्रपोसे किया था उसको अंजलि के बारे में ये सब
सुनना अच्छा नहीं लगा, चल छोड़.. ओर सुना कुछ
सुनील: कब आ रहे हो ?
शमशेर: दिशा वाणी के पेपर्स ख़तम होने के बाद ! एक महीने के लिये आयेंगे..
सुनील: पेपर्स में तो अभी महिना बाकी है..
शमशेर: हाँ, वो तो है..
सुनील चल ठीक है.. हम तो स्कूल की कन्याओं के साथ
निकल रहे हैं.. मस्ती के टूर पर..
शमशेर: कब ? सुनील: कुछ कन्फर्म नहीं है अभी... चलना है क्या ?
शमशेर: नहीं यार, अब मेरे वो दिन नहीं रहे ! चल एन्जॉय
कर.. ओके
सुनील: बाय डियर..
सुनील के हाथों से आज एक हसीन मौका निकल
गया था गौरी आते-आते उसके हाथों से फिसल
गयी उसको गौरी का ध्यान आया... वो उठ कर दरवाजे के
की-होल में से झाँकने लगा..
सुनील को लगता था की गौरी से डायरेक्ट ही डील कर
ली जाये पर उसने देखा गौरी तो सो चुकी है वह मन मसोस कर वापस अन्दर आकर सो गया
अगली सुबह प्रेयर के बाद अंजलि ने टूर की एनाउंस-मेंट
कर दी टूर ३ दिन का होगा मनाली में.. टूर पर जाने
की इच्छुक लड़की को अपना नाम सुनील सर के पास
लिखवाना था वही इस टूर का इंचार्ज था लड़कियाँ खुश
हो गयी पर मैडमो में से किसी ने रुचि नहीं दिखायी दोपहर आधी छुट्टी के बाद सुनील
के पास ४४ नाम लिखे जा चुके थे..
इतनी सारी लड़कियों को मैनेज करना अकेले सुनील
ओर अंजलि के लिये मुश्किल हो जाता..
अंजलि ने सुनील को ऑफिस में बुलाकर कहा, सुनील !
टूर तो कैंसल करना पड़ेगा ! सुनील ने अचरज से सवाल किया..
उसकी तो सारी उम्मीदें टूर पर ही टिकी थी.., क्यूँ ?
कोई मैडम चलने को तैयार नहीं..
इतनी सारी लड़कियों को मैं कैसे सम्भालूंगी ?
सुनील ने शरारती अंदाज में कहा, अरे इससे
दौगुनी लड़कियाँ भी होती तो मैं अकेला ही संभाल लेता.. आप जानती नहीं हैं
मुझे..
अंजलि उसकी बात को समझ कर मुस्कुरा पड़ी, वो बात
नहीं है सुनील ! पर लड़कियों की कुछ पर्सनल प्रॉब्लम
भी होती हैं.. और वो एक औरत ही मैनेज कर सकती है
क्या शिवानी नहीं आ सकती ? सुनील अपना मजा किरकिरा नहीं करना चाहता था,
वो आ सकती तो भी मैं उसको ले जाना नहीं चाहूँगा !
तभी टफ ने ऑफिस में एंट्री मारी.. उसने आते ही मैडम
को नमस्कार किया और सुनील के कंधे पर जोर से
घूसा मारा, क्या प्लानिंग चल रही है भाई ?
आओ इंसपेक्टर साहिब मुझे पता चला की तुम कई बार गाँव आये हो और चुपके-चुपके वापस हो लिये
बिना मिले ये भी कोई बात हुयी ! सुनील ने उससे हाथ
मिलाते हुये कहा !
टफ ने मजबूरी बयाँ कर दी, अरे यार ड्यूटी में इतना टाइम
ही नहीं मिलता और तुझसे मिलने आ जाता तो तू
जल्दी ठोड़े ही भागने देता अब जाकर एक हफ्ते की छुट्टियाँ मिली हैं खैर और सुनाओ कैसे हो
सुनील ने बुरा सा मुँह बनाकर कहा, यार ये गाँव की मैडमें
भी ना.. अभी हमारा टूर का प्रोग्राम बना था कोई मैडम
चलने को तैयार ही नहीं है लड़कियों को 'सँभालने' के
लिये.. उसने सँभालने पर कुछ ज्यादा ही जोर दिया
"तुम्हारी ये प्रॉब्लम तो में सोल्व कर सकता हूँ" टफ ने कहा
सुनील की आँखें चमक गयी.., करो ना.. !
