Thursday, 3 April 2014

masti ki pathsala - 6

मस्ती की पाठशाला - एक रोमाचंक कहानी  भाग-6


शनिवार का दिन था शमशेर लॅबोरेटरी में बैठा १०थ क्लास के प्रॅक्टिकल के लिए केमिकल्स तैयार कर रहा था उसके दिमाग़ से दिशा निकलने का नाम नही ले रही थी करीब १० दिन बीत जाने पर भी उसको दिशा की तरफ से कोई ऐसा सिग्नल नही मिल सका था जिससे वो उसको अपनी बाहों में ले सके वो तो उससे बात ही खुलकर नही करती थी उसने सोचा था की वाणी के आगे कुम्भ्कर्न वाली आक्टिंग करने के बाद शायद दिशा उसके सोते हुए कोई ऐसी हरकत करे जिससे वा उसके मॅन की बात जान सके पर अभी तक ऐसा कुछ नही हुआ था
अचानक लॅब के बाहर से आवाज़ आई," मे आइ कम इन सर?"
"यस,प्लीज़!" शमशेर ने अंदर बैठा-बैठे ही कहा वो लॅब में अलमारियों के पीछे कुर्सी पर बैठा था
नेहा ने अंदर आकर पूछा,"सर आप कहाँ हो"
"अरे भाई यहाँ हूँ" शमशेर के हाथों में रंग लगा हुआ था
नेहा उसके पास जाकर खड़ी हो गयी,"सर, अभी से होली खेलने की तैयारी कर रहे हैं अभी तो ५ दिन बाकी हैं" नेहा ने चुटकी ली लड़कियाँ उससे काफ़ी घुल मिल गयी थी
शमशेर ने रंग उसके गालों पर लगा दिया ओर बोला" लो खेल भी ली"
नेहा ने नज़रें झुका ली बाकी लड़कियों की तरह उसके मंन में भी अपने सर के लिए कुछ ज़्यादा ही लगाव था अल्हड़ मस्त उमर में ऐसे छबिले को देखकर ऐसा होना स्वाभिवीक ही था
"बोलो! क्या बात है नेहा"
नेहा: सर, प्लीज़ गुस्सा मत होना! मुझे दिशा ने भेजा है
शमशेर की आँखें चमक उठी," बोलो!"
नेहा," सर वो कह रही थी की.... की आप उससे अभी तक नाराज़ हो क्या?"
शमशेर: नाराज़!.... क्यों?
नेहा: सर... वो तो पता नही!
शमशेर ने साबुन से हाथ धोए और जाने उसके मॅन में क्या सूझी उसने नेहा के कमीज़ से अपने हाथ पोछ दिए नेहा की सिसकी निकल गयी सर के हाथ उसकी गॅंड के उभारों पर लगे थे ये स्पर्श उसको इतना मधुर लगा की उसकी आँखे बंद हो गयी," सर ये आप क्या कर रहे हो?"
उसने आँखें बंद किए किए ही पूछा
शेर ने फिर उसके चूतड़ो पर थपकी दी, ये थपकी थोड़ी कड़क थी, नेहा सिहर गयी और उसके मुँह से निकला,"आ सस्स..इर्ररर!"
शमशेर: क्या हुआ? उसको पता था हौले-हौले जवानी को तडपा-तडपा कर उसका रस पीने का मज़ा ही अलग है
नेहा: सर.. कु्छ नही. उसका दिल कर रहा था जैसे सर उसके सारे शरीर में ऐसे ही सूइयां सी चुभोते रहे
शमशेर: कु्छ नही तो जाओ फिर!
नेहा कु्छ ना बोली, एक बार तरसती निगाहों से शमशेर को देखा और वही खड़ी रही
शमशेर समझ रहा था की अब इसका पानी निकलने ही वाला है वो चाहता तो वहाँ कु्छ भी कर सकता था, पर उसको डर था की ये दिशा की सहेली है, उसको बता दिया तो उसकी मदमस्त जवानी हाथ से निकल सकती थी
शमशेर ने कहा," दिशा से कह देना, हां में उससे नाराज़ हूँ!
नेहा का जाने का मॅन तो नही था पर इस बार वो नही रुकी...
