Wednesday, 2 April 2014

masti ki pathsala - 5

मस्ती की पाठशाला - एक रोमाचंक कहानी  भाग -4
उधर छुट्टी के बाद घर जाते ही दिशा ने वाणी को उपर बुलाया वहाँ २ कमरे बने हुए थे जिनका कोई यूज़ नही होता था एक रूम की खिड़की से जीना पूरा दिखाई देता था दूसरा कमरा उससे अटॅच था जो बाहर की और भी खुलता था वाणी ने उपर आते ही बोला,"हां दीदी?" दिशा: यहीं रहेंगे ना अपने सर वाणी: हां, पर पापा से पू्छ तो ले

दिशा: तू पू्छ लेना ना

वाणी: पूच्छ लूँगी, पर तुझे क्या प्राब्लम है

दिशा: कुछ नही, पर तू ही पू्छ लेना जाने दिशा के मॅन में क्या चोर था वो वाणी को समझाने लगी की क्या और कैसे कहना है

वाणी: मैं ये भी बोल दूँगी की बहुत स्मार्ट हैं

दिशा: धात पगली, इसीलिए तो तेरे को समझा रही हूँ! स्मार्ट होने से पापा के मान जाने का क्या कनेक्शन उल्टा मना कर देंगे

वाणी: क्यूँ दीदी?

दिशा: अब तू ज़्यादा स्वाल जवाब ना कर जा बात कर ले पापा से ध्यान रखना मैने क्या कहा है

वाणी: ठीक है दीदी वाणी नीचे गयी अपने पापा के पास उसके पापा की उमर ५० के पार ही लगती थी खेती करते थे घर का काम ठीक ठाक चल रहा था मम्मी की उमर ४० के आस-पास होगी उसके पिता की ये दूसरी शादी थी वाणी जाकर पापा की गोद में सिर रखकर लेट गयी कु्छ देर बाद बोली," पापा, बड़ी मॅ'म पू्छ रही थी अगर हमारा उपर वाला मकान खाली हो किराए के लिए तो...

पापा: लेकिन बेटा उनके पास तो काफ़ी अच्च्छा घर है अभी वो खाली करवा रहे हैं क्या

वाणी: नही, अभी साइन्स के नये सर आए हैं उनके लिए चाहिए वाणी ने उनके चेहरे की और देखा कु्छ दिन पहले एक डॉक्टर उनके पास किराए पर रहने की पूच्छ रहा था लेकिन अनमॅरीड होने की वजह से पापा ने मना कर दिया था

पापा: बेटी, क्या वो शादी- शुदा हैं? वाणी: पता नही, पर उससे क्या होता है

पापा: मैं कल स्कूल आउन्गा फिर सोचकर बता दूँगा

वाणी: दे दीजिए ना पापा, हमें टूवुशन के लिए इतनी दूर नही जाना पड़ेगा बहुत अच्छा पढ़ाते हैं (दिशा ने उसको यही सिखाया था) प्लीज़ पापा मान जाइए ना उसके पापा दोनों लड़कियों से बहुत प्यार करते थे फिर उन्हे अपनी बेटियों पर भरोसा भी था वो बोले,"ठीक है, तू ज़रा पढ़ाई कर ले मैं थोड़ी देर मैं बताता हूँ उसके जाने के बाद वो अपनी पत्नी से बोला,"निर्मला, अगर वो कुँवारा हुआ तो!" निर्मला: आप तो हमेशा उल्टा ही सोचते हैं क्या आपको दिशा पर यकीन नही है आज तक उसने कोई ग़लती नही की हर बात आकर मुझे बता देती है वाणी को तो वो बच्ची ही समझती थी

पापा: वो तो ठीक है मगर...

निर्मला: मगर क्या, बेचारियों को ट्यूशन पढ़ने के लिए कितनी दूर जाना पड़ता है आप क्या हरदम उनकी रखवाली करते हैं सर्दियो मैं तो अंधेरे हो जाता है आते-आते उपर से १५०० रुपए मिलेंगे वो अलग क्या सोच रहे हैं जी, हां कर दीजिए अनमने मॅन से दया चंद बोला," ठीक है फिर हां कर दो" निर्मला ने दिशा को आवाज़ लगाई दिशा तो जैसे इंतज़ार में ही खड़ी थी."हां मामी जी!अभी आई." निर्मला: बेटी एक बात तो बता ये तुम्हारे जो नये सर हैं, कैसे हैं

दिशा: आपको कैसे पता मामी जी?