टफ ने रहस्यमयी अंदाज में कहा, भाई साहब ! पुलिस वाले
बिना लिये कभी किसी की प्रॉब्लम दूर नहीं करते तू
तो जानता है
सुनील ने अंजलि के आगे ही ऐसी बात कही की अंजलि भी बगलें झाँकने लगी, बोल
किसकी लेनी है
टफ ने मुश्किल से अपनी हँसी रोकी, अगर मुझे भी साथ
ले चलो तो मैडम का इंतजाम में कर सकता हूँ
सुनील ने अंजलि से इजाजत लेने की जरुरत
ही ना समझी, नेकी और पूछ-पूछ ! पर मैडम कहाँ से पैदा करोगे !
इसी गाँव से प्यारी मैडम ! टफ के चेहरे पर मुस्कान तैर
गयी..
प्यारी का नाम सुनते ही अंजलि को घिन
सी हो गयी सारा माहौल ख़राब कर देगी, पर वो सुनील
के साथ इस हसीन सफर को गवाना नहीं चाहती थी टूर
कैंसल हो सकता था इसीलिये वह चुप रही
सुनील: ये प्यारी कौन है भाई
टफ: तू अभी तक प्यारी को नहीं जानता इस गाँव में क्या झक मार रहा है ?
अंजलि ने सस्पेंस खत्म किया, प्यारी पहले इसी स्कूल
में मैडम थी पर उसको तो दूसरे स्कूल में जाना पड़ता है
टफ: आप वो मुझ पर छोड़ दीजिये.. शमशेर सेटिंग
करा देगा
अंजलि: ओके तो तुम बात कर लो अगर वो चल पड़ें तो.. टफ: चल पड़े तो.... नहीं मैडम चल पड़ी, उसने
प्यारी को फोन लगाया "मैडम जी नमस्कार" !
प्यारी: रे नमस्कार छोरे ! गाम में कड़ (कब) आवेगा तू ?
अंजलि के सामने टफ खुल कर बात नहीं कर पा रहा था..
वो ऑफिस से बाहर निकल आया सुनील भी उसके साथ
ही आ गया, आंटी जी ! एक अच्छा मौका है तुझे टूर पर घुमा कर लाऊंगा.. देख लो !
प्यारी: तू पागल है क्या ? घर पर क्या कहूँगी? और फिर
स्कूल भी..
टफ ने उसको बीच में ही टोक दिया, तू सुन तो ले पहले !
गाँव के स्कूल से टूर जा रहा है लड़कियों काऔर तुम
उसमें जा सकती हो ! रही स्कूल की बात तो शमशेर अपने आप ही जुगाड़ करवा कर तुम्हे ऑन ड्यूटी करा देगा अब
बोलो !
प्यारी: हाय ! मजा आ जायेगा तेरे साथ मैं आज
ही अपनी चूत को शेव कर लूंगी.. पर देख तू मुझे छोड़ कर
दूसरी लड़कियों पर ध्यान मत धर लेना मैं तो जीते
जी ही मर जाऊँगी.. आई लव यू ! टफ हँसने लगा, तो फिर तुम्हारा नाम फाइनल करवा दूँ
ना..
प्यारी: बिलकुल करा दे पर तेरे साथ वाली सीटरिज़र्व
करवा लियो !
टफ: तेरी सरिता को भी लेकर चल रही होगी साथ में..?
प्यारी: देख तू ना.. मैं कह देती हूँ.. अपने सिवाय किसी की और झाँकने भी नहीं दूँगी..
टफ: देखने में क्या हर्ज़ है आंटीजी.. अच्छा ओके ! बाद में
बात करते हैं बाय !!!
और प्रोग्राम तय हो गया.... टूर में टफ और सुनील २ मर्द
तो थे ही... उसके अलावा जो बस बुक की गयी...