नेहा शमशेर की आँखों में वासना देख चुकी थी कु्छ भी हो उससे कु्छ भी बुरा नही लगा था लॅब से निकलते हुए उसकी आँखो की खुमारी को सॉफ-सॉफ पढ़ा जा सकता था उसकी चुचियाँ कस-मसा रहा थी बुरी तरह उनका हाल ऐसा हो रहा था जैसे बरसों से पिंजरे में क़ैद कबूतर आज़ाद होने के लिए फड्फाडा रहे हों वह बाथरूम में गयी और अपनी चूत को कुरेदने लगी वो बुरी तरह लाल हो रही थी नेहा ने अपनी उंगली चूत में घुसा दी "आ...आह" उसकी आग और भड़क उठी वह दिशा को सिर की कामुक छेड़ छाड़ के बारे में बताना चाहती थी पर उसको पता था दिशा को ये बातें बहुत गंदी लगती थी कहीं उसकी सहेली उससे नाराज़ ना हो जाए यही सोचकर उसने दिशा को कु्छ भी ना बताने का फ़ैसला कर लिया चूत में घुसी उंगली की स्पीड तेज होती चली गयी और आनंद की चरम सीमा पर पहुच कर वो दीवार से सटकर हाँफने लगी
क्लास में गयी तो उसका बुरा हाल था नेहा को बदहवास सी देखकर दिशा के मॅन में जाने क्या आया," कहाँ थी इतनी देर?"
नेहा: बाथरूम में गयी थी
दिशा: इतनी देर?
नेहा: अरे यार, फ्रेश होकर आई हूँ, सुबह नही जा पाई थी
दिशा: सर के पास गयी थी?
नेहा: हां, पर वहाँ से तो १ मिनट में ही आ गयी थी नेहा ने झूठ बोला!
दिशा: क...क्या सर.... क्या बोले सर जी
नेहा: हां वो नाराज़ हैं!
दिशा: पर क्यूँ?
नेहा: मुझे क्या पता, ये या तो तू जाने या तेरे प्यारे सर जी! नेहा ने आखरी शब्दों पर ज़्यादा ही ज़ोर डाला
दिशा: एक बात बता, तेरा फॅवुरेट टीचर कौन है?
नेहा: क्यूँ?
दिशा: बता ना... प्लीज़
नेहा: वही जो तेरे हैं... सबके हैं... सभी की ज़ुबान पर एक ही तो नाम है आजकल!
दिशा जल सी गयी," क्यूँ मैने कब कहा! मेरा फॅवुरेट तो कोई नही है
नेहा: फिर मुझसे क्यूँ पूछा
चल छोड़ छुट्टी होने वाली है
छुट्टी के बाद दिशा ने देखा वाणी सर की गाड़ी के पास खड़ी है दिशा ने उसको चलने को कहा
वाणी: मैं तो गाड़ी में आउन्गि सर के साथ!
दिशा: चल पागल! तुझे शरम नही आती
वाणी: मुझे क्यूँ शरम आएगी. अपनी....
तभी शमशेर गाड़ी के पास पहुँच गया
वाणी: सर दीदी कह रही है तुझे सर की गाड़ी में बैठते हुए शरम नही आती इतनी अच्ची गाड़ी तो है....
शमशेर: जिसको शरम आती है वो ना बैठें! गाड़ी को अनलॉक करते हुए उसने कहा
वाणी खुश होकर अगली सीट पर बैठ गयी
शमशेर ने गाड़ी स्टार्ट की और दिशा की और देखा वा मुँह बना कर गाड़ी की पिछली सीट पर बैठ गयी नेहा भी उसके साथ जा बैठी और वो घर जा पहुँचे
घर आकर नेहा ने सर से कहा," सिर मुझे कु्छ मेथ के सवाल समझने हैं मेडम ने वो छुडा दिए आप समझा सकते हैं क्या?
शमशेर: क्यूँ नही, कभी भी!
नेहा: सर, अभी आ जाउ!
शमशेर:उपर आ जाओ!
दिशा को सर के लिए चाय बनानी थी पर नेहा को अपने सर के पास अकेले जाने देना ठीक नही लगा वो वाणी से बोली," वाणी तू चाय बना देगी क्या? मैं भी समझ लूँगी सवाल!
हां दीदी क्यूँ नही!
