मस्ती की पाठशाला - एक रोमाचंक कहानी भाग-20
अगले दिन लगभग सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा गौरीने
सपने में देखा था.. सभी नहा धोकर तैयार हुए और बाहर
घूमने के लिए निकल गये.. सबने जी भर कर मस्ती की..
अपने-अपने तरीके से...
रत के करीब ९:३० बजे थे, टफ प्यारी मैडम के कमरे में
गया, "अंजलि जी, आपको सुनील भाई बुला रहे हैं.." अंजलि को पता था.. सुनील क्यों बुला रहा है... वह
शर्माती हुयी सी उठी, "वह खुद नहीं आ सकते थे.."
कहकर कमरे से बाहर निकल गयी...
अंजलि के बाहर जाते ही टफ ने दरवाजा बंद कर दिया..
प्यारी यह देखकर घबरा सी गयी, "ये क्या कर रहे हो.. ?
वो अभी आ जायेगी.." टफ ने प्यारी की बाँह पकड़ कर अपनी और खींच लिया,
"आंटी जी.. !" कोई नहीं आयेगा अब.. ! समझो मैंने रूम
शिफ्ट कर लिया है.. अब तीनो दिन ऐश होगी.. !
क्या सच में.. ! वो सुनील के पास रहेगी..?
टफ ने प्यारी को पलट कर उसकी गांड पर अपने दाँत
गढा दिये..., "और क्या तुम ही मजे ले सकती हो... ! अंजलि की चूत में खुजली नहीं हो सकती.. ?"
प्यारी अपनी गांड पर भरे गये टफ के जोरदार 'बुडके' से
तिलमिला सी गयी.., "आआअयीईइ अपनी माँ की..
तुझे दर्द देने में मजा आता है क्या..." मैं तो अंजलि से यूँही डरती थी.. अगर मुझे पता होता की वो भी.. तो मैं
बस में ही ना खा लेती तेरा... टफ उसको गरम करनेमैं लग गया.. वो सरिता का वेट कर
रहा था...
किसी तरह लड़कियों से बच-बचाकर सरिता राकेश के
कमरे में भाग गयी थी और अब जाकर वहाँ से
निकली थी.. राकेश बाहर शिकार की तलाश में
मंडरा रहा था "भैया तुम्हे कोई बुला रहा है, तुम्हारे कमरे मैं... !
"सरिता ने उसको यूँही कह दिया.. ताकि वो अपने
कमरे में जाये और सरिता टफ के कमरे में घुस सके...
"कौन.. ?"
"जाकर खुद ही देख लो" सरिता ने शैतानी के साथ
मुस्कुराते हुए कहा..... राकेश को लगा जरूर कोई लड़की होगी.. वह जल्दी से
अपने कमरे की और गया.. उम्मीदें बाँधें... राकेश अपने कमरे की और गया.. पर उसको कोई दिखाई
ना दिया... कौन हो सकता है.. शायद दिव्या ना हो..!" ये
सोचकर वह एक-एक कमरे को खुलवा कर
दिव्या को ढूँढने लगा.. एक कमरे में
उसको दिव्या मिल गयी.., "तुम्हे अंजलि मैडम
बुला रही हैं दिव्या... !" दिव्या उठकर उसके साथ बाहर निकल गयी..
एक कोने में जाते ही राकेश ने उसको पकड़ लिया, "मैं
ही बुला रहा था दिव्या.... !"
राकेश बिना एक पल भी गँवाये दिव्या को लगभग
खींचता हुआ अपने कमरे में ले गया...
"ये सब क्या था.. ?" दिव्या खिल-खिलाकर हँसने लगी....
राकेश तो पहले से ही शिकार की ताक में घूम रहा था..
दिव्या की खिल-खिलाहट में स्वीकृति सी पाकर
उसने दिव्या को लपक ही लिया अपनी बाँहों में.. और
उनके बीच प्यार का खेल एक बार फिर शुरू हो गया.. पर
इस बार कोई चीटिंग नहीं थी.. सब कुछ दिव्या की मर्जी से हो रहा था.. उसकी आँखों के
सामने.. !
उधर टफ के दरवाजे पर दस्तक हुयी, प्यारी चौंक कर
अपने आपको समेटने लगी.. वो अपना कमीज और
ब्रा निकाल चुकी थी उसकी मोटी-मोटी कसी हूई
चुचियाँ टफ के थूक से गीली हो रखी थी.., "कौन है.. ? जल्दी हटो ! मैं बाथरूम में जाती हूँ.. !"
टफ ने खींच कर उसको बेड पर ही गिरा दिया..
"यहीं लेटी रहो मेरी जान, तेरी ही औलाद है मैंने
बुलाया था.."
प्यारी शर्म से लाल हो गयी, "तो क्या तू मुझे
मेरी बेटी के सामने ही चोदेगा..?" वो बेड पर ही बेशर्म होकर पड़ी रही...
टफ दरवाजे की चटकनी खोलते ही प्यारी की और घूम
गया, "अरे नहीं.. तू तो आधी बात कह रही है..
तेरी बेटी को भी चोदुंगा तेरे सामने.. !" उसनेप्यारी के
चेहरे की ओर देखा.. उसकी आँखें जम गयी थी दरवाजे पर..
टफ ने दरवाजा खोल दिया.. सरिता ने मम्मी को देख कर चौंकने का नाटक किया, "मम्मी, तुम..?"
"चिंता मत करो प्रिये.. !
सबको सबका हिस्सा मिलेगा.. कूल डाउन बेबी.. !" टफ
ने झटके के साथ सरिता को अपनी गोद में उठा लिया..
प्यारी भी अब खुल कर हँस रही थी.. शर्म को खूँटी पर
टाँग कर.. ! दरवाजा बंद हो गया......
अभी तक टफ ने अपना कुछ
नहीं निकाला था वो सरिता के आने का ही वेट कर
रहा था.. सरिता के आने के बाद वो प्यारी से अलग
हो गया था.. प्यारी दोनों हाथों से अपनी चूचियाँ ढकने
की कोशिश कर रही थी.. पर इतनी बड़ी चूचियाँ दाँयें-
बाँयें से निकल कर उसके प्रयासों का मजाक बना रही थी...
सरिता ने टफ के 'लोअर' की और देखा.. वहाँ ९०*
का एंगल बना हुआ था, "मम्मी.. ! तुम करोगी.. तो मैं
भी करूँगी.. ?" उसने तपाक से कहा.. टफ ने उसके मस्त
शरीर को देखा.. ऐसे ऊँचे नीचे रास्ते देखकर वो भगवन
को धन्यवाद देने लगा.., "हे भगवान.. ! मेरे कियेगये पापों की ऐसी मस्त सजा..! हैल टू यू डियर गोड.. !"