उसका ड्राईवर और ड्राईवर का हेल्पर भी रंगीन मिजाज के आदमी थे २५ से ३० साल की उम्र के दोनों ही हट्टे-
कट्टे और लम्बे तगड़े शरीर के मालिक थे... सुनील ने
जाने अनजाने अपनी चुदाई करवाने
जा रही लड़कियों की लिस्ट पर गौर किया, सबसे
पहले अंजलि और प्यारी मैडम का नाम था...
लड़कियों में हमारी जान पहचान की सारी लड़कियाँ थी गौरी, नमिता, दिव्या, नेहा,
कविता, सरिता और अभी तक भी अपनी चूत का रस
शायद मर्द के हाँथों न निकलवा सकने वाली ३८ और
खूबसूरत बलायें थी.... ऊपर लिखे हुए
नामों वाली लड़कियों का तो टूर पर जाने का एक
ही मकसद था... जी भर कर अपनी चुदाई करवाना... बाकियों में से भी कुछ सुनील सर के साथ सेक्स
का प्रैक्टिकल करने को बेताब थी... हद तो तब
हो गयी जब प्यारी अपने साथ... अपनी पता नहीं किस
बाप की औलाद 'राकेश' को भी ले आयी, "ये भी साथ चल
पड़ेगा... इसका खर्चा अलग लगा लेना...
किसी ने कुछ नहीं कहा..... और बस आ गयी...!
बस में दो-दो सीटों की दो रो़स थी अंजलि अपने साथ
सुनील को रिसर्व रखना चाहती थी... पर प्यारी देवी ने
उसको एक तरफ होने को कहा तो मजबूरन
अंजलि को सीट प्यारी को देनी पड़ी.. सुनील
अभी बाहर ही खड़ा था
सरिता आकर अपनी मम्मी के पीछे वाली सीट पर बैठ गयी टफ ने बस में चढ़ते ही प्यारी को देखा... उसके साथ
तो बैठने का चांस था ही नहीं.. सो वो उसके पीछे
वाली सीट पर सरिता के साथ जम गया.. अंजलि के साथ
वाली सीट पर निशा और गौरी बैठे थे.. सुनील आकर टफ
के साथ वाली सीट पर गौरी के पीछे बैठ गया..
नेहा की क्लास की ही एक लड़की मुस्कान सुनील के साथ वाली सीट पर जा बैठी.. जबकि दिव्या और
उसकी क्लास की लड़की भावना टफ और सरिता के
पीछे वाली सीट पर जाकर बैठ गयी.. नेहा सुनील और
मुस्कान के पीछे एक और लड़की अदिति के साथ बैठ
गयी.. लगभग सभी लड़कियाँ बस में चढ़ चुकी थी..
तभी राकेश बस में चढ़ा और गौरी को घूरने लगा.. वो उसके पास ही जमना चाहता था पर कोई चांस न
देखकर उसके सामने आगे जाकर ड्राईवर के बराबर
वाली लम्बी सीट पर बैठ गया.. कंडक्टर भी वहीँ बैठा था..
बस भर गयी.. सुनील ने बस चलने
को कहा तो तभी कविता भागती हुयी आयी," रुको!
रुको! मैं रह गयी.. वो हमेशा ही लेट लतीफ थी.. बस में चढ़कर वो अंजलि से बोली.. "मैडम मैं अकेली सबसे
पीछे वाली सीट पर नहीं बैठूंगी.. मुझे आगे ही जगह
दिलवा दो न कहीं !"
राकेश ने मौका ताड़ कर अंजलि मैडम को कहा,"मैडम !
यहाँ मेरे पास जगह है.. कहकर वो खिड़की वाली साईड में
सरक गया.. अंजलि: देखो कविता ! ऐसे तो अब
किसी को उठाया नहीं जा सकता या तो किसी से पूछ
लो कोई पीछे अकेला जाकर बैठ सके या फिर ये आगे
वाली सीट ही खाली है बस.. !
कविता तो थी ही चालू लड़की.. उसकी तो जैसे मन
की मुराद ही पूरी हो गयी.. उसने राकेश की और गहरी निगाहों से घूरा और जाकर उससे सटकर बैठ
गयी...