शमशेर: होली खेल रहा हूँ दिखता नही क्या वो हँसने लगा नेहा की तो जैसे सिटी बज गयी हालाँकि दिशा के सामने वो यौवन और सुंदरती में वो फीकी लगती थी पर उसको हज़ारों में एक तो कहा ही जा सकता था
नेहा: ना हिली ना बोली बस जड़ सी खड़ी रही उसका एक यार था गाँव में केयी बार मौका मिलने पर उसकी चुचियाँ मसल चुका था, पर सर के हाथों की बात ही कु्छ और थी
शमशेर ने फिर उसके चूतड़ो पर थपकी दी, ये थपकी थोड़ी कड़क थी, नेहा सिहर गयी और उसके मुँह से निकला,"आ सस्स..इर्ररर!"
शमशेर: क्या हुआ? उसको पता था हौले-हौले जवानी को तडपा-तडपा कर उसका रस पीने का मज़ा ही अलग है
नेहा: सर.. कु्छ नही. उसका दिल कर रहा था जैसे सर उसके सारे शरीर में ऐसे ही सूइयां सी चुभोते रहे
शमशेर: कु्छ नही तो जाओ फिर!
नेहा कु्छ ना बोली, एक बार तरसती निगाहों से शमशेर को देखा और वही खड़ी रही
शमशेर समझ रहा था की अब इसका पानी निकलने ही वाला है वो चाहता तो वहाँ कु्छ भी कर सकता था, पर उसको डर था की ये दिशा की सहेली है, उसको बता दिया तो उसकी मदमस्त जवानी हाथ से निकल सकती थी
शमशेर ने कहा," दिशा से कह देना, हां में उससे नाराज़ हूँ!
नेहा का जाने का मॅन तो नही था पर इस बार वो नही रुकी...
नेहा शमशेर की आँखों में वासना देख चुकी थी कु्छ भी हो उससे कु्छ भी बुरा नही लगा था लॅब से निकलते हुए उसकी आँखो की खुमारी को सॉफ-सॉफ पढ़ा जा सकता था उसकी चुचियाँ कस-मसा रहा थी बुरी तरह उनका हाल ऐसा हो रहा था जैसे बरसों से पिंजरे में क़ैद कबूतर आज़ाद होने के लिए फड्फाडा रहे हों वह बाथरूम में गयी और अपनी चूत को कुरेदने लगी वो बुरी तरह लाल हो रही थी नेहा ने अपनी उंगली चूत में घुसा दी "आ...आह" उसकी आग और भड़क उठी वह दिशा को सिर की कामुक छेड़ छाड़ के बारे में बताना चाहती थी पर उसको पता था दिशा को ये बातें बहुत गंदी लगती थी कहीं उसकी सहेली उससे नाराज़ ना हो जाए यही सोचकर उसने दिशा को कु्छ भी ना बताने का फ़ैसला कर लिया चूत में घुसी उंगली की स्पीड तेज होती चली गयी और आनंद की चरम सीमा पर पहुच कर वो दीवार से सटकर हाँफने लगी
क्लास में गयी तो उसका बुरा हाल था नेहा को बदहवास सी देखकर दिशा के मॅन में जाने क्या आया," कहाँ थी इतनी देर?"
नेहा: बाथरूम में गयी थी
दिशा: इतनी देर?
नेहा: अरे यार, फ्रेश होकर आई हूँ, सुबह नही जा पाई थी
दिशा: सर के पास गयी थी?
नेहा: हां, पर वहाँ से तो १ मिनट में ही आ गयी थी नेहा ने झूठ बोला!
दिशा: क...क्या सर.... क्या बोले सर जी
नेहा: हां वो नाराज़ हैं!
दिशा: पर क्यूँ?
नेहा: मुझे क्या पता, ये या तो तू जाने या तेरे प्यारे सर जी! नेहा ने आखरी शब्दों पर ज़्यादा ही ज़ोर डाला
दिशा: एक बात बता, तेरा फॅवुरेट टीचर कौन है?
नेहा: क्यूँ?
दिशा: बता ना... प्लीज़
नेहा: वही जो तेरे हैं... सबके हैं... सभी की ज़ुबान पर एक ही तो नाम है आजकल!
दिशा जल सी गयी," क्यूँ मैने कब कहा! मेरा फॅवुरेट तो कोई नही है
नेहा: फिर मुझसे क्यूँ पूछा
चल छोड़ छुट्टी होने वाली है
छुट्टी के बाद दिशा ने देखा वाणी सर की गाड़ी के पास खड़ी है दिशा ने उसको चलने को कहा
वाणी: मैं तो गाड़ी में आउन्गि सर के साथ!