निर्मला: अरे वो वाणी को उसकी बड़ी मॅ'म उपर वाले कमरों के लिए कह रही थी, तुम्हारे मास्टर के लिए; दे दें क्या?

दिशा: देख लीजिए मामी जी

निर्मला: इसीलिए तो बेटी पूच्छ रही हूँ, कैसे हैं?

दिशा: कैसे हैं का क्या मतलब; टीचर हैं, अच्च्छा पढ़ाते हैं, और क्या

निर्मला: बेटी, मैं सोच रही थी अगर उनको यहाँ रख लें, तो तुम्हे ट्यूशन की भी प्राब्लम नही रहेगी

दिशा: हां ये बात तो है मामी जी ठीक है बेटी, जा पढ़ाई कर ले! दिशा जाने लगी. बेटी के लचकदार जिस्म को देखकर मामी जाने क्या सोचने लगी उपर जाते ही दिशा ने वाणी को अपनी बाहों में भर लिया वाणी ने खुश होकर पूछा की क्या हुआ?

दिशा: मामी ने हां कर दी, सर के लिए वाणी ने चुटकी ली, "तुम तो बहुत खुश हो! कुछ चक्कर है क्या?"

दिशा:धात! तू बड़ी शैतान होती जा रही है वो मैने सर को आज स्कूल में उल्टा सीधा कह दिया था ना अब शायद वो मुझे माफ़ कर देंगे आ चल सफाई करते हैं" दोनों ने मिलकर उपर वाले कमरों को अपनी तरफ से दुल्हन की तरह सज़ा कर तैयार कर दिया दिशा बोली," आज हम उपर ही सोएंगे" "ठीक है दीदी" अगले दिन सुबह स्कूल जाते हुए दिशा और वाणी बहुत खुश थी वाणी ने तो स्कूल जाते ही एलान कर दिया की सर हमारे घर रहेंगे तभी स्कूल के बाहर एक चमचमाती स्कोडा रुकी बच्चों ने ज़्यादा ऐसी कार देखी नही तो उसके चारों और इकट्ठे हो गये जब उसमें से शमशेर उतरा तो वो पहले दिन से ज़्यादा स्मार्ट और सेक्सी लग रहा था वाणी उसको देखते ही भाग कर आई और बोली, सर मम्मी ने बोला है आप हमारे घर में ही रहना!

शमशेर: अच्छा!

वाणी: हां सर, रहेंगे ना! शमशेर ने उसकी और देखते हुए कहा,"क्यूँ नही, वाणी"

वाणी: सर, ये इतनी अच्छि गाड़ी आपकी है? शमशेर ने उसके कंधे को हल्का से दबाया," मेरी नही अपनी है" वाणी शमशेर को देखती रह गयी! इश्स छ्होटे से डाइयलोग ने उसपे जाने क्या जादू किया की उसको सर सिर्फ़ अपने से लगने लगे वाणी दौड़ती हुई दिशा के पास गयी और बोली चल देख क्या दिखाती हूँ दीदी स्कूल के बाहर लेजाकार उसने दिखाई, देख गाड़ी! गाँव में सच में ही वो गाड़ी अद्भुत लग रही थी दिशा पहले तो उसको एक-टक देखती रही फिर बोली, क्या देखूं इसका!

वाणी: सर जी ने कहा है ये अपनी गाड़ी है दिशा के दिमाग़ में भी इस बात का असर हुआ फिर संभाल कर बोली," चल पागल!" वाणी पर इसका कोई असर नही हुआ वो उछलती कूदती वहाँ से चली गयी बहुत खुश थी वो शमशेर ऑफीस में दाखिल हुआ,"गुड मॉर्निंग मॅ'म" अंजलि की आँखो में कशिश थी, अपनापन था लेकिन कॉंटरोल करके बोली," गुड मॉर्निंग मिस्टर शमशेर! कहिए कैसे हैं!