उसका एक हाथ सरिता की जाँघों के नीचे और
दूसरा उसकी कमर के ऊपर से उसकी छातियों को छू
रहा था.. सरिता ने अपनी आँखें मूँद ली.. टफ ने
उसको और ऊपर उठाया और बेड पर लिटा कर उसके
होंठों पर 'थैंक्स' रसीद कर दिया.. अपने होंटों से.. सरिता ने सिसक कर टफ को मजबूती से पकड़ लिया...
सरिता उछल कर टफ की गोद में जा चढी.. उसकी बाँहें
टफ के गले में थी और उसकी टाँगे टफ के दोनों और से
उसके पिछवाड़े पर कैंची मारे लिपटी हुयी थी..
सरिता को अपनी गांड के बीचों बीच टफ के लंड
की सपोर्ट मिल रही थी.. सरिता ने वासना के आवेग में टफ के होंटों पर काट लिया.. टफ चिल्ला पड़ा, "रुक
तो जा.. शांति कर ले.. अभी पता चल जायेगा.. दर्द कहते
किसको हैं....
प्यारी को लगा जैसे, सरिता जैसी हसीना के सामने
उसका बुढ़ापा टफ को लुभा नहीं पा रहा.. उसने कम्पटीशन
में रहने के लिए अपनी सलवार और पैंटी भी उतार फैंकी.., "इधर तो नजर डाल ले मेरे राजा...,"मैं
अभी बूढी नहीं हुयी.." वो अपनी चूत को फैला कर, टफ
को उसकी लाली दिखाई...
टफ की समझ में ही नहीं आ रहा था.. की शुरू कहाँसे करे..,
"अरे एक ही तो लंड है.. किस-किस की चूत में डालूँ एक
साथ.. थोड़ा वेट नहीं होता क्या.. ?" सरिता की चूत में टफ के मुँह से लंड और चूत सुनकर
गुदगुदी सी होने लगी.. चीटियाँ सी चलने लगी..
उसका हाथ अपने आप ही उन चीटियों को मसलने लगा..
सलवार के ऊपर से ही...
"ठीक है बड़ी से शुरू करता हूँ.. तुम अभी वेट करो..
इसकी आग बुझाकर ही तुम्हारा हाल पूछूँगा........ टफ बेड पर जाकर प्यारी देवी की जाँघों के बीच बैठ
गया वैसे तो उससे कभी कंट्रोल होता ही नहीं था.. पर
सरिता को जी भर कर गरम करने के इरादे से उसने सबर
करने की सोच ली.. पर सरिता तो पहले ही जल बिन
मछली की भाँति तड़प रही थी..
सरिता की नजर टफ पर गयी.. वो उसकी माँ की चूत
को जीभ से साफ कर रहा था.. सरिता को वो जीभ
अपनी चूत पर ही चलती महसूस हूई.. उसने झट से
अपनी सलवार और पैंटी उतार दी और बेड के कोनेपर
सीधी होकर पसर गयी, "मुझे भी ऐसे ही करो ना.."
अपनी चूत पर उँगली लगाकर उसने टफ की और इशारा करके कहा..
टफ अपना पिछवाड़ा ऊपर उठाये झुक कर प्यारी की चूत
को अपनी जीभ से काफी अन्दर तक चाट रहा था..
प्यारी हाथ नीचे किये अपनी बेटी के बाल नोच
रही थी.. सरिता को अपने से थोड़ी ही दूर टफ का लंड
पैंट में झूलता दिखाई दिया.. बाहर से ही उसकी मोटाई और लम्बाई का अंदाजा लग रहा था.. सरिता ने अपना हाथ
बढ़ाकर लंड को अपने काबू में कर लिया.. उसने लंड
को गोलों को भी ऊपर से पकड़ रखा था और
उसको बुरी तरह अपनी और खींच रही थी.. टफ ने उसके
दिल की बात सुन ली.. उसने उठकर अपनी पैंट
निकाली और सरिता के मुँह के पास लंड लटकाकर प्यारी को अपनी और खींच लिया.. सरिता ने अपने सर
के नीचे तकिया लगाकर लंड को अपने होंटों के कब्जे में
लेने में देरी नहीं की.. टफ तो जैसे सब कुछ भूल गया.. वह
अपनी जीभ बाहर निकाल कर पीछे गर्दन करके चल रहे
काम-युद्ध को देखने लगा..
प्यारी बीच अधर में ही लटक गयी.. उसने टफ की उँगली को अपनी गांड का रास्ता दिखाया और
उछलने लगी.. बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम.. !
अचानक जब टफ से सहन करना बर्दाश्त के बाहर
हो गया तो उसने अपना लंड सरिता के होंठों से
छीना और अपने सामने पड़ी चूत में सर्रर्र से घुसा दिया..
प्यारी की खुशी का कोई अंदाजा नहीं था.. वो सिसक रही थी और अपनी चूचियों को खुद ही मसल-मसल कर
ऊपर उठा रही थी ताकि टफ उन् पर भी ध्यान दे.. टफ
प्यारी को चोदते हुये अपनी चूत से
खेलती हुयी सरिता को देख रहा था.. सरिता की नजरें
अभी भी उसके लंड को नापने में लगी थी.. जैसे ही टफ लंड
बाहर निकाल कर अन्दर धकेलता, सरिता अपनी चूत में उँगली घुसा देती और फिर वापस निकाल लेती.. दिल
को ये समझाने के लिये की जैसे वही चुद रही हो..
सरिता का हाथ फ्री था.. उसको अपनी माँ की गांड मुँह
खोले दिखाई दी.. सरिता ने मौके का फायदा उठाया और
धीरे से अपनी ऊँगली आते जाते लंड के नीचे
अपनी माँ की गांड में घुसा दी.. लम्बे नाखून होने की वजह से उसकी गांड में नाखून चुभ गयाऔर प्यारी उछल पड़ी..,
"ये क्या कर रहा है.. गांड काट दी साले....... मर गयी मैं.. !
और उसकी चूत लपर-लपर बरस पड़ी..., "बस्स रहने दे..."
मार दिया... ! हाय.. मुझे छोड़, सरिता को चोद... मुझमें
क्या रखा है...?
टफ उसके ऊपर से हटा और सरिता को देखने लगा..
उसका लंड फ्री होते ही कल की प्यासी सरिता.. उसके
लंड पर टूट पड़ी.. माँ की चूत के रस में भीगा हुआ लंड
चखने में सरिता को और भी मीठा लगा...