दिशा: चल पागल! तुझे शरम नही आती
वाणी: मुझे क्यूँ शरम आएगी. अपनी....
तभी शमशेर गाड़ी के पास पहुँच गया
वाणी: सर दीदी कह रही है तुझे सर की गाड़ी में बैठते हुए शरम नही आती इतनी अच्ची गाड़ी तो है....
शमशेर: जिसको शरम आती है वो ना बैठें! गाड़ी को अनलॉक करते हुए उसने कहा
वाणी खुश होकर अगली सीट पर बैठ गयी
शमशेर ने गाड़ी स्टार्ट की और दिशा की और देखा वा मुँह बना कर गाड़ी की पिछली सीट पर बैठ गयी नेहा भी उसके साथ जा बैठी और वो घर जा पहुँचे
घर आकर नेहा ने सर से कहा," सिर मुझे कु्छ मेथ के सवाल समझने हैं मेडम ने वो छुडा दिए आप समझा सकते हैं क्या?
शमशेर: क्यूँ नही, कभी भी!
नेहा: सर, अभी आ जाउ!
शमशेर:उपर आ जाओ!
दिशा को सर के लिए चाय बनानी थी पर नेहा को अपने सर के पास अकेले जाने देना ठीक नही लगा वो वाणी से बोली," वाणी तू चाय बना देगी क्या? मैं भी समझ लूँगी सवाल!
हां दीदी क्यूँ नही!
बॅग से अपना मेथ और रिजिस्टर निकाल कर दोनों सीधी उपर गयी ये क्या? सर ने तो कमरे को बिल्कुल शहरी स्टाइल का बनवा दिया था कमरे में ए.सी. लगवा दिया था
दिशा के मुँह से निकला,"ये कब हुआ?"
शमशेर ने उसकी तरफ ना देखते हुए कहा," घबराओ मत बिजली का बिल मैं पे करूँगा!" मैने अंकल से बात कर ली है
दिशा ने अपनी बात का ग़लत मतलब निकलते देख मुँह बना लिया और सर के सामने बेड पर बैठ गयी
नेहा पर तो दिन वाली मस्ती छाई हुई थी वा सर के बाजू में इस तरह बैठी की उसकी जाँघ सर के पंजों पर रखी हुई थी दिशा को ये देख इतना गुस्सा आया की वो नीचे जाकर २ कुर्सियाँ उठा लाई और खुद कुर्सी पर बैठकर बोली," नेहा यहाँ आ जाओ! यहाँ से सही दिखेगा"
नेहा को उससे बड़ा डर लगता था वो समझ गयी की उसने जाँघ को सिर के पंजे के उपर देख लिया है वो चुप चाप उठी और कुर्सी पर जाकर बैठ गयी
शमशेर ने अजीब नज़रों से दिशा को देखा और उन्हे सवाल समझने लगा
वाणी जब चाय लेकर आई तो कमरे की ठंडक देखकर उछल पड़ी!,"वा, सर ए.सी." मैं भी अपनी किताबें लेकर उपर आती हूँ कहकर वो दौड़ती हुई नीचे चली गयी! उसने स्कूल ड्रेस निकाल कर स्कर्ट और टॉप पहन लिया था नव यौवन कयामत ढा रहा था जाने अंजाने वो शमशेर की साँसों में उतरती जा रही थी
थोड़ी देर बाद वह आई और बेड पर बैठकर पढ़ने लगी ए.सी. की ठंडक में नींद आना स्वाभाविक था वाणी बोली," सर जी, मुझे नींद आ रही है थोड़ी देर यही सो जाउ"
"हां हां क्यूँ नही! अपना ही घर है शमशेर ने चुटकी ली
वाणी जल्द ही गहरी नींद में सो गयी दिशा ने देखा उसका स्कर्ट जांघों पर काफ़ी उपर तक चढ़ गया है पर सर से शरमाने के कारण वो कुछ नही बोली
शमशेर ने एक एक्सर्साइज़ पूरी करवाने के बाद बोला, आज बहुत हो गया इनकी प्रॅक्टीस कर लेना बाकी कल करेंगे
दिशा का वहाँ से जाने का मॅन नही कर रहा था सच कहें तो दिशा को वो सारे सवाल आते थे पर सर के साथ बैठने का आनंद लेने के लिए और अपने सर की नेहा से रखवाली करने के इरादे से वो वहाँ आई थी पर अब क्या करती वो वाणी को उठाने लगी पर वाणी नींद में ही बोली," नही दीदी, मुझे यहीं सोना है! और उसने पलटी लेकर एक हाथ सिर की गोद में रख लिया
शमशेर: सोने दो इसको! उठ कर अपने आप आ जाएगी फिर दिशा क्या बोलती दिशा और नेहा अनमने मॅन से नीचे चली गयी
शमशेर ने देखा, वाणी गहरी नींद में सो रही है, उसका स्कर्ट पहले से भी ज़्यादा उपर उठ गया है
उसकी कोमल गोल-गोल जांघे और यहाँ तक की उसकी सफेद कच्छि भी सॉफ दिख रही थी शमशेर ने उसके हाथ को आराम से उठाया और बेड पर उसके नज़दीक ही सीधा लेट गया....