शमशेर: जी अच्छा हूँ, आपकी दया से! हां वो मेरे रूम का अरेंज्मेंट हो गया है

अंजलि: कहाँ? शमशेर: वहीं...वाणी के घर, अभी बताया है

अंजलि: ये तो बहुत अच्च्छा हुआ(मॅन में वो इसके उलट सोच रही थी) तो आपका समान रखवा दूं? शमशेर: अरे नही! मेरा सारा समान गाड़ी में है छुट्टी के बाद सीधे वही उतरवा दूँगा मैं पीरियड ले लेता हूँ कहकर वो ऑफीस से बाहर चला गया और १०थ क्लास में एंट्री की सभी लड़कियाँ सहमी हुई थी एक तो मर्द टीचर, दूसरा शकल से ही राईश दिखाई देता था बड़ी गाड़ी, गले में ४-५ तौले की चैन उसका रौब ही अलग था साइकल पर आने वाले मास्टर जियों से बिल्कुल अलग क्लास में सन्नाटा छाया हुया था शमशेर ने पूरी क्लास को देखा सभी की निगाह उसपर थी, सिवाय दिशा को छ्चोड़कर वो नीचे चेहरा किए बैठी थी

शमशेर: गुड मॉर्निंग गॅल्स! मुझे नही लगता की आपको डिसिप्लिन में रखने के लिए डंडे की ज़रूरत पड़ेगी या है! कोई कु्छ नही बोली!

शमशेर: आप सभी जवान हैं...... नेहा ने उसके चेहरे की और देखा शमशेर: ...मतलब समझदार हैं मुझे उम्मीद है आप कुछ ऐसा नही करेंगी जिससे मुझे डंडे का यूज़ करना पड़े... जिनकी समझ में बात आई, उनकी चूत गीली हो गयी

शमशेर: आप लोग समझ रहे होंगे ना मेरा मतलब जिसको पढ़ाई करनी है वो पढ़ाई करें जिनको डंडा खाने का शौक है वो बता दें, वो भी मेरे पास है मतलब मैं डंडे का यूज़ भी करना जनता हूँ इसीलिए कोशिश करें स्कूल टाइम में पढ़ाई पर ही ध्यान दें अन्य बातों पर नही तभी क्लास में पीयान आई और बोली, सर दिशा को प्यारी मेडम बुला रही हैं!

शमशेर: दिशा जी, आप जा सकती हैं दिशा स्टाफ रूम में गयी वाणी भी वही खड़ी थी प्यारी मेडम काफ़ी गुस्से में लग रही थी "मे आइ कम इन, मॅ'म?"

प्यारी: आजा, राजकुमारी! वहाँ खड़ी हो जा दीवार के साथ दिशा चुपचाप जाकर वाणी के साथ खड़ी हो गयी वाणी रो रही थी

प्यारी: मैं तो तुम दोनों को अच्छी लड़की समझती थी पर तुम तो...

दिशा: सीसी॥क्या हो गया मेडम जी!

प्यारी: चुप कर बहन की..., तुम्हे अपने मास्टर पर डोरे डालते हुए शरम नही आई इतनी ही ज़्यादा खुजली हो रही थी तो गाँव के किसी लड़के को ख़सम बना लेती अपना इतने पीछे पड़े रहते हैं तेरे सो जाती किसी के साथ... मास्टर पर ही दिल बड़ा आया तेरा गाड़ी में बैठकर करवाएगी क्या दिशा की आँखो से पानी टपक रहा था पहली बार किसी ने इतना जॅलील किया था उसे "मेडम आप ऐसा क्यूँ कह रही हैं क्या किया है मैने" "क्या किया है मैने! उसको घर जौंवाई बना के रखोगे तुम क्या दे दिया बदले में उस सांड ने दिशा से रहा ना गया और बोली," मेडम प्लीज़ बकवास बंद कीजिए मुझे कु्छ समझ नही आ रहा" इतना सुनना था की प्यारी के गुस्से का ठिकाना ना रहा वो उठी और जाकर दिशा के चूतडो पर खींच कर डंडा मारा वो दर्द से दोहरी हो गयी.यहीं पर वो नही रुकी उसने दिशा के रेशमी बालों को पकड़कर खींचा तो वो घुटनों के बल आ गयी प्यारी ने उसके निचले होंट को पकड़ कर खींच लिया और एक और डंडा मारा जो उसकी बाईं चूची पर लगा वो बिलख पड़ी