बस चल पड़ी कोई भी अपनी सीट पाकर खुश नहीं था..
टफ प्यारी के साथ बैठना चाहता था.. अंजलि सुनील के
साथ बैठना चाहती थी.. सुनील गौरी के साथ
बैठना चाहता था और गौरी, अंजलि और सुनील के साथ.. वो टूर पर ही लाइव मैच देखने का प्लान बना रही थी..
राकेश गौरी के साथ बैठना चाहता था पर उसको भागते
चोर की लंगोटी.. कविता ही पकड़नी पड़ी..
नमिता सोच रही थी काश उसका भाई संजय उसके साथ
होता.. कुल मिलाकर सबको अपने सपने टूटते दिखाई दे
रहे थे.. टूर पर सुरूर पूरा करने के सपने.. हाँबाकि लड़कियाँ जो अभी फ्रेम में नहीं आयी हैं..
वो भी सोच रही थी की काश सुनील के पास बैठने
को मिल जाता....
उधर सुनील को मानो बिन माँगे ही मोती मिल
गया गौरी जैसी हसीन लड़की से इस तरहा 'ब्लैकमेल'
कौन नहीं होना चाहेगा वो खुद उसके और अंजलि के सामने बैठकर उन दोनों की लाइव सेक्स परफॉर्मेंस
देखना चाहती थी सुनील को पूरा विश्वास
था की इतनी सेक्सी लड़की उसके मोटे लंड को देखते
ही अपने आप ही अपनी चूत को उसके आगे परोस
देगी भोगने के लिये अंजलि तो इस बात को लेकरबहुत
ही ज्यादा विचलित थी और सुनील भी उसके आगे मजबूरी होने का नाटक कर रहा था पर अन्दर ही अन्दर
वह इतना खुश था की वह रात होने का इंतज़ार ही नहीं कर
पा रहा था बार-बार उत्तेजित होकर गौरी की और
देखता और चुपके से अपने लंड को मसल
देता गौरी दोनों के चेहरों को देखकर मन ही मन बहुत
खुश थी वो नये-नये तरीके जिनसे वो उन दोनों का भरपूर मजा ले सके सोच रही थी.. २ घंटे
का इंतज़ार गौरी और सुनील दोनों को ही बहुत
लम्बा लग रहा था उनको अहसास नहीं था की उनकाये
इंतज़ार और लम्बा होने जा रहा है...
दरवाजे पर बेल बजी गर्रर्र.... गौरी ने दरवाजा खोला,
पापा आप....!!!!! ओमप्रकाश अन्दर घुसते हुये बोला, मेरे जल्दी आने से
खुश नहीं हुयी मेरी बेटी है ना.... !
अंजलि को पहली बार उसको आये देख
इतनी खुशी हुयी, आ गये आप !
वो चहकती हुयी सी बोली लाइव गेम से जो बच गयी कम
से कम आज तो बच ही गयी थी.. अरे भाई क्या बात है...! कहीं खुशी कहीं ग़म ओमप्रकाश ने
सुनील से हाथ मिलते हुये कहा, और मास्टर जी, का हाल
हैं..
सुनील ने भी उखड़े मन से जवाब दिया, बस ठीक है
श्रीमान !
ओमप्रकाश ने अपना बैग बेड के साथ रखा और बेडपर पसर गया, लाओ भाई ! कुछ चाय वाय नहीं पूछोगी क्या ?
बड़ा थका हारा आया हूँ ! खा पीकर सो जाऊँ !
गौरी ने अंजलि के पास जाकर कान में कहा, दीदी ! में
आपको ऐसे नहीं बचने दूँगी... मेरी शर्त उधार रही और
सुनील की और देखकर मुस्कुरा दी...
सुनील अपने बिस्तर पर पड़ा-पड़ा सोच रहा था,अंजलि चुदायी करवाते हुये उसकी जगह शमशेर का नाम
ले रही थी तो क्या शमशेर ने....