सरिता तब तक अपना कमीज और ब्रा भी उतार
चुकी थी उसकी जाँघें उसकी चूत के रस से सनी पड़ी थी सरिता की आँखों में वासना का तूफ़ान तैर
रहा था..
टफ ने सरिता को खींच कर अपनी गोद में समेट
लिया... उसका शरीर तप रहा था.. उसने टफ की छाती में
अपने आपको छुपाने की कोशिश की.. टफ ने
उसकी जाँघों को प्यार से सहलाया जैसे बलि से पहले बकरे की आवभगत की जाती है, ठीक ऐसे ही.. !
सरिता टफ को भूखी नजरों से देख रही थी.. जैसे कह
रही हो.. उसका न. पहले क्यूँ नहीं लगाया... सरिता ने टफ
को इस तरह पकड़ लिया था जैसे वह आसमान में उसके
साथ लटक रही हो और छोड़ते ही निचे गिर जायेगी..
अब टफ ही उसको इस वासना के हवाई जहाज से उतार सकता था..
टफ की उँगलियों ने उसकी चूत से खेलना शुरू किया..
उसके होंठ सरिता को यहाँ-वहाँ चख रहे थे.. सरिता ने
अपनी एक चूची को उसके मुँह में भर दिया.. जैसे ही टफ
ने उसके निप्पल के दाने को चूसना शुरू किया.. वह
मिमियाने लगी.. उसने टफ के दुसरे हाथ को पकड़ कर अपनी चूत में ऊँगली घुसा ली.. मर्द का हाथ तो आखिर
मर्द का ही होता है.. सरिता बुरी तरह से काँप रही थी..
चूत में उँगली जाने पर सरिता तो अपनी चूचियाँ उसके
मुँह से निकाल कर उछल सी रही थी.. और कुछ का कुछ
बक रही थी.. , "मेरी अआह... माँ चोद दी... साले...
मुझी कब.." प्यारी अपनी बेटी का ये रूप देखकर हैरान थी.. उसको ये तो पता था की ये करवाती है.. पर ये
नहीं पता था की बिलकुल उसी पर गयी है....
अपनी बेटी का ये रूप देखकर प्यारी का दिल
किया की एक बार अपनी बेटी के साथ लेस्बियन गेम
खेल ले.. उसने झट से सरिता को अपने ऊपर खींच
लिया...
प्यारी ने जैसे ही सरिता को अपनी तरफ खींचा वह
निढाल होकर उसके ऊपर आ गिरी.. वैसे तो माँ बेटी का इस तरह प्यार से एक दूसरी से
चिपकना आम बात होती है.. पर यहाँ बात खास थी..
प्यारी ने पहली बार अपनी जाई बेटी को जवान होने के
बाद पहली बार सर से चोटी तक और चूत से गांड तक
नंगी देखा था.. सरिता तो वासना की आग में इस कदर
जल रही थी की उसने अच्छा बुरा सोचे बिना अपनी माँ का हाथ पकड़ा और अपनी जाँघों के बीच
दे दिया.. प्यारी अपने ही खून को इस तरह गरम देखकर
फूली नहीं समां रही थी.. वही चूचियाँ, वही मोटी गांड,
वही गदराया हुआ जिस्म और वही जाँघ.. !
सरिता बिलकुल उसी पर गयी थी.. प्यारी ने
उसकी चूत में ऊँगली डाल कर उसका तापमान चेक किया.. वह भट्टी की तरह तप रही थी.. रात से ही टफ
इसके कोयलों को हवा जो दे रहा था.. अँगुली अन्दर जाते
ही सरिता ने कसमसा कर अपने निप्पलस
को उमेठा और प्यारी की चूचियों से अपना मुँह
लगा दिया.. प्यारी ने अपनी टाँगे चौड़ी करके
सरिता को भी वैसा ही करने का इशारा किया.. सरिता ने तुंरत अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में
घुसा दी..
प्यारी ने सरिता को उल्टा कर के चूत को अपनी जीभ
का स्वाद देना शुरू कर दिया.. माँ बेटी का ये खेल देखने
लायक था.. और टफ निश्चिंत होकर देख रहा था..
आखिरकार ऊँट को पहाड़ के नीचे ही आना था.. प्यारी पूरी मस्ती से अपनी चूत में से निकली चूत
को खाने में लगी थी.. वो सरिता के मस्त मोटे
चूतडों को जैसे फाड़ कर एक दुसरे से अलग कर
देना चाहती थी.. दोनों माँ बेटी एक दूसरी को गन्दी से
गन्दी गालियाँ देकर अपने मन को शांत कर रही थी.. पर
सरिता को जैसे इससे संतोष नहीं हो रहा था.. वह बार- बार अपने चूतडों को पीछे धकेल कर अपनी माँ के चेहरे
पर मार रही थी.. लंड की प्यास भला जीभ से कैसे बुझती..
पर प्यारी अपनी तरफ से उसको चोदने में कोई कसर
नहीं छोड़ रही थी.. उसने अपनी ऊँगली अपनी चूत के
रस से भरी और सरिता की गांड में घुसा दी.. पर इससे
तो सरिता की आग और भड़कनी ही थी.. उसने अपने चूतड़ और ऊपर उठा दिए .. "माँ कुछ करो, कुछ मोटा दे
दो माँ....."
इतना मजा आज तक टफ को कभी नहीं आया था..
सरिता और प्यारी दोनों एक दुसरे के ऊपर नीचे ६९
की पोजीशन में पड़ी चूतों को जोर-जोर से अपने हाथों से
चोद रही थी.. प्यारी हाँफते हुए कह रही थी, "पूरा हाथ दे दे कमीनी.." दोनों इतनी ठंड में भी पसीने से नहायी हुई
थी...
वह अचानक हरकत में आया और
सरिता को अपनी बाँहों में उठाकर बाथरूम में ले गया..
प्यारी अवाक् सी देखती रह गयी..
बाथरूम में जाकर टफ ने जैसे ही सरिता को नीचे
उतारा सरिता उससे चिपक गयी.. टफ ने
उसको उठा कर वॉशबेसिन की साइड में स्लेब पर बिठा दिया.. सरिता ने आँखें बंद कर रखी थी..