प्यारी: कान पकड़ ले साली कुतिया मैं बकवास करती हूँ हाँ, दिशा ने कान पकड़ लिए और मुर्गी बन गयी प्यारी सच में ही कमिनि और घटिया औरत थी उसने डंडा उसकी गांड के दरार के बीच रख दिया और उपर नीचे करने लगी," साली मैं बुझती हूँ तेरी चूत की प्यास, किसी को हाथ नही लगाने देती ना यहाँ वाणी से अपनी प्यारी दीदी की ये दशा देखी ना गयी वा कमरे से भाग गयी और बदहवास सी सर-सर चिल्लाने लगी सभी बच्चे बाहर आ गये अंजलि भी दौड़ी आई और उधर से शमशेर भी.... वह हैरान था वाणी भागती हुई जाकर शमशेर से लिपट गयी," सर, दीदी...!" शमशेर को सब अजीब सा लगा यौवन की दहलीज पर खड़ी एक लड़की उससे बेल की तरह लिपटी हुई थी पर वक़्त ये बातें सोचने का नही था

शमशेर: क्या हुआ, वाणी?

वाणी: स॥सर वो प्यारी मेडम..." सभी स्टाफ रूम की और भागे, दिशा ज़मीन पर लाश सी पड़ी थी, उसका कमीज़ फटा हुआ था जिससे उसके कसा हुआ पतला पेट दिख रहा था शमशेर को समझते देर ना लगी उसने फोन निकाला और भिवानी के एस.पी. को फोन किया "हां शमशेर बेटा!" उधर से आवाज़ आई "अंकल, मैं लोहरू के एस टी.सेक. गर्ल्स स्कूल से बोल रहा हूँ आप लेडी पोलीस भेजिए, यहाँ क्राइम हुआ है "वेट्स अप बेटा, तुम्हारे साथ कुछ... "आप जल्दी फोर्स भेजिए अंकल जी" "ओक बेटा" प्यारी अब भी अकड़ में थी उसको लगता था की उसके आदमी के थानों में संबंध हैं उसका कोई कुछ नही बिगाड़ सकता लेकिन जब पोलीस आई तो सारा सीन ही बदल गया जीप से एक लेडी इनस्पेक्टर उतरी डंडा घुमाती हुई आई और बोली," किसने फोने किया था एस.पी. साहब को?"

शमशेर उसके पास गया और बोला, आइए मिस. और उसको दिशा के पास ले गया दिशा अब ऑफीस में बैठी थी अब भी वा बदहवास सी रो रही थी शमशेर बोला,"हां दिशा मेडम को दिखाओ और बताओ क्या हुआ है" दिशा अपनी चुननी को हटाकर उसको अपना कमीज़ दिखाने ही वाली थी की वो रुक गयी और शमशेर की और देखने लगी शमशेर समझ गया और बाहर चला गया कु्छ देर बाद लेडी इनस्पेक्टर बाहर आई और प्यारी को अपने साथ बिठा कर ले गयी अंजलि ने डी.ओ. साहब को रिपोर्ट की और स्कूल की छुट्टी कर दी शमशेर ने अंजलि को कहा की वो उसके साथ चले अंजलि को घर छोड़ देते हैं शमशेर ने गाड़ी स्टार्ट की, वाणी आगे बैठ गयी अंजलि और दिशा पीछे, और वो उनके घर पहुँच गये घर जाते ही दिशा दहाड़े मारकर रोने लगी धीरे-धीरे शांत करके उन सबको सारा माजरा बताया गया अंजलि ने बताया की वो ज़बरदस्ती शमशेर को अपने घर रखना चाहती थी सब जानते थे की वो कैसी औरत थी सुनकर वाणी के पापा चिंतित हो गये और बोले," अब क्या होगा बेटा?"

"होगा क्या अंकल जी! प्यारी मेडम को सज़ा होगी "नही-नही बेटा! गाँव में दुश्मनी ठीक नही तुम मामले को रुकवा दो दिशा मामा की इस बात पर फुट पड़ी शमशेर ने कहा देखते हैं अंकल जी उधर सरपंच को पता लगते ही उसका पारा गरम हो गया उसने तुरंत थाने में फोन किया वहाँ से जो उसको पता चला, सुनते ही उसकी सिट्टी-पिटी गुम हो गयी, शमशेर एक बड़े आइ.पी.एस. ऑफीसर का बेटा था अब कु्छ हो सकता है तो वही कुछ हो सकता है सरपंच हाथ जोड़े दौड़ा-दौड़ा आया सारे गाँव ने पहली बार उसका ये रूप देखा वो गिड़-गिडाने लगा फिर दयाचंद के कहने पर इस बात पर समझोता हुआ की प्यारी देवी पूरी गाँव के सामने दिशा से माफी माँगेगी और उसका ट्रान्स्फर गाँव से दूर कर दिया जाएगा ऐसा ही हुआ अब दिशा को भी तसल्ली हुई कु्छ ही देर में सब कु्छ सामान्य हो गया जैसे कु्छ हुआ हि ना हो गाँव वाले अंदर ही अंदर बहुत खुश थे