उसने अपना फोन निकालकर शमशेर को डायल किया
शमशेर बाथरूम में था फोन पर लड़की की मादक मधुर
आवाज थी
सुनील: जी नमस्कार दिशा भाभी जी दिशा भाभी जी नहीं, दिशा भाभी जी की बहन बोल
रही हूँ कौन हैं आप ? वाणी समझदार होती जा रही थी
नमस्ते साली साहिबा ! आप की आवाज बड़ी प्यारी है
वाणी: आपकी साली बोल रही हूँ.. आप अपनी तारीफ
तो सुनाईये ?
तभी दिशा ने फोन ले लिया, जी कौन ? सुनील उसकीआवाज पर ही मोहित हो गया पर
वो शमशेर की बीवी होने का मतलब जानता था, मैं सुनील
बोल रहा हूँ..
दिशा शर्मा गयी.. अगर वो शमशेर
की पत्नी ना होती तो सुनील उसके सर होते, नमस्ते
सर ! ये वाणी थी ये कुछ भी बोल देती है वो नहा रहे हैं निकलते ही बात करा दूँगी..
सुनील: ठीक है
सुनील ने फोन रखते ही आह की.. शमशेर
कितना खुशकिस्मत है तभी उसके फोन की घंटी बज
उठी ! शमशेर का फोन था, हाँ सुनील कैसे हो ?
सुनील: मैं तो जैसा हूँ ठीक हूँ, पर आपकी साली बहुत
तीखी है भाई साहब !
शमशेर ने जोर का ठहाका लगाया और पास ही खड़ी वाणी के सर पर हाथ फेरने लगा, कहो क्या हाल
चाल हैं मेरी ससुराल के ?
शमशेर ने दिशा की और आँख मारते हुये कहा दिशा ने
जैसे उसका मुँह नोच लिया प्यार से,
उसको पता था वो ससुराल का नहीं ससुराल
वालियों का हाल पूछ रहा है शमशेर ने उसको पकड़ कर अपनी बाजू के नीचे दबोच लिया.. वाणी अपने
जीजा की मस्ती देखकर जोर-जोर से हंसने लगी
सुनील: भाई ! ससुराल में तो हर ओर हरयाली है एक फसल
को कटता हूँ तो नयी लहराने लगती है वैसे 'पौध'
भी तैयार हो रही है तेरे ससुराल की तो बात ही कुछ ओर
है.. शमशेर हंसने लगा.. दिशा से उसको बहुत डर
लगता था वो उसको प्यार जो इतना करती थी
सुनील: एक बात पूछूं ?
शमशेर टहलते हुये कमरे से बाहर निकल आया, बोल !
सुनील: ये प्रिंसिपल के साथ तेरा कुछ सीन थाक्या ?
शमशेर: हाँ यार ! वहीँ से तो कहानी शुरू हुयी थी.. पर तुझे किसने बताया ?
सुनील: अब मेरा सीन है उसके साथ... नीचे लेटे हुये
तेरा नाम बड़बड़ा रही थी..
शमशेर को आश्चर्य हुआ, यार ! वो ऐसी तो नहीं थी..
सुनील: वक़्त सब कुछ बदल देता है दोस्त तेरेसाथ होने के
बाद वो बुड्ढा उसको कहाँ खुश कर पता वैसे बड़ी मस्त चीज़ है साली..
शमशेर सीरियस हो गया.. अंजलि ने उसको शादी के
लिये प्रपोसे किया था उसको अंजलि के बारे में ये सब
सुनना अच्छा नहीं लगा, चल छोड़.. ओर सुना कुछ
सुनील: कब आ रहे हो ?
शमशेर: दिशा वाणी के पेपर्स ख़तम होने के बाद ! एक महीने के लिये आयेंगे..
सुनील: पेपर्स में तो अभी महिना बाकी है..
शमशेर: हाँ, वो तो है..
सुनील चल ठीक है.. हम तो स्कूल की कन्याओं के साथ
निकल रहे हैं.. मस्ती के टूर पर..
शमशेर: कब ? सुनील: कुछ कन्फर्म नहीं है अभी... चलना है क्या ?
शमशेर: नहीं यार, अब मेरे वो दिन नहीं रहे ! चल एन्जॉय
कर.. ओके
सुनील: बाय डियर..