उसका चेहरा अजीब तरह से चमक रहा था.. टफ ने
उसकी छातियों पर हाथ फेरा और अपना मुँह उनसे
लगा दिया.. हलके लाल रंग के निप्पलस तने हुए थे.. टफ
ने जब उनको चूसना शुरू किया तो सरिता का खुद पर
काबू पाना मुश्किल हो गया.. उसने हाथ झुका कर टफ के लंड को छूना चाहा पर वो उसकी पहुँच से बाहर था.. टफ ने
एक टाँग उठा कर स्लेब पर रख ली.. और सरिता के हाथ
में अपना हथियार पकड़ा दिया.. करीब ८" लंड को पाकर
सरिता को लग रहा था की आज तो उसकी जान
ही निकलेगी... सरिता अचरज से लगातार और उफनते
जा रहे लंड को देखती रही.. चुचियाँ जी भर कर चूसने के बाद टफ ने उसको नीचे उतरा और खुद स्लेब पर जाकर बैठ
गया..
टफ ने अपना लंड सरिता के हाथ में पकड़ा दिया,
"इसको चूसो मेरी जान.. !"
सरिता ने अपना मुँह खोल कर टफ के सुपाड़े पर रखा और
अपने होंटों में अन्दर तक लेकर इसे चूसा जेसे बच्चा लोलीपॉप चूसता है टफ को ऐसा लगा अगर उसने
लंड नहीं निकाला तो वह रुक नहीं पायेगा ये सोचकर टफ
ने उसको भी ऊपर चढा लिया.. ऊपर आते
ही सरिता को शीशे में अपनी चूचियों का तनाव
दिखाई दिया.. सच में इतनी सुन्दर तो वह
कभी नहीं लगी.. जितनी आज नंगी एक जवान मर्द के साथ आईने में खुद को देख कर उसमें आये इतने निखार
को देखकर वह महसूस कर रही थी..
टफ उसके जिस्म के हर हिस्से को चूम लेना चाहता था..
उसके होंटों और गालों से शुरू होकर
वो उसकी गोरी मस्त चूचियों को चाटता हुआ
सा उसकी नाभि तक आ चूका था.. सरिता को तो होश ही नहीं था.. वो तो और ऊपर
उठती जा रही थी ताकि जल्दी से उसके इस मर्द
आशिक को उसकी मंजिल, अपनी चूत तक
पहुँचा सके.. !
ज्यों ही टफ के होंट उसके हल्के सुनहरे बालों तक पहुँचे,
सरिता की आँखे बंद हो गयी और आने वाले आनंद को सोच कर पागल सी होने लगी.. उसका हाथ टफ के सर
को नीचे दबा रहा था.. जैसे ही टफ के होंट
उसकी अधखुली चूत की पंखुडियों तक पहुँचे..
उसकी चूत बरस पड़ी यौवन रस के साथ.. टफ इस रस
का इस्तेमाल अपने खास मकसद के लिए
करना चाहता था..
टफ ने सरिता के घुटने मोड़े और उसको अपने लंड
की और झुकाने लगा.. सरिता की चूत भी जैसे अपने
अन्दर उस खास हथियार को निगलने को नीचे
होती गयी और उस के सुपाड़े पर जाकर टिक गयी..
टफ झटके से घुसा देना चाहता था इसीलिये दबाव डालने
से पहले ही उसने सरिता को पीछे चूतडों से कस कर पकड़ लिया..
जैसे ही टफ ने उसको नीचे की तरफ खींचना शुरू
किया तो सरिता की चूत की 'हाँ' दर्द के मारे दिमाग
से निकल रही ना.. ना.. में बदल गयी.. इस असमंजस
को टफ ने अपने हाँथो से दबाव डाल कर दूर कर दिया..
उसकी चूत जैसे चिर सी गयी जब सुपाड़े ने अन्दर जाकर साँस ली.. टफ उसको बुरी तरह से चूमता हुआ तसल्ली देने
की कोशिश कर रहा था.. पर सरिता को उसकी हरकत
चूत में छुरी, मुँह में प्यार लग रही थी.. जैसे-जैसे
उसका दर्द कम होता गया.. वो अपने आप ही उस पर
बैठती चली गयी.. चिकनी होने की वजह से
उसको ज्यादा समय नहीं लगा अपने चूतडों को हिला- हिला कर अपनी चूत की दीवारों को लंड से सहलाने में...
टफ अब अपने हाथ उसकी गांड पर से हटाकर
उसकी जाँघो के नीचे ले आया और पीछे शीशे से
अपनी कमर सटा कर सरिता को जोर-जोर से ऊपर
नीचे करने लगा.. लंड संकरी चूत में आने-जाने से टफ
को इतना मजा आ रहा था.. जो आज तक नहीं आया.. वह तो हवस में दर्द देना ही सीखा था आज तक.. पर आज
पहली बार प्यार देकर और प्यार लेकर उसका तन और मन
बाग-बाग हो उठे थे..
अब सरिता भी वासना की पागलपन में अपने चूतड़ उठा-
उठा कर लंड पर मार रही थी.. शीशे में खुद
का चेहरा देखते-देखते वो और ज्यादा उत्तेजित होती जा रही थी.. वो धक्के जब तक जारी रहे जब तक
टफ का रस उसकी चूत में ना बहने लगा... इसके साथ
ही चूत में टफ का रस जाते ही वो भी तीसरी बार
अपनी योनी का बाँध तुड़वा बैठी और टफ से चिपक
गयी..
टफ उसको उठाकर बहार लेकर आया और आते ही उसको बेड पर लाकर पटक दिया.. वह फिर खुद
भी बेड पर जा चढा..
प्यारी एक हाथ से अपनी चूत को दुसरे हाथ से
अपनी चुचियों को मसल रही थी.. टफ का लंड ये सीन
देखकर फिर से अंगड़ाईयाँ लेने लगा..
सरता को उसने प्यारी के ऊपर सीधा करके इस तरह लिटाया की सरिता की गांड
की गोलाईयाँ प्यारी की चूत के ऊपर उससे
चिपकी हुयी थी... टफ अपने असली रूप में आ गया..
दोनों माँ बेटी अचरज से टफ को देख रही थी..
की आखिर क्या होने वाला है......
टफ ने तो जैसे अपनी जिंदगी के सारे सेक्स के अनुभवों को एक साथ ही सरिता और प्यारी की चूत में
डाल देना था.. उनकी चूत इतनी पास-पास थी की एक चूत
से दूसरी चूत में लंड के जाने का पता ही टफ
को नहीं लगता था... पता लगता था तो सिर्फ
सरिता और प्यारी की आवाजों से.. जिसकी चूत से
उसका लंड बाहर निकलता वो तड़प उठती और जिसकी चूत में वो जाता वो सिसक उठती..
सेक्स का ये वहशी रूप काफी देर तक चलता रहा... जब तब
तीनो एक दुसरे पर निढाल होकर नींद में लुढ़क
नहीं गये.....