वाणी के पापा की तो रेप्युटेशन ही बढ़ गयी इन सब में वो कु्छ सवाल और कु्छ शर्तें जो वो शमशेर को बताना चाहता था, उसके दिमाग़ से हवा हो गये वो बोला," माफ़ करना मास्टर जी, हम तो चाय पानी ही भूल गये! "दिशा बेटी ज़रा मास्टर जी और मेडम के लिए चाय तो बना दे" "जी मामा जी" दिशा नॉर्मल नही हुई थी, उसको रह-रह कर प्यारी देवी की बातें याद आ रही थी उसकी चूत पर किसी ने टच किया हो, आज से पहले कभी नही हुआ था अब भी उसको अपनी गांड के बीचों बीच डंडा घूमता महसूस हो रहा था उसने शमशेर सर के बारे में कितनी गंदी बातें बनाई, सोचकर ही उसका चेहरा गुलाबी हो गया फिर उसे ध्यान आया कैसे शमशेर सिर ने उसको हीरो की तरह बचाया और प्यारी देवी को सज़ा दिलवाई चाय बनाते-बनाते दिशा ने सोचा," क्या ये ही उसके हीरो हैं" सोचने मात्रा से ही दिशा शर्मा गयी और घुटनों में छिपा लिया वो चाय बनाकर लाई और सबको देने लगी. शमशेर को चाय देते हुए उसके हाथ काँप रहे थे. अब तक भी वो उससे नाराज़ थी चाय पीते ही वाणी ने शमशेर का हाथ पकड़ा और बोली," सर चलिए, आपको आपका घर दिखाती हूँ उसके पापा को थोड़ा अजीब सा लगा और उसने वाणी को घूरा, पर उस पर इसका कोई असर नही हुआ; वह तो निशपाप थी वो शमशेर को खींचते हुए उपर ले गयी अपनी तरफ से उन्होने कमरे को पूरा सजाया था शमशेर जाते ही बोला," मुझे सेट्टिंग करनी पड़ेगी" वाणी मायूस हो गयी," सर, दिशा दीदी और मैने इतनी मेहनत की थी" शमशेर हँसने लगा वो नीचे जाकर अपना लॅपटॉप, एक फोल्डिंग टेबल, अपना बॅग और बिस्तेर लेकर आया और अपने हिसाब से कमरे में सेट्टिंग करने लगा मम्मी ने वाणी को आवाज़ दी वाणी दौड़ती हुई नीचे गयी खिड़की से शमशेर ने देखा वाणी का फिगर मस्त था जब ये लड़की तैयार होगी तो शायद दिशा से भी मस्त होगी उसने अपने होंटो पर जीभ फिराई और फिर से अपने समान को अड्जस्ट करने में जुट गया "उपर क्या कर रही थी बेटी सर को आराम करने दे" नही मम्मी, सर तो अपने रूम की सफाई कर रहे हैं मैं उनकी मदद कर रही थी" दिशा चौकी," हमने सफाई करी तो थी कल वाणी" उससे मन ही मन गुस्सा आया कल कितने अरमानों से उसने कमरे को सजाया था