सुनील के हाथों से आज एक हसीन मौका निकल
गया था गौरी आते-आते उसके हाथों से फिसल
गयी उसको गौरी का ध्यान आया... वो उठ कर दरवाजे के
की-होल में से झाँकने लगा..
सुनील को लगता था की गौरी से डायरेक्ट ही डील कर
ली जाये पर उसने देखा गौरी तो सो चुकी है वह मन मसोस कर वापस अन्दर आकर सो गया
अगली सुबह प्रेयर के बाद अंजलि ने टूर की एनाउंस-मेंट
कर दी टूर ३ दिन का होगा मनाली में.. टूर पर जाने
की इच्छुक लड़की को अपना नाम सुनील सर के पास
लिखवाना था वही इस टूर का इंचार्ज था लड़कियाँ खुश
हो गयी पर मैडमो में से किसी ने रुचि नहीं दिखायी दोपहर आधी छुट्टी के बाद सुनील
के पास ४४ नाम लिखे जा चुके थे..
इतनी सारी लड़कियों को मैनेज करना अकेले सुनील
ओर अंजलि के लिये मुश्किल हो जाता..
अंजलि ने सुनील को ऑफिस में बुलाकर कहा, सुनील !
टूर तो कैंसल करना पड़ेगा ! सुनील ने अचरज से सवाल किया..
उसकी तो सारी उम्मीदें टूर पर ही टिकी थी.., क्यूँ ?
कोई मैडम चलने को तैयार नहीं..
इतनी सारी लड़कियों को मैं कैसे सम्भालूंगी ?
सुनील ने शरारती अंदाज में कहा, अरे इससे
दौगुनी लड़कियाँ भी होती तो मैं अकेला ही संभाल लेता.. आप जानती नहीं हैं
मुझे..
अंजलि उसकी बात को समझ कर मुस्कुरा पड़ी, वो बात
नहीं है सुनील ! पर लड़कियों की कुछ पर्सनल प्रॉब्लम
भी होती हैं.. और वो एक औरत ही मैनेज कर सकती है
क्या शिवानी नहीं आ सकती ? सुनील अपना मजा किरकिरा नहीं करना चाहता था,
वो आ सकती तो भी मैं उसको ले जाना नहीं चाहूँगा !
तभी टफ ने ऑफिस में एंट्री मारी.. उसने आते ही मैडम
को नमस्कार किया और सुनील के कंधे पर जोर से
घूसा मारा, क्या प्लानिंग चल रही है भाई ?
आओ इंसपेक्टर साहिब मुझे पता चला की तुम कई बार गाँव आये हो और चुपके-चुपके वापस हो लिये
बिना मिले ये भी कोई बात हुयी ! सुनील ने उससे हाथ
मिलाते हुये कहा !
टफ ने मजबूरी बयाँ कर दी, अरे यार ड्यूटी में इतना टाइम
ही नहीं मिलता और तुझसे मिलने आ जाता तो तू
जल्दी ठोड़े ही भागने देता अब जाकर एक हफ्ते की छुट्टियाँ मिली हैं खैर और सुनाओ कैसे हो
सुनील ने बुरा सा मुँह बनाकर कहा, यार ये गाँव की मैडमें
भी ना.. अभी हमारा टूर का प्रोग्राम बना था कोई मैडम
चलने को तैयार ही नहीं है लड़कियों को 'सँभालने' के
लिये.. उसने सँभालने पर कुछ ज्यादा ही जोर दिया
"तुम्हारी ये प्रॉब्लम तो में सोल्व कर सकता हूँ" टफ ने कहा
सुनील की आँखें चमक गयी.., करो ना.. !
टफ ने रहस्यमयी अंदाज में कहा, भाई साहब ! पुलिस वाले
बिना लिये कभी किसी की प्रॉब्लम दूर नहीं करते तू
तो जानता है
सुनील ने अंजलि के आगे ही ऐसी बात कही की अंजलि भी बगलें झाँकने लगी, बोल
किसकी लेनी है
टफ ने मुश्किल से अपनी हँसी रोकी, अगर मुझे भी साथ
ले चलो तो मैडम का इंतजाम में कर सकता हूँ
सुनील ने अंजलि से इजाजत लेने की जरुरत
ही ना समझी, नेकी और पूछ-पूछ ! पर मैडम कहाँ से पैदा करोगे !