दिशा नेहा को छोड़ने गेट तक आई वो विचलित सी थी कही वाणी जानबूझकर तो सर के.... छ्हि छि, वह भी क्या सोचने लगी अपनी छोटी बहन के बारे में; वो तो कितनी नादान है और मुँहफट इतनी की अगर उसके मॅन में कुछ भी होता तो मुझे ज़रूर बताती अभी 2 महीने पहले जब एक लड़का उसको इशारा करके खेत के कमरे में बुला रहा था तो वो तो उस इशारे का मतलब भी ना समझी थी घर आते ही सारी रामायण सुना दी थी मुझे फिर मैने ही तो उसको मना किया था किसी को कुछ बताने के लिए वो तो क्लास में ही अनाउन्स करने वाली थी कितनी भोली है बेचारी...
उसकी मामी पड़ोस से नही आई थी कहीं आने के बाद वो उसको ना डाटे वाणी को उपर सोने देने के लिए, पर सर के सामने तो उसकी ज़ुबान ही ना खुलती थी, फिर वो इतनी बड़ी बात सर के सामने वाणी को कैसे कहती!
फिर भी उसको डर सा लग रहा था
उधर शमशेर के हाथ में वाणी के रूप में ऐसा लड्डू आया हुआ था जिसको ना खाते बन रहा था ना छोड़ते उसने वाणी के चेहरे की और देखा दुनिया जहाँ की मासूमियत उसके चेहरे से झलक रही थी कितने प्यारे गुलाबी होंट थे उसके दूध जैसी रंगत उसके बदन को चार चाँद लगा रही थी वह बैठ गया और वाणी की तरफ प्यार से देखने लगा वो अपने सर के पास ऐसे सोई हुई थी जैसे उसका अपना ही कोई सगा हो कुछ ही दिनों में कितना अधिकार समझ लिया था उसने शमशेर पर उसकी नज़र वाणी की चुचियों पर पड़ी, जैसे दिशा की चुचियों का छोटा वर्षन हो बंद गले का टॉप होने की वजह से वो उनको देख तो नही पाया, पर उनके आकर और कसावट को तो महसूस कर ही सकता था केले के तने जैसी चिकनी टाँगे उसके सामने नंगी थी कितनी प्यारी है वाणी.... अफ... शमशेर के अंदर और बाहर हलचल होने लगी उसने लाख कोशिश की कि वाणी से अपना दिमाग़ हटा ले पर आगे पड़ी कयामत से उसका ईमान डोल रहा था लाख कोशिश करने के बाद भी जब उससे रहा ना गया तो उसने धीरे से वाणी को पुकार कर देखा,"वाणी!" पर वा तो सपनों की दुनिया में थी शमशेर ने दिल मजबूत करके उसकी छतियो पर हाथ रख दिया क्या मस्त चुचियाँ पाई हैं जो भी इस फल को पकने पर खाएगा, कितना लकी होगा शमशेर ने चुचियों पर से हाथ हटा लिया और धीरे-धीरे करके उसके स्कर्ट को उपर उठा दिया शमशेर का दिमाग़ भनना गया पतली सी सफेद कच्छि में क़ैद वाणी की चिड़िया जैसे जन्नत का द्वार थी शमशेर से इंतज़ार नही हुआ और उसने लेट कर उसकी प्यारी