अगले दिन लगभग सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा गौरीने
सपने में देखा था.. सभी नहा धोकर तैयार हुए और बाहर
घूमने के लिए निकल गये.. सबने जी भर कर मस्ती की..
अपने-अपने तरीके से...
रत के करीब ९:३० बजे थे, टफ प्यारी मैडम के कमरे में
गया, "अंजलि जी, आपको सुनील भाई बुला रहे हैं.." अंजलि को पता था.. सुनील क्यों बुला रहा है... वह
शर्माती हुयी सी उठी, "वह खुद नहीं आ सकते थे.."
कहकर कमरे से बाहर निकल गयी...
अंजलि के बाहर जाते ही टफ ने दरवाजा बंद कर दिया..
प्यारी यह देखकर घबरा सी गयी, "ये क्या कर रहे हो.. ?
वो अभी आ जायेगी.." टफ ने प्यारी की बाँह पकड़ कर अपनी और खींच लिया,
"आंटी जी.. !" कोई नहीं आयेगा अब.. ! समझो मैंने रूम
शिफ्ट कर लिया है.. अब तीनो दिन ऐश होगी.. !
क्या सच में.. ! वो सुनील के पास रहेगी..?
टफ ने प्यारी को पलट कर उसकी गांड पर अपने दाँत
गढा दिये..., "और क्या तुम ही मजे ले सकती हो... ! अंजलि की चूत में खुजली नहीं हो सकती.. ?"
प्यारी अपनी गांड पर भरे गये टफ के जोरदार 'बुडके' से
तिलमिला सी गयी.., "आआअयीईइ अपनी माँ की..
तुझे दर्द देने में मजा आता है क्या..." मैं तो अंजलि से यूँही डरती थी.. अगर मुझे पता होता की वो भी.. तो मैं
बस में ही ना खा लेती तेरा... टफ उसको गरम करनेमैं लग गया.. वो सरिता का वेट कर
रहा था...
किसी तरह लड़कियों से बच-बचाकर सरिता राकेश के
कमरे में भाग गयी थी और अब जाकर वहाँ से
निकली थी.. राकेश बाहर शिकार की तलाश में
मंडरा रहा था "भैया तुम्हे कोई बुला रहा है, तुम्हारे कमरे मैं... !
"सरिता ने उसको यूँही कह दिया.. ताकि वो अपने
कमरे में जाये और सरिता टफ के कमरे में घुस सके...
"कौन.. ?"
"जाकर खुद ही देख लो" सरिता ने शैतानी के साथ
मुस्कुराते हुए कहा..... राकेश को लगा जरूर कोई लड़की होगी.. वह जल्दी से
अपने कमरे की और गया.. उम्मीदें बाँधें... राकेश अपने कमरे की और गया.. पर उसको कोई दिखाई
ना दिया... कौन हो सकता है.. शायद दिव्या ना हो..!" ये
सोचकर वह एक-एक कमरे को खुलवा कर
दिव्या को ढूँढने लगा.. एक कमरे में
उसको दिव्या मिल गयी.., "तुम्हे अंजलि मैडम
बुला रही हैं दिव्या... !" दिव्या उठकर उसके साथ बाहर निकल गयी..
एक कोने में जाते ही राकेश ने उसको पकड़ लिया, "मैं
ही बुला रहा था दिव्या.... !"
राकेश बिना एक पल भी गँवाये दिव्या को लगभग
खींचता हुआ अपने कमरे में ले गया...
"ये सब क्या था.. ?" दिव्या खिल-खिलाकर हँसने लगी....
राकेश तो पहले से ही शिकार की ताक में घूम रहा था..
दिव्या की खिल-खिलाहट में स्वीकृति सी पाकर
उसने दिव्या को लपक ही लिया अपनी बाँहों में.. और
उनके बीच प्यार का खेल एक बार फिर शुरू हो गया.. पर
इस बार कोई चीटिंग नहीं थी.. सब कुछ दिव्या की मर्जी से हो रहा था.. उसकी आँखों के
सामने.. !
उधर टफ के दरवाजे पर दस्तक हुयी, प्यारी चौंक कर
अपने आपको समेटने लगी.. वो अपना कमीज और
ब्रा निकाल चुकी थी उसकी मोटी-मोटी कसी हूई
चुचियाँ टफ के थूक से गीली हो रखी थी.., "कौन है.. ? जल्दी हटो ! मैं बाथरूम में जाती हूँ.. !"
टफ ने खींच कर उसको बेड पर ही गिरा दिया..
"यहीं लेटी रहो मेरी जान, तेरी ही औलाद है मैंने
बुलाया था.."
प्यारी शर्म से लाल हो गयी, "तो क्या तू मुझे
मेरी बेटी के सामने ही चोदेगा..?" वो बेड पर ही बेशर्म होकर पड़ी रही...
टफ दरवाजे की चटकनी खोलते ही प्यारी की और घूम
गया, "अरे नहीं.. तू तो आधी बात कह रही है..
तेरी बेटी को भी चोदुंगा तेरे सामने.. !" उसनेप्यारी के
चेहरे की ओर देखा.. उसकी आँखें जम गयी थी दरवाजे पर..
टफ ने दरवाजा खोल दिया.. सरिता ने मम्मी को देख कर चौंकने का नाटक किया, "मम्मी, तुम..?"
"चिंता मत करो प्रिये.. !
सबको सबका हिस्सा मिलेगा.. कूल डाउन बेबी.. !" टफ
ने झटके के साथ सरिता को अपनी गोद में उठा लिया..
प्यारी भी अब खुल कर हँस रही थी.. शर्म को खूँटी पर
टाँग कर.. ! दरवाजा बंद हो गया......
अभी तक टफ ने अपना कुछ
नहीं निकाला था वो सरिता के आने का ही वेट कर
रहा था.. सरिता के आने के बाद वो प्यारी से अलग
हो गया था.. प्यारी दोनों हाथों से अपनी चूचियाँ ढकने
की कोशिश कर रही थी.. पर इतनी बड़ी चूचियाँ दाँयें-
बाँयें से निकल कर उसके प्रयासों का मजाक बना रही थी...
सरिता ने टफ के 'लोअर' की और देखा.. वहाँ ९०*
का एंगल बना हुआ था, "मम्मी.. ! तुम करोगी.. तो मैं
भी करूँगी.. ?" उसने तपाक से कहा.. टफ ने उसके मस्त
शरीर को देखा.. ऐसे ऊँचे नीचे रास्ते देखकर वो भगवन
को धन्यवाद देने लगा.., "हे भगवान.. ! मेरे कियेगये पापों की ऐसी मस्त सजा..! हैल टू यू डियर गोड.. !"