इसी गाँव से प्यारी मैडम ! टफ के चेहरे पर मुस्कान तैर
गयी..
प्यारी का नाम सुनते ही अंजलि को घिन
सी हो गयी सारा माहौल ख़राब कर देगी, पर वो सुनील
के साथ इस हसीन सफर को गवाना नहीं चाहती थी टूर
कैंसल हो सकता था इसीलिये वह चुप रही
सुनील: ये प्यारी कौन है भाई
टफ: तू अभी तक प्यारी को नहीं जानता इस गाँव में क्या झक मार रहा है ?
अंजलि ने सस्पेंस खत्म किया, प्यारी पहले इसी स्कूल
में मैडम थी पर उसको तो दूसरे स्कूल में जाना पड़ता है
टफ: आप वो मुझ पर छोड़ दीजिये.. शमशेर सेटिंग
करा देगा
अंजलि: ओके तो तुम बात कर लो अगर वो चल पड़ें तो.. टफ: चल पड़े तो.... नहीं मैडम चल पड़ी, उसने
प्यारी को फोन लगाया "मैडम जी नमस्कार" !
प्यारी: रे नमस्कार छोरे ! गाम में कड़ (कब) आवेगा तू ?
अंजलि के सामने टफ खुल कर बात नहीं कर पा रहा था..
वो ऑफिस से बाहर निकल आया सुनील भी उसके साथ
ही आ गया, आंटी जी ! एक अच्छा मौका है तुझे टूर पर घुमा कर लाऊंगा.. देख लो !
प्यारी: तू पागल है क्या ? घर पर क्या कहूँगी? और फिर
स्कूल भी..
टफ ने उसको बीच में ही टोक दिया, तू सुन तो ले पहले !
गाँव के स्कूल से टूर जा रहा है लड़कियों काऔर तुम
उसमें जा सकती हो ! रही स्कूल की बात तो शमशेर अपने आप ही जुगाड़ करवा कर तुम्हे ऑन ड्यूटी करा देगा अब
बोलो !
प्यारी: हाय ! मजा आ जायेगा तेरे साथ मैं आज
ही अपनी चूत को शेव कर लूंगी.. पर देख तू मुझे छोड़ कर
दूसरी लड़कियों पर ध्यान मत धर लेना मैं तो जीते
जी ही मर जाऊँगी.. आई लव यू ! टफ हँसने लगा, तो फिर तुम्हारा नाम फाइनल करवा दूँ
ना..
प्यारी: बिलकुल करा दे पर तेरे साथ वाली सीटरिज़र्व
करवा लियो !
टफ: तेरी सरिता को भी लेकर चल रही होगी साथ में..?
प्यारी: देख तू ना.. मैं कह देती हूँ.. अपने सिवाय किसी की और झाँकने भी नहीं दूँगी..
टफ: देखने में क्या हर्ज़ है आंटीजी.. अच्छा ओके ! बाद में
बात करते हैं बाय !!!
और प्रोग्राम तय हो गया.... टूर में टफ और सुनील २ मर्द
तो थे ही... उसके अलावा जो बस बुक की गयी...
उसका ड्राईवर और ड्राईवर का हेल्पर भी रंगीन मिजाज के आदमी थे २५ से ३० साल की उम्र के दोनों ही हट्टे-
कट्टे और लम्बे तगड़े शरीर के मालिक थे... सुनील ने
जाने अनजाने अपनी चुदाई करवाने
जा रही लड़कियों की लिस्ट पर गौर किया, सबसे
पहले अंजलि और प्यारी मैडम का नाम था...
लड़कियों में हमारी जान पहचान की सारी लड़कियाँ थी गौरी, नमिता, दिव्या, नेहा,
कविता, सरिता और अभी तक भी अपनी चूत का रस
शायद मर्द के हाँथों न निकलवा सकने वाली ३८ और
खूबसूरत बलायें थी.... ऊपर लिखे हुए
नामों वाली लड़कियों का तो टूर पर जाने का एक
ही मकसद था... जी भर कर अपनी चुदाई करवाना... बाकियों में से भी कुछ सुनील सर के साथ सेक्स
का प्रैक्टिकल करने को बेताब थी... हद तो तब
हो गयी जब प्यारी अपने साथ... अपनी पता नहीं किस
बाप की औलाद 'राकेश' को भी ले आयी, "ये भी साथ चल
पड़ेगा... इसका खर्चा अलग लगा लेना...