सी चूत पर अपना हाथ रख दिया ऐसा करते हुए उसके हाथ काँप रहे थे जैसे ही उसने वाणी की चूत पर कच्छि के उपर से हाथ रखा वो नींद में ही कसमसा उठि शमशेर ने तुरंत अपना हाथ वापस खीच लिया, वाणी ने एक अंगड़ाई ली और शमशेर के मर्दाने जिस्म पर नाज़ुक बेल की तरह लिपट गयी उसने अपना एक पैर शमशेर की टाँगों के उपर चढ़ा लिया.. इस पोज़िशन में शमशेर का हाथ उसकी चूत से सटा रह गया शमशेर की हालत खराब होने लगी हालाँकि शमशेर मानता था की वो आखरी हद तक कंट्रोल कर सकता है इसी आदत से वो तडपा तडपा कर औरतों को अपना शिकार बनाता था यही उसमें छिपि कशिश का राज थी पर वाणी के मामले में कंट्रोल की वह हद मानो मीलों पिछे छूट गयी थी अचानक सीढ़ियो पर आती आवाज़ ने उसको वही का वही जड़ कर दिया वाणी को अपने से दूर हटाने का मौका भी उसके पास नही था वो जैसे था उसी पोज़िशन में आँखें बंद करके लेटा रहा
उपर आने वाले कदम दिशा के थे, उसकी मामी अब आने ही वाली होगी, ये सोचकर वो वाणी को उठाने आई थी अंदर का सीन देखकर दिशा का दिल धड़कने लगा वाणी शमशेर से लिपटी मज़े से सो रही थी एक पल के लिए उसके दिल में आया, काश.... और सोचने भर से ही वो शर्मा गयी फिर सोचने लगी, इसमें सर की क्या ग़लती है वो तो सीधे सो रहे हैं वाणी की ही ये आदत है, मेरे साथ भी यह ऐसे ही कुंडली मार कर सोती है
पर सर तो मर्द हैं; उनके साथ तो... कितनी बड़ी हो गयी है; इसमें तो अकल ही नही है वह वाणी की तरफ बेड पर गयी, पहले प्यार से उसका स्कर्ट ठीक किया फिर उसके चुतड़ो पर हाथ मारा," वाणी!"
वाणी आँख मलते हुए उठी और दिशा को देखने लगी जैसे पहचानने की कोशिश कर रही हो
"वाणी, चल नीचे!"
नही दीदी मैं यहीं रहूंगी, सर के साथ शमशेर सब सुन रहा था
दिशा ने धीरे से वाणी को झिड़का, "चलती है या दू एक कान पे.." कहकर वो वाणी को ने की कोशिश करने लगी वाणी शमशेर के उपर गिर पड़ी और उसे कसकर पकड़ लिया." ताकि दिशा उसको खीच ना सके
वाणी की चुचियाँ शमशेर की छाति पर लगकर टेनिस बॉल की तरह पिचाक गयी शमशेर को जैसे भगवान मिल गया हो
दिशा की हालत अजीब हो गयी, क्या करे? सर जाग गये तो तमाशा होगा
उसने वाणी के कान में कहा, तुझे सर की बहुत अच्छि बात बतानी है, जल्दी आ!"
"सच" सर की तो वो फॅन थी! रूको मैं सर को उठा दूं. वाणी फिर से सर के लगभग उपर लेटी और ज़ोर से कान में कहा," सर जी!"