उसका एक हाथ सरिता की जाँघों के नीचे और
दूसरा उसकी कमर के ऊपर से उसकी छातियों को छू
रहा था.. सरिता ने अपनी आँखें मूँद ली.. टफ ने
उसको और ऊपर उठाया और बेड पर लिटा कर उसके
होंठों पर 'थैंक्स' रसीद कर दिया.. अपने होंटों से.. सरिता ने सिसक कर टफ को मजबूती से पकड़ लिया...
सरिता उछल कर टफ की गोद में जा चढी.. उसकी बाँहें
टफ के गले में थी और उसकी टाँगे टफ के दोनों और से
उसके पिछवाड़े पर कैंची मारे लिपटी हुयी थी..
सरिता को अपनी गांड के बीचों बीच टफ के लंड
की सपोर्ट मिल रही थी.. सरिता ने वासना के आवेग में टफ के होंटों पर काट लिया.. टफ चिल्ला पड़ा, "रुक
तो जा.. शांति कर ले.. अभी पता चल जायेगा.. दर्द कहते
किसको हैं....
प्यारी को लगा जैसे, सरिता जैसी हसीना के सामने
उसका बुढ़ापा टफ को लुभा नहीं पा रहा.. उसने कम्पटीशन
में रहने के लिए अपनी सलवार और पैंटी भी उतार फैंकी.., "इधर तो नजर डाल ले मेरे राजा...,"मैं
अभी बूढी नहीं हुयी.." वो अपनी चूत को फैला कर, टफ
को उसकी लाली दिखाई...
टफ की समझ में ही नहीं आ रहा था.. की शुरू कहाँसे करे..,
"अरे एक ही तो लंड है.. किस-किस की चूत में डालूँ एक
साथ.. थोड़ा वेट नहीं होता क्या.. ?" सरिता की चूत में टफ के मुँह से लंड और चूत सुनकर
गुदगुदी सी होने लगी.. चीटियाँ सी चलने लगी..
उसका हाथ अपने आप ही उन चीटियों को मसलने लगा..
सलवार के ऊपर से ही...
"ठीक है बड़ी से शुरू करता हूँ.. तुम अभी वेट करो..
इसकी आग बुझाकर ही तुम्हारा हाल पूछूँगा........ टफ बेड पर जाकर प्यारी देवी की जाँघों के बीच बैठ
गया वैसे तो उससे कभी कंट्रोल होता ही नहीं था.. पर
सरिता को जी भर कर गरम करने के इरादे से उसने सबर
करने की सोच ली.. पर सरिता तो पहले ही जल बिन
मछली की भाँति तड़प रही थी..
सरिता की नजर टफ पर गयी.. वो उसकी माँ की चूत
को जीभ से साफ कर रहा था.. सरिता को वो जीभ
अपनी चूत पर ही चलती महसूस हूई.. उसने झट से
अपनी सलवार और पैंटी उतार दी और बेड के कोनेपर
सीधी होकर पसर गयी, "मुझे भी ऐसे ही करो ना.."
अपनी चूत पर उँगली लगाकर उसने टफ की और इशारा करके कहा..
टफ अपना पिछवाड़ा ऊपर उठाये झुक कर प्यारी की चूत
को अपनी जीभ से काफी अन्दर तक चाट रहा था..
प्यारी हाथ नीचे किये अपनी बेटी के बाल नोच
रही थी.. सरिता को अपने से थोड़ी ही दूर टफ का लंड
पैंट में झूलता दिखाई दिया.. बाहर से ही उसकी मोटाई और लम्बाई का अंदाजा लग रहा था.. सरिता ने अपना हाथ
बढ़ाकर लंड को अपने काबू में कर लिया.. उसने लंड
को गोलों को भी ऊपर से पकड़ रखा था और
उसको बुरी तरह अपनी और खींच रही थी.. टफ ने उसके
दिल की बात सुन ली.. उसने उठकर अपनी पैंट
निकाली और सरिता के मुँह के पास लंड लटकाकर प्यारी को अपनी और खींच लिया.. सरिता ने अपने सर
के नीचे तकिया लगाकर लंड को अपने होंटों के कब्जे में
लेने में देरी नहीं की.. टफ तो जैसे सब कुछ भूल गया.. वह
अपनी जीभ बाहर निकाल कर पीछे गर्दन करके चल रहे
काम-युद्ध को देखने लगा..
प्यारी बीच अधर में ही लटक गयी.. उसने टफ की उँगली को अपनी गांड का रास्ता दिखाया और
उछलने लगी.. बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम.. !
अचानक जब टफ से सहन करना बर्दाश्त के बाहर
हो गया तो उसने अपना लंड सरिता के होंठों से
छीना और अपने सामने पड़ी चूत में सर्रर्र से घुसा दिया..
प्यारी की खुशी का कोई अंदाजा नहीं था.. वो सिसक रही थी और अपनी चूचियों को खुद ही मसल-मसल कर
ऊपर उठा रही थी ताकि टफ उन् पर भी ध्यान दे.. टफ
प्यारी को चोदते हुये अपनी चूत से
खेलती हुयी सरिता को देख रहा था.. सरिता की नजरें
अभी भी उसके लंड को नापने में लगी थी.. जैसे ही टफ लंड
बाहर निकाल कर अन्दर धकेलता, सरिता अपनी चूत में उँगली घुसा देती और फिर वापस निकाल लेती.. दिल
को ये समझाने के लिये की जैसे वही चुद रही हो..
सरिता का हाथ फ्री था.. उसको अपनी माँ की गांड मुँह
खोले दिखाई दी.. सरिता ने मौके का फायदा उठाया और
धीरे से अपनी ऊँगली आते जाते लंड के नीचे
अपनी माँ की गांड में घुसा दी.. लम्बे नाखून होने की वजह से उसकी गांड में नाखून चुभ गयाऔर प्यारी उछल पड़ी..,
"ये क्या कर रहा है.. गांड काट दी साले....... मर गयी मैं.. !
और उसकी चूत लपर-लपर बरस पड़ी..., "बस्स रहने दे..."
मार दिया... ! हाय.. मुझे छोड़, सरिता को चोद... मुझमें
क्या रखा है...?
टफ उसके ऊपर से हटा और सरिता को देखने लगा..
उसका लंड फ्री होते ही कल की प्यासी सरिता.. उसके
लंड पर टूट पड़ी.. माँ की चूत के रस में भीगा हुआ लंड
चखने में सरिता को और भी मीठा लगा...