वाणी: वो तो सर ने सारी सेट्टिंग ही चेंज कर दी दिशा को इतना गुस्सा आया की अगर वो उसके सर ना होते तो अभी जाकर उससे लड़ाई करती क्या समझते हैं खुद को पर वो बोली कु्छ नही और बाहर जाकर कपड़े धोने की तैयारी करने लगी शमशेर सब अड्जस्टमेंट के बाद आराम से बेड पर बैठ गया उसने देखा दिशा बाहर कपड़े धो रही है खिड़की से वहाँ का दृश्या सॉफ दिखाई देता था बेमिसाल हुश्न की मालकिन थी वह कपड़े धोते-धोते उसके चेहरे के रंग बार-बार बदल रहे थे कभी मंद मंद मुस्कुराती कभी नर्वस हो जाती और कभी चेहरे पर वही भाव आ जाते जो पहली बार उसका नाम पु्छने पर आए थे शायद कु्छ सोच रही थी अचानक वह झुकी और उसकी चूचियों की घाटी के अंदर तक दर्शन हो गये शमशेर को उसकी सेब के साइज़ की चूचियाँ बिल्कुल गोले थी वो भी बिना ब्रा के क्या वो कभी उन्हे छू भी पाएगा काश ऐसा हो जाए दिशा पहली लड़की थी जिसके लिए उसका सब्र टूटता जा रहा था, और वो लाइन ही नही दे रही नही तो कितनी ही हसीनायें अपनी पहल पर उसके लंड को अपनी चूत में ले चुकी थी वह उठी और कपड़े निचोड़ने लगी उसका मुँह दूसरी तरफ हो गया उसकी कमीज़ उसकी गांड की दरार में फँसा हुआ था कमीज़ गीला हो जाने की वजह से उसकी गांड का सही सही साइज़ शमशेर के सामने था एक दम गोल-गोल जैसे आधे गोले तरबूज में किसी कलाकार ने बड़ी सफाई से एक छोटी फाँक को निकाल दिया हो शमशेर उसको प्यार का पहला पाठ पढ़ाने को तत्पर हो उठा पर उसको डर था वो बड़ी तुनकमिज़ाज थी कही पासा उल्टा पड़ गया तो इसके चक्कर में बाकी स्कूल की लड़कियों से भी हाथ धोना न पड़ जाए स्कूल में एक से एक मीठे फल थे हां इसके आगे सब कु्छ फीका ही था तभी फोन की घंटी बाजी फोन अंजलि का था "हेलो" "शमशेर" "हां जान" "ठीक अड्जस्ट हो गये हो ना" "हां, जान बस तुम्हारी कमी है" "तो आज रात को आ जाओ ना" अंजलि की चूत की प्यास भी अब बढ़ गयी थी "सॉरी जान" पर इनको अजीब लगेगा" "कुछ देर के लिए आ जाना, घूमने का बहाना करके" "देखता हूं" "आइ लव यू!" "लव यू टू जान!" शमशेर का ध्यान अब दिशा की गांड के अलावा कहीं जाता ही नही था उसके शरीर की हड्डियाँ गिनते-गिनते शमशेर को नींद आ गयी करीब ५ बजे दिशा ने चाय बनाई उसकी मम्मी बोली बेटी तुम्हारे सर को भी दे आना दिशा जाने लगी तो मामा ने टोक दिया," दिशा बेटी, रूको!

वाणी चलो बेटा चलो सर को चाय देकर आओ! "पापा, मेरा काम ख़तम नही हुआ है अभी, मैं बाद में जाउन्गि दीदी तुम्ही दे आओ" चाहती तो दिशा भी यही थी पर उसमें सर का सामना करने की हिम्मत नही थी, जाने क्यूँ उपर चढ़ते-चढ़ते उसके पैर भारी होते जा रहे थे उपर जाकर उसने देखा, सर जी सो रहे थे वो एकटक उसको देखती रही कितना हसीन चेहरा था कितनी चौड़ी छति थी, कमर पतली और... और ये क्या, शमशेर की पॅंट आगे से फूली हुई सी थी इसमें छिपे खजाने की कल्पना करते ही उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया "हाए राम!"

दिशा ने तुरंत वहाँ से नज़र हटा ली काश वो उसके "सर" ना होते वो उसको अपना दिल दे देती उस पागल को क्या पता था दिल कोई सोचकर थोड़े ही दिया जाता है दिल तो वो दे चुकी थी.....है ना फ्रेंड्स!

वो चुप चाप टेबल के पास गयी और चाय रखकर नीचे आ गयी नीचे जाते ही उसने वाणी को कहा," वाणी! जाओ, सर को जगा दो, वे सो रहे हैं."

निर्मला: तुम ना जगा देती पगली

दिशा: मुझसे नही जगाया गया मामी जी

वाणी ने अपनी कापिया बॅग मैं डाली और दौड़ कर उपर गयी जाकर उसने सर का हाथ पकड़ कर हिलाया लेकिन उसने कोई हलचल नही की वाणी शरारती थी और शमशेर से घुलमिल भी गयी थी उसने शमशेर की छाती पर अपना दबाव डाला उसकी चुचियाँ शमशेर के मुँह के सामने थी वो नही उठा वाणी ने ज़ोर से उसके कान में बोला," सर जी" और शमशेर उठ बैठा उसने चौंकने की आक्टिंग की" क्या हुआ वाणी?"