आज वाणी ने दिशा को ये दिखाने के लिए की वो सच कह रही थी की सर को कुंभकारण की तरह उठाना पड़ता है; बहुत ज़ोर से चीखी शमशेर को लगा उसके कान का परदा फ़ान्ट जाएगा वो एक दम चौंक पड़ा, फिर उठ बैठा
सर के उठने का ये तरीका देखकर दिशा खुद को खिल-खिलाकर हँसने से ना रोक पाई
उसकी मधुर हँसी पर शमशेर फिदा हो गया पहली बार उसने दिशा को इस तरह हंसते देखा था सर को अपनी और एक-टक देखता पाकर वो शर्मा गयी
" सर, मैं वो वाणी को उठाने आई थी दिशा के चेहरे पर अब भी मुस्कान थी
शमशेर: और मुझे किसने उठाया
वाणी: मैने सर जी, और वो शमशेर के गले से लिपट गयी
दिशा सोच रही थी की काश, कम से कम एक बार वो भी ऐसे ही सर से लिपट सके
शमशेर ने प्यार भारी पप्पी वाणी के गालों पर दी और बोला "जाओ वाणी!" और मेरे लिए तुम ही चाय लेकर आना
शमशेर का मूड तननाया हुआ था वह अंजलि के पहलू में जाने का रात तक का वेट नही कर सकता था उसने कपड़े बदले और अंजलि के पास पहुँच गया
उधर दिशा वाणी को नीचे ले गयी. वाणी ने कहा "दीदी उपर कितनी ठंड थी इतनी मीठी नींद आई की बस पुछो ही मत मैं तो रात को वहीं सोऊ गी""तू पागल है क्या?" "देख मामा मामी को बिल्कुल पता नही चलना चाहिए की तू उपर सो गयी थी वरना वो हमें कभी उपर नही जाने देंगे" दिशा ने उसको समझाते हुए कहा
"क्यूँ दीदी?" वाणी ने अचरज से पूछा
"देख मैं तुझे डीटेल में तो बता नही सकती लेकिन इतना समझ ले की बड़ी होने पर लड़की को अपना ख्याल रखना चाहिए लड़कों के साथ अकेले नही रहना चाहिए" दिशा ने कहा
वाणी: पर तुम तो हमेशा कहती हो की अभी मैं छोटी हूँ तो मैं बड़ी कैसे हुई
दिशा: हां वैसे तो तुम छोटी हो पर... दिशा को समझ नही आ रहा था वो वाणी को कैसे बताए की वो किस लिहाज से बड़ी हो गयी है." बस तू इतना समझ ले की मैं हम दोनों के भले के लिए कह रही हूँ"
वाणी के मॅन में अपराध बोध आ गया," तो दीदी मैने कुछ कर दिया" वो रॉनी सूरत बनाकर बोली
दिशा: नही वाणी, तूने कुछ ग़लत नही किया बस इतना समझ ले घर वालों को बाहर के लड़कों के साथ हमारा रहना बुरा लगेगा
वाणी: लेकिन दीदी! सर कौन सा बाहर के हैं, वो तो अपने हैं ना!
दिशा ने वाणी को अपनी छाति से चिपका लिया शमशेर का चेहरा उसके सामने घूम गया," हां छुटकी, सर तो अपने ही हैं." उसकी आँखों से आँसू टपक पड़े
शमशेर के आने के बाद दिशा में ज़मीन आसमान का फ़र्क़ आ गया था लड़के रूपी मक्खियों को अपनी नाक पर ना बैठने देने वाली दिशा आज शमशेर की दासी हो चली थी उसके भी मॅन में था की वो शमशेर को वाणी की तरह ही सिने से चिपका ले दिनों-दिन उसका खुमार बढ़ता ही जा रहा था उसको अब भी ये महसूस होता था कि सर उससे नाराज़ हैं और उसको गुस्सैल लड़की समझते हैं इसीलिए तो मुझसे इस तरह बात नही करते जैसे औरों से करते हैं उसको क्या मालूम था शमशेर भी उसी की माला जप रहा है आजकल
निर्मला के आने के बाद जब वाणी सर को चाय देने गयी तो सर वहाँ नही मिले वाणी का भी सर के बगैर दिल नही लगता था पर जिस बात को उसको मम्मी पापा से छुपाना था, वही बात उसके मॅन में बैठ गयी वो जान-ना चाहती थी की ऐसा क्यूँ है कि बाहर के लड़कों के पास नही जाना चाहिए पर किसी ने उसको नही बताया ये तो मानव का स्वाभाव है की जिस बात से उसको रोका जाए, वही करने में उसको आनंद मिलता है
रात को करीब 7:00 बजे शमशेर वापस आया अंजलि की तो वो खुजली मिटा कर आया था पर उसकी भूख बढ़ती ही जा रही थी रोटियों की भूख मिठाई खाने से कम नही होती वो तो अब दिशा का भूखा था थोड़ी देर नीचे मामा मामी के साथ बैठकर वो उपर चला गया वाणी भी साथ ही चली गयी उसके मम्मी पापा को अब किसी बात की चिंता नही थी शमशेर की तरफ से तो वो दिशा का लिए भी निश्चिंत थे दिशा शायद इसीलिए घबराती थी क्यूंकी उसके मॅन में चोर था...प्यार का चोर.....शमशेर!

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