सरिता तब तक अपना कमीज और ब्रा भी उतार
चुकी थी उसकी जाँघें उसकी चूत के रस से सनी पड़ी थी सरिता की आँखों में वासना का तूफ़ान तैर
रहा था..
टफ ने सरिता को खींच कर अपनी गोद में समेट
लिया... उसका शरीर तप रहा था.. उसने टफ की छाती में
अपने आपको छुपाने की कोशिश की.. टफ ने
उसकी जाँघों को प्यार से सहलाया जैसे बलि से पहले बकरे की आवभगत की जाती है, ठीक ऐसे ही.. !
सरिता टफ को भूखी नजरों से देख रही थी.. जैसे कह
रही हो.. उसका न. पहले क्यूँ नहीं लगाया... सरिता ने टफ
को इस तरह पकड़ लिया था जैसे वह आसमान में उसके
साथ लटक रही हो और छोड़ते ही निचे गिर जायेगी..
अब टफ ही उसको इस वासना के हवाई जहाज से उतार सकता था..
टफ की उँगलियों ने उसकी चूत से खेलना शुरू किया..
उसके होंठ सरिता को यहाँ-वहाँ चख रहे थे.. सरिता ने
अपनी एक चूची को उसके मुँह में भर दिया.. जैसे ही टफ
ने उसके निप्पल के दाने को चूसना शुरू किया.. वह
मिमियाने लगी.. उसने टफ के दुसरे हाथ को पकड़ कर अपनी चूत में ऊँगली घुसा ली.. मर्द का हाथ तो आखिर
मर्द का ही होता है.. सरिता बुरी तरह से काँप रही थी..
चूत में उँगली जाने पर सरिता तो अपनी चूचियाँ उसके
मुँह से निकाल कर उछल सी रही थी.. और कुछ का कुछ
बक रही थी.. , "मेरी अआह... माँ चोद दी... साले...
मुझी कब.." प्यारी अपनी बेटी का ये रूप देखकर हैरान थी.. उसको ये तो पता था की ये करवाती है.. पर ये
नहीं पता था की बिलकुल उसी पर गयी है....
अपनी बेटी का ये रूप देखकर प्यारी का दिल
किया की एक बार अपनी बेटी के साथ लेस्बियन गेम
खेल ले.. उसने झट से सरिता को अपने ऊपर खींच
लिया...
प्यारी ने जैसे ही सरिता को अपनी तरफ खींचा वह
निढाल होकर उसके ऊपर आ गिरी.. वैसे तो माँ बेटी का इस तरह प्यार से एक दूसरी से
चिपकना आम बात होती है.. पर यहाँ बात खास थी..
प्यारी ने पहली बार अपनी जाई बेटी को जवान होने के
बाद पहली बार सर से चोटी तक और चूत से गांड तक
नंगी देखा था.. सरिता तो वासना की आग में इस कदर
जल रही थी की उसने अच्छा बुरा सोचे बिना अपनी माँ का हाथ पकड़ा और अपनी जाँघों के बीच
दे दिया.. प्यारी अपने ही खून को इस तरह गरम देखकर
फूली नहीं समां रही थी.. वही चूचियाँ, वही मोटी गांड,
वही गदराया हुआ जिस्म और वही जाँघ.. !
सरिता बिलकुल उसी पर गयी थी.. प्यारी ने
उसकी चूत में ऊँगली डाल कर उसका तापमान चेक किया.. वह भट्टी की तरह तप रही थी.. रात से ही टफ
इसके कोयलों को हवा जो दे रहा था.. अँगुली अन्दर जाते
ही सरिता ने कसमसा कर अपने निप्पलस
को उमेठा और प्यारी की चूचियों से अपना मुँह
लगा दिया.. प्यारी ने अपनी टाँगे चौड़ी करके
सरिता को भी वैसा ही करने का इशारा किया.. सरिता ने तुंरत अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में
घुसा दी..
प्यारी ने सरिता को उल्टा कर के चूत को अपनी जीभ
का स्वाद देना शुरू कर दिया.. माँ बेटी का ये खेल देखने
लायक था.. और टफ निश्चिंत होकर देख रहा था..
आखिरकार ऊँट को पहाड़ के नीचे ही आना था.. प्यारी पूरी मस्ती से अपनी चूत में से निकली चूत
को खाने में लगी थी.. वो सरिता के मस्त मोटे
चूतडों को जैसे फाड़ कर एक दुसरे से अलग कर
देना चाहती थी.. दोनों माँ बेटी एक दूसरी को गन्दी से
गन्दी गालियाँ देकर अपने मन को शांत कर रही थी.. पर
सरिता को जैसे इससे संतोष नहीं हो रहा था.. वह बार- बार अपने चूतडों को पीछे धकेल कर अपनी माँ के चेहरे
पर मार रही थी.. लंड की प्यास भला जीभ से कैसे बुझती..
पर प्यारी अपनी तरफ से उसको चोदने में कोई कसर
नहीं छोड़ रही थी.. उसने अपनी ऊँगली अपनी चूत के
रस से भरी और सरिता की गांड में घुसा दी.. पर इससे
तो सरिता की आग और भड़कनी ही थी.. उसने अपने चूतड़ और ऊपर उठा दिए .. "माँ कुछ करो, कुछ मोटा दे
दो माँ....."
इतना मजा आज तक टफ को कभी नहीं आया था..
सरिता और प्यारी दोनों एक दुसरे के ऊपर नीचे ६९
की पोजीशन में पड़ी चूतों को जोर-जोर से अपने हाथों से
चोद रही थी.. प्यारी हाँफते हुए कह रही थी, "पूरा हाथ दे दे कमीनी.." दोनों इतनी ठंड में भी पसीने से नहायी हुई
थी...
वह अचानक हरकत में आया और
सरिता को अपनी बाँहों में उठाकर बाथरूम में ले गया..
प्यारी अवाक् सी देखती रह गयी..
बाथरूम में जाकर टफ ने जैसे ही सरिता को नीचे
उतारा सरिता उससे चिपक गयी.. टफ ने
उसको उठा कर वॉशबेसिन की साइड में स्लेब पर बिठा दिया.. सरिता ने आँखें बंद कर रखी थी..