"सर जी आपकी चाय" टेबल की और इशारा करते शमशेर से कहा

ओह, थॅंक्स वाणी!

"थॅंक्स मेरा नही दीदी का बोलिए"

"कहाँ है वो?"

"है नही थी" चाय रखकर चली गयी मैने आपको इतना हिलाया पर आप उठे ही नही आपके कान में शोर करना पड़ा मुझे, सॉरी" वाणी ने हंसते हुई कहा

" पता है वाणी, जब तक कोई मुझे नाम से ना बुलाए, चाहे कुछ भी कर ले मेरी नींद नही खुलती पता नही कोई बीमारी है शायद" शमशेर का प्लान सही जा रहा था

" सर, कुंभकारण की नींद भी तो ऐसी थी ना"

"अच्छा मुझे कुंभकारण कह रही है शमशेर ने उसके गाल उमेठ दिए"

"उई मा!" छ्चोड़ देने पर वो हँसने लगी शमशेर ने महसूस किया, जैसे उसने उसकी चूत पर हाथ रख दिया और वो कह रही है"उई मा" फिर वाणी वहाँ से चली गयी

नीचे जाते ही वाणी ने मम्मी को कहा," मम्मी, सर जी तो कुंभकारण हैं" मा ने बेटी की बातों पर ध्यान नही दिया लेकिन दिशा के तो 'सर' सुनते ही कान खड़े हो जाते थे. वो अंदर पढ़ रही थी उसने वाणी को अंदर बुलाया वाणी उसके पास आकर बैठ गयी कु्छ देर बाद दिशा ने पूछा

"चाय पी ली थी क्या सर ने"

"हां पी ली होगी मैने तो उनको उठा दिया था दीदी

"तू क्या कह रही थी सर के बारे में"

"क्या कह रही थी दीदी?"

"वही....कुंभकारण...."

"नही बतावुँगी दीदी! आप स्कूल में बता दोगे तो बच्चे उनका नाम निकाल देंगे!"

"मैं पागल हूँ क्या... चल बता ना प्लीज़"

वाणी जैसे कोई राज बता रही हो, इस तरह से बोली,"पता है दीदी, सर अगर एक बार सो जायें, तो उन्हे उठाने का एक ही तरीका है उन्हे कितना ही हिला लो वो नही उठेंगे उन्हे उठाने के लिए उनके कान में ज़ोर से उनका नाम लेना पड़ता है"

"चल झूठी" दिशा को विस्वास नही हुआ

"सच दीदी"" मैं तो उनकी छाती पर जाकर बैठ गयी थी, फिर भी वो नही उठे फिर मैने उनके कान में ज़ोर से कहा"सर जी" तब जाकर उनकी नींद खुली"

"मोटी तुझे शरम नही आई उनकी छाती पर चढ़ते हुए" दिशा के मॅन में प्लान तैयार हो रहा था

वाणी ने उसकी टीस और बढ़ा दी," सर बहुत अच्चे हैं ना दीदी!"