किसी ने कुछ नहीं कहा..... और बस आ गयी...!
बस में दो-दो सीटों की दो रो़स थी अंजलि अपने साथ
सुनील को रिसर्व रखना चाहती थी... पर प्यारी देवी ने
उसको एक तरफ होने को कहा तो मजबूरन
अंजलि को सीट प्यारी को देनी पड़ी.. सुनील
अभी बाहर ही खड़ा था
सरिता आकर अपनी मम्मी के पीछे वाली सीट पर बैठ गयी टफ ने बस में चढ़ते ही प्यारी को देखा... उसके साथ
तो बैठने का चांस था ही नहीं.. सो वो उसके पीछे
वाली सीट पर सरिता के साथ जम गया.. अंजलि के साथ
वाली सीट पर निशा और गौरी बैठे थे.. सुनील आकर टफ
के साथ वाली सीट पर गौरी के पीछे बैठ गया..
नेहा की क्लास की ही एक लड़की मुस्कान सुनील के साथ वाली सीट पर जा बैठी.. जबकि दिव्या और
उसकी क्लास की लड़की भावना टफ और सरिता के
पीछे वाली सीट पर जाकर बैठ गयी.. नेहा सुनील और
मुस्कान के पीछे एक और लड़की अदिति के साथ बैठ
गयी.. लगभग सभी लड़कियाँ बस में चढ़ चुकी थी..
तभी राकेश बस में चढ़ा और गौरी को घूरने लगा.. वो उसके पास ही जमना चाहता था पर कोई चांस न
देखकर उसके सामने आगे जाकर ड्राईवर के बराबर
वाली लम्बी सीट पर बैठ गया.. कंडक्टर भी वहीँ बैठा था..
बस भर गयी.. सुनील ने बस चलने
को कहा तो तभी कविता भागती हुयी आयी," रुको!
रुको! मैं रह गयी.. वो हमेशा ही लेट लतीफ थी.. बस में चढ़कर वो अंजलि से बोली.. "मैडम मैं अकेली सबसे
पीछे वाली सीट पर नहीं बैठूंगी.. मुझे आगे ही जगह
दिलवा दो न कहीं !"
राकेश ने मौका ताड़ कर अंजलि मैडम को कहा,"मैडम !
यहाँ मेरे पास जगह है.. कहकर वो खिड़की वाली साईड में
सरक गया.. अंजलि: देखो कविता ! ऐसे तो अब
किसी को उठाया नहीं जा सकता या तो किसी से पूछ
लो कोई पीछे अकेला जाकर बैठ सके या फिर ये आगे
वाली सीट ही खाली है बस.. !
कविता तो थी ही चालू लड़की.. उसकी तो जैसे मन
की मुराद ही पूरी हो गयी.. उसने राकेश की और गहरी निगाहों से घूरा और जाकर उससे सटकर बैठ
गयी...
बस चल पड़ी कोई भी अपनी सीट पाकर खुश नहीं था..
टफ प्यारी के साथ बैठना चाहता था.. अंजलि सुनील के
साथ बैठना चाहती थी.. सुनील गौरी के साथ
बैठना चाहता था और गौरी, अंजलि और सुनील के साथ.. वो टूर पर ही लाइव मैच देखने का प्लान बना रही थी..
राकेश गौरी के साथ बैठना चाहता था पर उसको भागते
चोर की लंगोटी.. कविता ही पकड़नी पड़ी..
नमिता सोच रही थी काश उसका भाई संजय उसके साथ
होता.. कुल मिलाकर सबको अपने सपने टूटते दिखाई दे
रहे थे.. टूर पर सुरूर पूरा करने के सपने.. हाँबाकि लड़कियाँ जो अभी फ्रेम में नहीं आयी हैं..
वो भी सोच रही थी की काश सुनील के पास बैठने
को मिल जाता....
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