उसका चेहरा अजीब तरह से चमक रहा था.. टफ ने
उसकी छातियों पर हाथ फेरा और अपना मुँह उनसे
लगा दिया.. हलके लाल रंग के निप्पलस तने हुए थे.. टफ
ने जब उनको चूसना शुरू किया तो सरिता का खुद पर
काबू पाना मुश्किल हो गया.. उसने हाथ झुका कर टफ के लंड को छूना चाहा पर वो उसकी पहुँच से बाहर था.. टफ ने
एक टाँग उठा कर स्लेब पर रख ली.. और सरिता के हाथ
में अपना हथियार पकड़ा दिया.. करीब ८" लंड को पाकर
सरिता को लग रहा था की आज तो उसकी जान
ही निकलेगी... सरिता अचरज से लगातार और उफनते
जा रहे लंड को देखती रही.. चुचियाँ जी भर कर चूसने के बाद टफ ने उसको नीचे उतरा और खुद स्लेब पर जाकर बैठ
गया..
टफ ने अपना लंड सरिता के हाथ में पकड़ा दिया,
"इसको चूसो मेरी जान.. !"
सरिता ने अपना मुँह खोल कर टफ के सुपाड़े पर रखा और
अपने होंटों में अन्दर तक लेकर इसे चूसा जेसे बच्चा लोलीपॉप चूसता है टफ को ऐसा लगा अगर उसने
लंड नहीं निकाला तो वह रुक नहीं पायेगा ये सोचकर टफ
ने उसको भी ऊपर चढा लिया.. ऊपर आते
ही सरिता को शीशे में अपनी चूचियों का तनाव
दिखाई दिया.. सच में इतनी सुन्दर तो वह
कभी नहीं लगी.. जितनी आज नंगी एक जवान मर्द के साथ आईने में खुद को देख कर उसमें आये इतने निखार
को देखकर वह महसूस कर रही थी..
टफ उसके जिस्म के हर हिस्से को चूम लेना चाहता था..
उसके होंटों और गालों से शुरू होकर
वो उसकी गोरी मस्त चूचियों को चाटता हुआ
सा उसकी नाभि तक आ चूका था.. सरिता को तो होश ही नहीं था.. वो तो और ऊपर
उठती जा रही थी ताकि जल्दी से उसके इस मर्द
आशिक को उसकी मंजिल, अपनी चूत तक
पहुँचा सके.. !
ज्यों ही टफ के होंट उसके हल्के सुनहरे बालों तक पहुँचे,
सरिता की आँखे बंद हो गयी और आने वाले आनंद को सोच कर पागल सी होने लगी.. उसका हाथ टफ के सर
को नीचे दबा रहा था.. जैसे ही टफ के होंट
उसकी अधखुली चूत की पंखुडियों तक पहुँचे..
उसकी चूत बरस पड़ी यौवन रस के साथ.. टफ इस रस
का इस्तेमाल अपने खास मकसद के लिए
करना चाहता था..
टफ ने सरिता के घुटने मोड़े और उसको अपने लंड
की और झुकाने लगा.. सरिता की चूत भी जैसे अपने
अन्दर उस खास हथियार को निगलने को नीचे
होती गयी और उस के सुपाड़े पर जाकर टिक गयी..
टफ झटके से घुसा देना चाहता था इसीलिये दबाव डालने
से पहले ही उसने सरिता को पीछे चूतडों से कस कर पकड़ लिया..
जैसे ही टफ ने उसको नीचे की तरफ खींचना शुरू
किया तो सरिता की चूत की 'हाँ' दर्द के मारे दिमाग
से निकल रही ना.. ना.. में बदल गयी.. इस असमंजस
को टफ ने अपने हाँथो से दबाव डाल कर दूर कर दिया..
उसकी चूत जैसे चिर सी गयी जब सुपाड़े ने अन्दर जाकर साँस ली.. टफ उसको बुरी तरह से चूमता हुआ तसल्ली देने
की कोशिश कर रहा था.. पर सरिता को उसकी हरकत
चूत में छुरी, मुँह में प्यार लग रही थी.. जैसे-जैसे
उसका दर्द कम होता गया.. वो अपने आप ही उस पर
बैठती चली गयी.. चिकनी होने की वजह से
उसको ज्यादा समय नहीं लगा अपने चूतडों को हिला- हिला कर अपनी चूत की दीवारों को लंड से सहलाने में...
टफ अब अपने हाथ उसकी गांड पर से हटाकर
उसकी जाँघो के नीचे ले आया और पीछे शीशे से
अपनी कमर सटा कर सरिता को जोर-जोर से ऊपर
नीचे करने लगा.. लंड संकरी चूत में आने-जाने से टफ
को इतना मजा आ रहा था.. जो आज तक नहीं आया.. वह तो हवस में दर्द देना ही सीखा था आज तक.. पर आज
पहली बार प्यार देकर और प्यार लेकर उसका तन और मन
बाग-बाग हो उठे थे..
अब सरिता भी वासना की पागलपन में अपने चूतड़ उठा-
उठा कर लंड पर मार रही थी.. शीशे में खुद
का चेहरा देखते-देखते वो और ज्यादा उत्तेजित होती जा रही थी.. वो धक्के जब तक जारी रहे जब तक
टफ का रस उसकी चूत में ना बहने लगा... इसके साथ
ही चूत में टफ का रस जाते ही वो भी तीसरी बार
अपनी योनी का बाँध तुड़वा बैठी और टफ से चिपक
गयी..
टफ उसको उठाकर बहार लेकर आया और आते ही उसको बेड पर लाकर पटक दिया.. वह फिर खुद
भी बेड पर जा चढा..
प्यारी एक हाथ से अपनी चूत को दुसरे हाथ से
अपनी चुचियों को मसल रही थी.. टफ का लंड ये सीन
देखकर फिर से अंगड़ाईयाँ लेने लगा..
सरता को उसने प्यारी के ऊपर सीधा करके इस तरह लिटाया की सरिता की गांड
की गोलाईयाँ प्यारी की चूत के ऊपर उससे
चिपकी हुयी थी... टफ अपने असली रूप में आ गया..
दोनों माँ बेटी अचरज से टफ को देख रही थी..
की आखिर क्या होने वाला है......
टफ ने तो जैसे अपनी जिंदगी के सारे सेक्स के अनुभवों को एक साथ ही सरिता और प्यारी की चूत में
डाल देना था.. उनकी चूत इतनी पास-पास थी की एक चूत
से दूसरी चूत में लंड के जाने का पता ही टफ
को नहीं लगता था... पता लगता था तो सिर्फ
सरिता और प्यारी की आवाजों से.. जिसकी चूत से
उसका लंड बाहर निकलता वो तड़प उठती और जिसकी चूत में वो जाता वो सिसक उठती..
सेक्स का ये वहशी रूप काफी देर तक चलता रहा... जब तब
तीनो एक दुसरे पर निढाल होकर नींद में लुढ़क
नहीं गये.....
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