"चल भाग! मुझे काम करने दे!" दिशा ने उसको वहाँ से भगा दिया

शमशेर भी इतना ही बैचैन था दिशा की जवानी से खेलने के लिए, बेचारा शमशेर! खैर शमशेर टकटकी लगाए खिड़की से बाहर देखता रहा की कम से कम उस परी की गांड के दर्शन ही हो जायें करीब १५ मिनिट बाद दिशा बाहर आई उसके हाथ में टॉवेल था शायद वो नहाने जा रही थी गाड़ी के पास जाकर वो रुकी और उस पर प्यार से हाथ फेरने लगी फिर उसने उपर की और देखा शमशेर को अपनी और देखता पाकर वो जल्दी से अंदर चली गयी बाथरूम का दरवाजा बंद करके उसने कपड़े उतारने शुरू किए शमशेर का प्यारा चेहरा और उसकी पॅंट का उभर उसके दिमाग़ से निकल ही नही रहे थे उसने अपना कमीज़ उतार दिया और अपने उभारों को गौर से देखने लगी उसको पता था भगवान ने उसको इन २ नगिनो के रूप में क्या दिया है उसकी छातियाँ ही उसकी जान की दुश्मन बनी हुई थी उसे पता था की इनमें ऐसा कु्छ ज़रूर है जिसने गाँव के सारे लड़कों को इनका दीवाना बना दिया है कोई इन्हें पहाड़ की चोटी कहता, कोई सेब तो कोई अनार क्या सर जी को भी ये अच्छे लगते होंगे काश कि लगते हों वो उन पर हाथ फेर कर देखने लगी, इनमें ऐसा क्या है जो लड़कों को पसंद आता है ये तो सब लड़कियों के होती हैं कयओ की तो बहुत बड़ी होती हैं, फिर तो वो ज़्यादा अच्ची लगनी चाहिए सोचते-सोचते ही उसने अपनी सलवार उतारी और शीशे में घूम-घूम कर अपना बदन देखने लगी, उसको नही मालूम था की हीरे की परख तो जौहरी ही कर सकता है उसकी गोल गांड और तनी हुई छातियो की कद्र तो वो ही रसिया करेंगे ना जिनको इनकी तड़प है आज से पहले उसने अपने जिस्म को इतनी गौर से नही देखा था आज भी शायद अपने प्यारे सर के लिए नाहकार वो बाहर निकली तो चौक गयी सर सामने ही बैठे थे शायद मामी ने उन्हे खाने के लिए बुलाया होगा उसको अहसास हुआ की जैसे सर के बारे में सोचते हुए वो रंगे हाथ पकड़ी गयी वो भागकर अंदर वाले कमरे में चली गयी

"बेटी, सर के लिए खाना लगा दे इनको जाना है कही"

अच्छा मामी जी, कहकर दिशा किचन में चली गयी

वाणी सर के पास ही बैठी थी वाणी का शरीर जवान हो गया था पर शायद मॅन नही वो ज़्यादातर हरकतें बच्चों जैसी करती थी अब भी वो शमशेर के साथ अपना पिछवाड़ा सटा कर बैठी थी कोई बड़ी लड़की होती तो अश्लील हरकत समझा जाता

"मास्टर जी"निर्मला बोली" आपने दिशा को बचा कर जो उपकर किया है, उसका बदला हम नही चुका सकते, पर अब जब तक तुम इस स्कूल में हो, हम तुम्हे हमारे घर से नही जाने देंगे"

"मम्मी, हमारा घर नही; अपना घर. है ना सर जी" वाणी चाहक कर बोली

"हां वाणी!" शमशेर ने उसके गाल पर थपकी देकर ताल में ताल मिलाई

"मम्मी गाड़ी भी सर की नही है, अपनी है; हैं ना सर जी

"मस्टेरज़ी, हमारी लड़की बड़ी शैतान है, कभी इसकी ग़लती पर हमसे नाराज़ मत होना

शमशेर ने मौका देखकर कहा, ये भी कोई कहने की बात है आंटिजी! ये तो यहाँ मुझे सबसे प्यारी लगती है

दिशा ने इस बात पर घूमकर शमशेर को देखा, और प्यार से जलाने के लिए वाणी को बोली," हूंम्म, सबसे प्यारी!"

वाणी ने अपनी सुलगती दीदी को जीभ निकालकर चिडा दिया दिशा उसे मारने को दौड़ी, पर उसका असली मकसद तो सर के पास जाना था जैसे ही वो वाणी के पास आई, वाणी शमशेर के पीछे छिप गयी अब शमशेर और दिशा आमने सामने थे दिशा के तन पर चुननी ना होने की वजह से उसकी दोनों चुचियाँ शमशेर की आँखो के सामने थी जल्द ही उसको अपने नंगेपन का अहसास हुआ और वो शर्मकार वापस चली गयी

"इसमें तो है ना बस गुस्से की हद है" निर्मला ने कहा

शमशेर: हां, वो तो है

उसके बाद वो खाना खाने लगे. ऐसे ही बातें करते करते वो २-४ दिन में ही काफ़ी घुल गये लेकिन इस घुलने मिलने का ज़रिया बनी वाणी अब मामा का शक भी पूरी तरह दूर हो गया था और वो बच्चों के उपर नीचे रहने से परेशन नही होते थे उन्होने शमशेर को अपने परिवार का हिस्सा मान लिया था सिर्फ़ शमशेर और दिशा ही एक दूसरे से घुलमिल नही पाए थे, क्यूंकी दोनों के मॅन में पाप था..... या शायद प्यार!

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